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PCOD और PCOS में मददगार हैं कचनार की पत्तियां, जानिए फायदे और इस्तेमाल का तरीका

आजकल की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल, असंतुलित खानपान और तनाव के चलते महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। यहां जानिए,  PCOD और PCOS में कचनार की पत्तियों के फायदे और सही उपयोग।
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PCOD और PCOS में मददगार हैं कचनार की पत्तियां, जानिए फायदे और इस्तेमाल का तरीका


आज के समय में बदलती लाइफस्टाइल, असंतुलित डाइट, तनाव और हार्मोनल असंतुलन के कारण महिलाओं में कई स्वास्थ्य समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। इन्हीं में से एक है पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) और पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome), जो अब कम उम्र की लड़कियों को भी प्रभावित करने लगी है। इस स्थिति में मासिक धर्म यानी पीरियड्स अनियमित हो जाता है, वजन बढ़ने लगता है, चेहरे पर अनचाहे बाल आने लगते हैं और गर्भधारण में भी परेशानी हो सकती है। इन स्थितियों से राहत पाने के लिए आधुनिक चिकित्सा में हार्मोनल दवाएं दी जाती हैं, लेकिन इनके नुकसान भी होते हैं। ऐसे में कई लोग अब प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपचार की ओर रुख कर रहे हैं। आयुर्वेद में कचनार को एक विशेष स्थान प्राप्त है, खासकर ग्रंथि रोगों और हार्मोनल असंतुलन से जुड़ी समस्याओं में। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, पीसीओएस और पीसीओडी में कचनार के पत्ते कैसे काम करते हैं, इसका सेवन कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

PCOD और PCOS में कचनार के फायदे

कचनार एक औषधीय वृक्ष है, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है। इसके पत्ते, फूल, छाल सभी का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में होता है। आयुर्वेदाचार्य डॉ. श्रेय शर्मा बताते हैं कि कचनार विशेष रूप से ग्रंथि विकारों में लाभकारी होता है। पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) और पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) महिलाओं की ऐसी स्थितियां हैं, जिनमें अंडाशयों (ovaries) में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं। इसके कारण पीरियड्स अनियमित हो जाता है, चेहरे पर बाल आ जाते हैं, वजन बढ़ता है और फर्टिलिटी प्रभावित होती है। आयुर्वेद के अनुसार कचनार के पत्तों में शोथहर (सूजन कम करने वाला), कफनाशक और व्रणशोधक गुण होते हैं। ये गुण अंडाशयों की सूजन कम करने, सिस्ट के निर्माण को रोकने और ग्रंथियों को सामान्य करने में मदद करते हैं। कचनार के पत्तों में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो हार्मोन बैलेंस करने में सहायक होते हैं।

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डॉ. श्रेय शर्मा के अनुसार यदि कचनार के पत्तों के चूर्ण को गुग्गुल के साथ लिया जाए, तो इसके लाभ और अधिक बढ़ जाते हैं। यह संयोजन 'कचनार गुग्गुल' नाम से प्रसिद्ध है और आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसे गुल्म (गांठ), ग्रंथि (ग्लैंड), थायराइड व पीसीओडी जैसी स्थितियों में उपयोगी माना गया है।

Kachnar Uses For PCOD and PCOS

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कचनार का उपयोग कैसे करें? - How to use Kachnar

1. कचनार के पत्तों का काढ़ा

  • 5-6 ताजे पत्ते लें, अच्छी तरह धोकर 2 कप पानी में उबालें।
  • जब पानी आधा रह जाए, तो छानकर गुनगुना पी लें।
  • इसे सुबह लेना अधिक प्रभावी होता है।

2. कचनार चूर्ण

  • सूखे पत्तों को पीसकर चूर्ण बना लें।
  • रोज सुबह-शाम आधा चम्मच गुनगुने पानी या शहद के साथ लें।

सावधानियां और परामर्श

कचनार के सेवन से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर लें, विशेषकर यदि आप पहले से कोई दवा ले रही हैं।

निष्कर्ष

पीसीओडी और पीसीओएस जैसी समस्याएं आज के दौर की आम स्वास्थ्य स्थितियां हैं, जिन्हें केवल दवाओं से नहीं बल्कि लाइफस्टाइल, डाइट और नेचुरल उपचारों से कंट्रोल किया जा सकता है। कचनार जैसे आयुर्वेदिक पौधे, जो हमारे आसपास आसानी से उपलब्ध हैं, इस दिशा में एक प्रभावशाली समाधान बन सकते हैं। किसी भी औषधीय उपयोग से पहले प्रमाणित आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य लें।

All Images Credit- Freepik

FAQ

  • PCOD में क्या प्रॉब्लम होती है?

    पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disease) एक हार्मोनल समस्या है, जिसमें महिलाओं के अंडाशय (ovaries) सामान्य से अधिक अंडे बनाने लगते हैं और ये अंडे पूरी तरह परिपक्व नहीं हो पाते। इसके कारण पीरियड्स अनियमित हो जाता है या रुक जाता है। चेहरे पर बाल आना, मुंहासे, वजन बढ़ना, थकान, मूड स्विंग्स और गर्भधारण में कठिनाई जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति इंसुलिन रेजिस्टेंस और एंड्रोजन हार्मोन की अधिकता से जुड़ी होती है। समय पर इलाज न होने पर यह फर्टिलिटी और मेटाबॉलिक हेल्थ को प्रभावित कर सकती है।
  • PCOD कितने दिन में ठीक होता है?

    पीसीओडी (PCOD) कोई एक-दो दिन में ठीक होने वाली बीमारी नहीं है, बल्कि यह एक लंबी अवधि की स्थिति है, जिसे सही लाइफस्टाइल, बैलेंस डाइट, नियमित एक्सरसाइज और आयुर्वेदिक या चिकित्सकीय इलाज से कंट्रोल किया जा सकता है। इसकी अवधि व्यक्ति की उम्र, लक्षणों की गंभीरता और अपनाए गए उपचार पर निर्भर करती है। कुछ महिलाओं को 3 से 6 महीने में सुधार महसूस होने लगता है, जबकि कुछ को इससे राहत पाने में 1 साल या उससे अधिक समय लग सकता है। 
  • पीसीओएस के लक्षण क्या हैं?

    पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) एक हार्मोनल विकार है, जिसके कई लक्षण होते हैं। इसके सामान्य लक्षणों में मासिक धर्म यानी पीरियड्स का अनियमित होना या रुक जाना, अंडाशयों में सिस्ट बनना, चेहरे, ठुड्डी और शरीर के अन्य हिस्सों पर अनचाहे बाल उगना, मुंहासे, बालों का झड़ना या पतला होना, वजन बढ़ना, थकान, मूड स्विंग्स और गर्भधारण में कठिनाई शामिल हैं। ये लक्षण सभी में एक जैसे नहीं होते।

 

 

 

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