जसप्रीत बुमराह स्ट्रेस फ्रैक्चर के कारण आगामी टेस्ट सीरीज से हुए बाहर, जानें क्या है ये बीमारी

भारतीय किक्रेटर जसप्रीत बुमराह स्ट्रेस फैक्चर के कारण 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले आगामी टेस्ट सीरीज से बाहर हो गए हैं। जानें क्या है स्ट्रेस फ्रैक्चर, इसके लक्षण, कारण और इलाज।
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जसप्रीत बुमराह स्ट्रेस फ्रैक्चर के कारण आगामी टेस्ट सीरीज से हुए बाहर, जानें क्या है ये बीमारी


भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले 3 मैचों की टेस्ट सीरीज से बाहर हो गए हैं। दरसअल जसप्रीत बुमराह स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress Fracture) के शिकार हो गए हैं। जसप्रीत बुमराह कमर के निचले हिस्से में मामूली सा स्ट्रेस फ्रैक्चर हुआ है। खिलाड़ियों के लिए ही नहीं, बल्कि आम आदमी के लिए भी स्ट्रैस फ्रैक्चर भी बड़ा दर्दनाक साबित होता है। स्ट्रेस फैक्चर अक्सर तभी होता है जब शरीर में अचानक कोई खिंचाव आता है। खिलाड़ियों और एथलीट्स के साथ ऐसी संभावना बनी रहती है। इस रिफ्लेक्स एक्शन के कारण हड्डियों के बीच खिंचाव आ जाता है, जो कि एक असहनीय दर्द का कारण बनता है। आइए जानते हैं क्या है स्ट्रेस फ्रैक्चर और इसके लक्षणों और इलाज के बारे में सबकुछ।

जानिए क्या होता है स्ट्रेस फ्रैक्चर? (What is Stress Fracture)

यूं तो स्ट्रेस फ्रैक्चर अचानक से हड्डियोँ के बीच आ जाने वाला दरार है, जिसके कारण आमतौर पर तेज दर्द होता है। आम भाषा में इसे लोग अचानक से मांसपेशियों में आ जाने वाले खिंचाव के रूप में जानते हैं। कभी-कभार यह दर्द इतना बढ़ जाता है, कि लोगों को यह टूटी हुई हड्टियों के दर्द जैसा महसूस होता है। अक्सर यह परेशानी खिलाड़ियों, पहलवानों, एथलीट्स और धावकों आदि, खासकर फूटबॉल, बास्केटबॉल या किक्रेट आदि के खिलाड़ियों में ज्यादा पाई जाती है। इसके अलावा स्ट्रेस फैक्चर की परेशानी तब भी सामने आती है, जब आप अचानक से कोई शारीरिक गतिविधि या एक्सरसाइज करना शुरू करते हैं। वहीं यह भी देखने को मिलता है कि अगर यह परेशानी किसी को एक बार हो जाए तो बार बार होने की संभावना रहती है।

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स्ट्रेस फ्रैक्चर के कारण (Causes of Stress Fracture)

आमतौर पर यह परेशानी अचानक तेज गति से किसी शारीरिक काम को करने के दौरान हो सकती है। इसके अलावा बोन डेसिंटी का कम होना, विटामिन-डी या कैल्शियम की कमी इसके मुख्य कारणों में से एक है।

  • कम बोन डेसिंटी या ऑस्टियोपोरोसिस के कारण ज्यादातर लोग इस तरह के फ्रैक्चर का शिकार हो जाते हैं।
  • विटामिन-डी की कमी के कारण भी स्टैस फ्रैक्चर आपको रह-रह कर परेशान कर सकता है।
  • स्टैस फ्रैक्चर की परेशानी महिलाओं में भी काफी पाई जाती है। रो़जाना के घर के कामकाज के दौरान महिलाएं अक्सर मांसपेशियों में खिंचाव आ जाने की शिकायत करती हैं। इसका बड़ा कारण महिलाओं में पाई जाने वाली कैल्शियम की कमी है।
  • सर्दियों में आमतौर पर मसल्स में लचीलापन (फ्लेक्सिबिलिटी) नहीं होती है। इस लिए सर्दियों में अगर आप कोई भारी वजन उठाने, तेज गति की एक्सरसाइज आदि करते हैं, तो शांत मांसपेशियों में अचानक से खिंचाव आ जाता है। इस तरह हड्डियों के बीच आए हुए इस दरार का दर्द असहनीय हो जाता है।

स्ट्रेस फ्रैक्चर के लक्षण (Symptoms of Stress Fracture)

  • ऐसा दर्द जो आराम के दौरान कम हो जाए।
  • दर्द जो सामान्य, दैनिक गतिविधियों के दौरान होता हो और बेहद तेज हो।
  • पैर के ऊपर पर या टखने पर सूजन।
  • फ्रैक्चर वाली जगह पर आराम से भी छूने पर भीषण दर्द।

स्ट्रेस फ्रैक्चर से बचने के उपाय (Stress Fracture Prevention)

  • किसी भी शारीरिक काम को अचानक से उठ कर न करें।
  • दौड़ने- भागने या खेलने कूदने से पहले थोड़ा वॉर्मअप एक्सरसाइज कर लें।
  • विटानिम-डी या कैल्शियम की कमी होने पर इसका जरूरी इलाज करें।
  • हमेशा ही कुछ हल्के-फुल्के व्यायाम करते रहें, जिससे कि मांसपेशियों में लचीलापन बना रहे।

स्ट्रेस फ्रैक्चर का इलाज (Stress Fracture Treatment)

  • स्ट्रेस फैक्चर होने पर आराम करना बहुत जरूरी है, ताकि खिंची हुई मांसपेशी को आराम मिले। इसके बाद आप बर्फ के टुकड़े से दर्द वाली जगह की सिंकाई करें, ताकि मांसपेशी का तनाव कम हो और वो अपनी जगह पर वापस आ जाए।
  • गर्म पानी से सिंकाई करने के बाद कोई मरहम लगाकर उस पर गर्म पट्टी बांध लें।
  • ज्यादा दर्द होने पर डॉक्टर के पास जाएं और अच्छे से इलाज करवाएं।

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