डिप्रेशन आज एक आम बीमारी का रूप ले रही है। आज यह बीमारी किसी खास उम्र के लोगों में नहीं है बल्कि एक स्कूल जाते बच्चे से लेकर घर बैठे बूढ़े मां-बाप तक को है। इसकी एक मात्र वजह है तनाव। तनाव के कारण भले ही हर उम्र के अलग-अलग है पर बीमारी सबकी एक ही है। पर अमेरिका और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं की मानें तो 40 या इससे ज्यादा उम्र के व्यक्ति डिप्रेशन के ज्यादा शिकार हो रहे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन के शोधकर्ताओं का मानें तो 40 की उम्र में पहुंचने के बाद व्यक्ति में अवसादग्रस्त होने की आंशका बढ़ जाती है। करीब 44 साल की उम्र होने पर तो यह आशंका चरम पर होती है। जिंदगी के शुरुआती और आखिरी दौर में व्यक्ति खुशहाल रहता है, जबकि बीच के हिस्से में दुख और अवसाद ही आते हैं। आइए हम आपको बताते हैं इस शोध के बारे में।
क्या कहता है शोध ?
शोधकर्ताओं का नतीजा 80 देशों के करीब 20 लाख से अधिक लोगों से संबंधित आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद आया है। अध्ययन में कहा गया है कि अक्सर लोग प्रौढ़ावस्था में, खास कर 44 साल की उम्र के आसपास सबसे ज्यादा अवसादग्रस्त महसूस करते हैं। उनका कहना है कि लोग मानते हैं कि जैसे-जैसे वे मृत्यु के करीब जाएंगे, खुशियां उनसे दूर होती जाएंगी। लेकिन सच इसके ठीक उलट है। प्रौढ़ावस्था में लोगों की खुशियों और अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का स्तर कम होता है। लेकिन यह सब अचानक नहीं, बल्कि धीरे-धीरे होता है। लेकिन 70 की उम्र तक पहुंचते- पहुंचते एक बार फिर व्यक्ति 20 साल के युवा की तरह खुश और दिमागी तौर पर चुस्त हो जाता है। आखिर क्यों है ऐसा आइए जानते हैं इसकी वजह
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शोधकर्ता ने इस उम्र में तनावग्रस्त होने के ये निम्न कारण बताएं हैं:
- इस उम्र में लोग अपने पास्ट और उनकी गलतियों को याद करके अक्सर पछताते हैं
- युवावस्था में व्यक्ति की तमाम महत्वाकांक्षाएं होती हैं, लेकिन प्रौढ़ावस्था में ये सपने टूटने का दर्द झेलना पड़ता है।
- हर किसी का हर सपना सच तो नहीं हो सकता, इसलिए इस उम्र के लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं।
- 30-40 वर्ष के दौरान हकीकत से सामना होता है। लिहाजा यह दौर मुश्किल होता है।
- उम्र बढ़ने पर व्यक्ति कई चीजों की अहमियत समझता है।
- कोई उम्रदराज व्यक्ति अगर अपने सामने किसी को मरते देखता है तो उसे यह सोच कर खुशी होती है कि वह जिंदा तो है।
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अवसाद से बचने के उपाय-
- समस्या के बारे में बात करें
- निंद पूरी करें।
- व्यायाम या योग करें।
- खुद को समय दें।
- अच्छी पुस्तकों के पढ़ें इससे मन कुछ देर के लिए बदल जाएगा।
- मन में उठे सवालों को शांत करें
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