मसल्स लॉस क्या है? एक्सपर्ट से जानें ये किन तरीकों से डाल सकता है आपकी सेहत पर प्रभाव

एक्सरसाइज या वजन कम करने के चक्कर में हमें नहीं पता होता कि हम वज़न कम कर रहे हैं या मसल्स लॉस। ऐसे में यहां दिए लक्षणों के माध्यम से समझें
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मसल्स लॉस क्या है? एक्सपर्ट से जानें ये किन तरीकों से डाल सकता है आपकी सेहत पर प्रभाव


हमारे शरीर में मसल्स की भूमिका अहम है। बता दें, गतिशीलता से लेकर मेटाबॉलिज्म तक मसल्सर कई काम करते हैं। लेकिन क्या होगा जब आपको पता चलेगा कि आप सबसे ज्यादा मसल्स लूज कर रहे हैं? अगर आप सीढ़ी चढ़ने में थक जाते हैं, आपका वजन तेजी से कम हो रहा है या आपकी चाल सामान्य से धीरे हो गई है तो यह मसल्स लॉस के लक्षण हो सकते हैं। ध्यान दें, इसके लक्षण भले ही आम हो लेकिन इसका असर सेहत पर बेहद नकारात्मक पड़ता है। एडवांस्ड मसल लॉस या सार्कोपेनिया 50 साल या इससे अधिक उम्र के व्यक्तियों को होता है। इसके बारे में पढ़ते हैं आगे...

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एक्सपर्ट से जानें मसल्स लॉस के बारे में

एबॅट न्यूट्रिशन में मेडिकल एंड साइंटिफिक अफेयर्स के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. गणेश काढे इस बारे में समझाते हुए कहते हैं, ‘आपके शरीर में 600 से ज्यादा मसल्स होते हैं, जिनका आपके शरीर के भार में 40 प्रतिशत तक योगदान होता है, यानि आपका लगभग आधा। आयु तो प्राकृतिक रूप से बढ़ती है, लेकिन बहुत ज्यादा मसल लूज करना प्राकृतिक नहीं है। यह सीधे आपकी गतिशीलता, शक्ति, ऊर्जा के स्तर, इम्यून सिस्टम और अंगों के कार्य को भी प्रभावित कर सकता है।’

चूंकि मसल्स कई सिस्टम्स से बेहद ही जटिलता से जुड़े होते हैं, इसलिए द जर्नल ऑफ पोस्ट-एक्यूट एंड लॉन्ग-टर्म केयर मेडिसिन का तर्क है कि किसी व्यक्ति का मसल मास उसके बीएमआई यानि बॉडी मास इंडेक्स की तुलना में उसके स्वास्थ्य का बहुत बेहतर सिद्ध होता है।

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बहुत ज्यादा मसल लूज करने के जोखिम क्या हैं? 

बुजुर्गों और कुछ स्थायी रोगों के पीड़ितों में एडवांस्ड मसल लॉस होना आम है, लेकिन यह संकेत भी देता है कि आपका स्वास्थ्य जोखिम में है। 

  • गिरनाः अगर बुजुर्गों में मसल्स लॉस की दिक्कत है तो गिरना और फ्रैक्चर होना बुजुर्गों में गंभीर चोट लगने और मौत का प्रमुख कारण हैं। 
  • गतिशीलताः शक्तिहीन होने से गतिशीलता सीमित हो सकती है और आत्मनिर्भरता खत्म हो सकती है। 
  • वजनः मसल मास मेटाबोलिक रेट या आप प्रतिदिन कितनी कैलोरीज बर्न करते हैं, इसका एक सबसे बड़ा निर्धारक है।
  • हृदय का स्वास्थ्यः आपका हृदय एक मसल है और मसल्स लॉस से कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर असर पड़ सकता है।
  • इंसुलिन प्रतिरोधकताः मसल्स ईंधन के तौर पर ब्लड ग्लूकोज या शुगर का उपयोग करते हैं। मसल लॉस से इंसुलिन प्रतिरोधकता का जोखिम बढ़ सकता है। 
  • अस्पताल में कठिनाइयां:  कम मसल्स वाले रोगी प्रेशर इंजरी और संक्रमण को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं और शारीरिक रूप से चुनौतीपूर्ण उपचार, जैसे कीमोथेरैपी नहीं ले सकते। 

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  • सांस लेने में समस्याः श्वसन सम्बंधी समस्याओं वाले लोगों को मसल्स लॉस से ज्यादा कठिनाइयां हो सकती हैं। 
  • जीवन प्रत्यांशा : मसल टू फैट रेशो ज्यादा होने का सम्बंध व्यक्ति का जीवन लंबा होने से होता है।

नोट- साधारण डाइट और एक्सयरसाइज की मदद से आपक सक्रिय और मजबूत रह सकते हैं और अपनी पसंद की चीजों को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा आपको पता होना चाहिए कि वेट लॉस और मसल्स लॉस में फर्क है। 

(ये लेख एबॅट न्यूट्रिशन में मेडिकल एंड साइंटिफिक अफेयर्स के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. गणेश काढे से बातचीत पर आधारित है।)

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