
आजकल की तेज भागती जिंदगी, अनियमित डेली रूटीन और असंतुलित खानपान ने लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है। इसका प्रभाव केवल सामान्य सेहत पर ही नहीं, बल्कि महिलाओं की फर्टिलिटी पर भी पड़ रहा है। हार्मोनल असंतुलन, पीसीओएस (PCOS), थायराइड, तनाव और पोषण की कमी जैसी समस्याओं के कारण महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, ज्यादा ब्लीडिंग या कभी-कभी लंबे समय तक पीरियड्स न होने जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कई महिलाएं अब दवाओं की बजाय प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपायों की ओर रुख कर रही हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि दवाओं का असर कई बार सेहत पर बुरा भी हो जाता है और हार्मोन असंतुलन बढ़ जाता है। वहीं आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों और पौधों के जरिए इलाज किया जाता रहा है, इन्हीं औषधीय पौधों में से एक है कचनार। कचनार का वृक्ष अपने सुंदर फूलों के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके औषधीय गुण कमाल के हैं। इस लेख में हम रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital)
जानेंगे कि महिलाओं में ब्लीडिंग की समस्या में कचनार के फूल का सेवन कैसे करें, इसके क्या फायदे हैं।
कचनार के फूलों का उपयोग कैसे करें?
कचनार एक औषधीय वृक्ष है, इसके सुंदर फूल गुलाबी, बैंगनी या सफेद रंग के होते हैं, जो वसंत ऋतु में खिलते हैं। कचनार का आयुर्वेद में विशेष स्थान है। इसके फूल, छाल, पत्ते और फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार, कचनार के फूलों को सुखाकर उनका चूर्ण बनाया जाता है। इस चूर्ण को 1 से 2 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ चाटने से महिलाओं की अनियमित या अत्यधिक ब्लीडिंग की समस्या में लाभ मिलता है। यह चूर्ण सुबह-शाम या चिकित्सकीय सलाह अनुसार लिया जा सकता है। शहद न सिर्फ स्वाद को बेहतर बनाता है, बल्कि इसमें भी औषधीय गुण होते हैं। यह कचनार के असर को और अधिक प्रभावशाली बना देता है।
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कचनार के फूलों में रक्त को शुद्ध करने और रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग को कंट्रोल करने वाले गुण होते हैं। आयुर्वेद में इसे 'रक्तपित्त हर' कहा गया है, यानी यह उन रोगों में लाभदायक है जो खून से संबंधित होते हैं, जैसे ज्यादा पीरियड्स, योनि से असामान्य ब्लीडिंग आदि। शहद एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक, एंटीऑक्सीडेंट और इम्यूनिटी बढ़ाने वाला घटक है। जब कचनार के साथ इसका सेवन किया जाता है, तो यह शरीर में संतुलन स्थापित करने में सहायता करता है, खासकर पित्त और वात दोष के असंतुलन को शांत करने में।
महिलाओं में कौन-कौन सी समस्याओं में फायदेमंद है कचनार?
1. अत्यधिक मासिक धर्म
महिलाओं को अगर पीरियड्स के दौरान अत्यधिक खून आता है, कमजोरी महसूस होती है, चक्कर आते हैं तो कचनार का चूर्ण बेहद लाभकारी है। यह रक्तस्राव यानी ब्लीडिंग को कंट्रोल करता है और गर्भाशय को मजबूती देता है।
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2. अनियमित पीरियड्स - Irregular Periods
अगर माहवारी यानी पीरियड्स नियमित नहीं होते या बीच-बीच में ब्लीडिंग होती है, तो कचनार चूर्ण का सेवन हार्मोनल संतुलन को स्थापित करने में सहायक होता है।

3. फाइब्रॉइड्स और ओवरी से संबंधित समस्याएं
कचनार की छाल और फूल गर्भाशय की गांठों (फाइब्रॉइड्स) में भी फायदेमंद होते हैं। यह शरीर से विषैले तत्वों यानी टॉक्सिन को निकालने में मदद करता है और यूटेराइन हेल्थ को बेहतर बनाता है।
4. योनि स्राव - Leucorrhoea
महिलाओं में होने वाला सफेद पानी की समस्या को भी यह कंट्रोल कर सकता है। यह योनि की आंतरिक सफाई करता है और इंफेक्शन को रोकता है।
निष्कर्ष
प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद में महिलाओं की स्वास्थ्य समस्याओं के लिए वर्षों से जड़ी-बूटियों का प्रयोग होता आया है। कचनार का फूल और शहद सुरक्षित और प्रभावशाली उपाय है, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के महिलाओं की मासिक धर्म संबंधी समस्याओं में राहत दिला सकता है। हालांकि हर व्यक्ति का शरीर और स्वास्थ्य स्थिति अलग होती है, इसलिए किसी भी घरेलू उपाय को अपनाने से पहले किसी योग्य आयुर्वेदाचार्य से सलाह जरूर लें।
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FAQ
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के लक्षण
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के लक्षण कई हो सकते हैं। आमतौर पर यह अनियमित पीरियड्स, वजन बढ़ना या घटना, मूड स्विंग्स, थकान, बाल झड़ना, मुंहासे, नींद की समस्याएं और फर्टिलिटी संबंधी समस्याओं के रूप में दिखाई देते हैं। कुछ महिलाओं में चेहरे या शरीर पर ज्यादा बाल उगना और डिप्रेशन भी हो सकता है। स्किन पर ड्राईनेस, सेक्स ड्राइव में कमी और गर्मी लगने जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं। यह लक्षण उम्र, लाइफस्टाइल और स्वास्थ्य स्थितियों के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण
महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कई कारण हो सकते हैं। यह असंतुलन तनाव, खराब खानपान, नींद की कमी और लाइफस्टाइल की गड़बड़ियों के कारण होता है। थायराइड, पीसीओएस, गर्भनिरोधक गोलियों का ज्यादा सेवन, मेनोपॉज और गर्भावस्था के दौरान भी हार्मोनल परिवर्तन हो सकते हैं। इसके अलावा अनुवांशिक कारण, मोटापा, डायबिटीज भी हार्मोन असंतुलन में योगदान करते हैं। इसकी समय पर पहचान और इलाज जरूरी है।पीरियड्स आने के लक्षण
पीरियड्स आने से पहले महिलाओं के शरीर में कई बदलाव महसूस होते हैं, जिन्हें पीरियड्स आने के लक्षण कहा जाता है। इन लक्षणों में पेट या पीठ के निचले हिस्से में हल्का दर्द या ऐंठन, स्तनों में सूजन या संवेदनशीलता, मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, थकान, सिरदर्द, मुंहासे निकलना और ज्यादा भूख लगना शामिल हो सकते हैं। कुछ महिलाओं को कब्ज या दस्त, नींद में कमी और सूजन की समस्या भी होती है। ये लक्षण आमतौर पर पीरियड्स शुरू होने से कुछ दिन पहले दिखाई देते हैं और हार्मोनल बदलावों के कारण होते हैं।
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Oct 27, 2025 08:07 IST
Modified By : Anurag GuptaOct 27, 2025 08:07 IST
Published By : Akanksha Tiwari