आपके पैरों की कंपन हो सकती है बड़ी बीमारी का संकेत

रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम यानि आरएलएस एक स्नायु विकार है, इसके कारण और लक्षणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए ये लेख पढ़े।
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आपके पैरों की कंपन हो सकती है बड़ी बीमारी का संकेत


रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम यानि आरएलएस एक स्नायु विकार है जिसकी वजह से व्यक्ति के पैरों में पूरे समय कंपन की स्थिति बनी रहती है। रेस्टलेस लेग सिंड्रोम के कारण अनिद्रा,चि़ड़चिड़ापन, सिर में दर्द और ध्यान की कमी की समस्या हो सकती है।  ऐसे व्यक्ति को स्थिर अवस्था में भी अपने पाँवों में बहुत कष्टप्रद सनसनी महसूस होती है। और पाँवों को हिलाने के दौरान ये तक़लीफ़ बढ़ जाती है। रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम (आरएलएस) को विलिस-एक्बोम डिजीज (डब्लूईडी) या विट्मेक-एक्बोम सिंड्रोम कहा जाता है। आरएलएस की वजह से पीड़ित लोगों को कार या विमान से लंबी दूरी की यात्रा करने में तकलीफ़ होती है। आरएलएस बहुत तनावपूर्ण हो सकता है लेकिन कुछ दवाओं और जीवनशैली में बदलावों से ये लगभग हमेशा इलाज से ठीक हो सकता है। इसके लक्षण और कारणों के बारे में विस्तार से जानें

आरएलस का कारण

  • इसके कारण हर व्यक्ति में अलग अलग देखा गया है। लेकिन एक शोध के मुताबिक दिमाग में पाये जाने वाले डोपामीन रसायन के अंसुंतुलित हो जाना मुख्य कारण है। डोपामीन स्नायु की गतिशीलता को नियंत्रित को करता है।  
  • कुछ मामलों में देखा गया है कि आरएलएस परिवार में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आ जाता है। इसकी संभावना तब बढ़ जाती है जब पिछली पीढ़ी में ये सिंड्रोम कम उम्र में आ गया हो। वैसे शरीर में आयरन की कमी हो जाने के कारण भी इस सिंड्रोंम की संभावनाएं बढ़ जाती है।
  • गर्भावस्था, गुर्दे की ख़राबी, डायबिटीज़, तंत्रिका को नुकसान, गठिया और एनीमिया जैसी बीमारियों के कारण भी आरएलएस हो सकता है। लेकिन एक बार इन बीमारियों का इलाज शुरू कर दिया जाए तो आरएलएस के लक्षण कम होने लगते हैं।

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आरएलएस के लक्षण

  • पाँवों में खिंचाव, खुजलाहट, जलन या सनसनी जैसी अनुभूति की वजह से पाँवो को हिलाने चलाने के लिए बाध्य हो जाते हैं। कुछ मामलों में ये अनुभूति आपको अपने हाथों या शरीर के दूसरे हिस्सों में भी महसूस होती है लेकिन आमतौर पर ये पाँवों में ही ज़्यादा महसूस होती है। पैरों की रक्तवाहिनियों में बुलबुले युक्त पानी के भरे होने का एहसास होने लगता है।
  •  आमतौर पर यह निद्रा के दौरान बाधा करता है और इसे निद्रा विकार ही माना जाता है। इस विकार से प्रभावित लोग अक्सर इस एहसास को फड़कता, सरकता या रेंगता सा बताते हैं। इसकी अनुभूति की गंभीरता का विस्तार, असहजता से चिढ़ पैदा करने वाला होकर दर्द की स्थिति तक जाता है।

 

आरएलएस के इलाज

  • आयरन, फोलेट और मैग्नीशियम की कमी को दूर करने के लिए अपनी डायट में इनकी भरपूर मात्रा लेना चाहिए।
  • गरम पानी से नहाना, पैरों की मसाज करना, गरम व ठंडी सिंकाई करने और चलने-फिरने से मरीज को क्षणिक लाभ मिलता है। टहलने के अलावा व्यायाम, साइकल चलाना और अन्य शारीरिक क्रियाओं से भी लाभ मिलता है।


जीवनशैली में बदलावों को करके भी आरएलएस को नियंत्रण किया जा सकता है।

 

Image Source-Getty

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