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प्रेग्नेंसी में बार-बार हांफना नहीं है सामान्‍य, डॉक्‍टर से जानें इस समस्‍या का कारण, लक्षण और इलाज

Panting in Pregnancy: शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव और बच्चे के विकास के चलते गर्भवती महिलाओं को हांफने की समस्‍या का सामना करना पड़ता है।
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प्रेग्नेंसी में बार-बार हांफना नहीं है सामान्‍य, डॉक्‍टर से जानें इस समस्‍या का कारण, लक्षण और इलाज


Panting in Pregnancy: हांफना एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई महसूस होती है। जो व्यक्ति 1 मिनट में सामान्य से ज्‍यादा बार सांस लेता है, तो उस स्थिति को हांफना कहते हैं। जब व्‍यक्‍त‍ि हांफता है, तो उसे सामान्य से ज्‍यादा तेजी से और गहरी सांस लेनी पड़ती है। हांफने के दौरान व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है कि उसे पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही, जिससे सांस तेज और असामान्य हो जाती है। कई मह‍िलाओं को प्रेग्नेंसी में यह समस्‍या होती है। गर्भावस्था के दौरान प्रोजेस्टेरोन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे सांस लेने का पैटर्न बदल सकता है और फेफड़ों पर असर पड़ता है। गर्भावस्था के अंतिम चरणों में जैसे-जैसे शिशु का विकास होता है, गर्भाशय ऊपर की ओर फैलता है, जिससे फेफड़ों पर दबाव पड़ता है और सांस फूलने लगती है। इस लेख में हम जानेंगे प्रेग्नेंसी में हांफने की समस्‍या के लक्षण, कारण और इलाज। इस व‍िषय पर बेहतर जानकारी के ल‍िए हमने लखनऊ के झलकारीबाई हॉस्‍प‍िटल की गाइनोकॉलोज‍िस्‍ट डॉ दीपा शर्मा से बात की।

प्रेग्नेंसी में हांफने के लक्षण- Panting in Pregnancy Symptoms

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  • कोई भी काम करते समय या सामान्य रूप से आराम की अवस्था में भी सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है।
  • सांस फूलने के साथ अक्सर थकान भी महसूस होती है, खासकर अगर महिला कुछ शारीरिक काम कर रही हो।
  • कई बार सांस तेज और गहरी हो जाती है, जिससे सीने में हल्का दर्द या भारीपन महसूस हो सकता है।
  • सांस फूलने की वजह से नींद में भी रुकावट आ सकती है, जिससे व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो पाती।

इसे भी पढ़ें- प्रेग्नेंसी में सांस फूलने पर क्या खाना चाहिए? एक्सपर्ट से जानें डाइट टिप्स

प्रेग्नेंसी में हांफने के कारण- Panting in Pregnancy Causes

  • प्रोजेस्टेरोन एक हार्मोन है जो प्रेग्नेंसी में ज्‍यादा मात्रा में बनता है। यह फेफड़ों के काम पर असर डालता है, जिससे महिला को सांस लेने में कठिनाई महसूस हो सकती है।
  • प्रेग्नेंसी में खून की मात्रा सामान्य से लगभग 30 से 50 प्रत‍िशत तक बढ़ जाती है। इससे हार्ट और फेफड़ों को ज्यादा काम करना पड़ता है, जिससे हांफने की स्थिति उत्पन्न होती है।
  • गर्भावस्था के अंतिम चरणों में गर्भस्‍थ श‍िशु बढ़ता है और गर्भाशय का आकार बढ़ता है, जिससे फेफड़ों पर दबाव बढ़ता है और सांस लेने में परेशानी होती है।
  • कई बार गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है, जिससे एनीमिया हो सकता है। एनीमिया होने पर शरीर में ऑक्सीजन की कमी होती है, जिससे सांस फूलने की समस्या होती है।

प्रेग्नेंसी में हांफने का इलाज कैसे करें?- Panting in Pregnancy Treatment

  • जब भी सांस फूलने लगे, तो तुरंत आराम करें और गहरी सांसें लें।
  • बैठकर या लेटकर आराम करने से सांस फूलने की समस्‍या कम हो सकती है।
  • गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से बनाए गए योग और प्राणायाम के अभ्यास से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और सांस फूलने की समस्‍या में राहत मिलती है। हालांकि, योग करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।
  • प्रेग्नेंसी में सीधे बैठने या खड़े रहने से फेफड़ों पर पड़ने वाला दबाव कम होता है, जिससे सांस लेने में सहूलियत होती है।
  • नियमित हल्के व्यायाम, जैसे पैदल चलना, फेफड़ों को मजबूत करते हैं और ब्‍लड सर्कुलेशन में सुधार करते हैं, जिससे सांस फूलने की समस्या से राहत मिलती है।
  • डॉक्टर की सलाह से आयरन और कैल्शियम की खुराक लें, ताकि शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर हो सके।
  • पर्याप्त पानी पीने से ब्‍लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है और सांस फूलने की समस्या में कमी आती है।

डॉक्टर से कब मिलें?- When to Meet Doctor

अगर सांस फूलने के साथ सीने में दर्द, बहुत तेज धड़कन, होंठों या चेहरे पर नीलेपन का असर, ज्‍यादा थकान या चक्कर आना महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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