बढ़ते प्रतिस्तपर्धात्मक समाज में व्यक्ति सुकून की जिंदगी नहीं जी पाता। ऐसे में काम की चिंता, तो भविष्य में ज्यादा एचिव करने की चिंता, तो वहीं, खुद को समय न दे पाना, हेल्दी डाइट को फॉलो न कर पाना, आदि ऐसे अनेक रिस्क फैक्टर हैं, जो मस्तिष्क पर असर डालते हैं और मस्तिष्क संबंधी बीमारियों के जनक बनते हैं। उन्हीं बीमारियों में से एक प्रमुख बीमारी है स्ट्रोक यानि मस्तिष्क का दौरा। इन स्ट्रोक में से भी सबसे कॉमन स्ट्रोक है, इस्केमिक स्ट्रोक (Ischemic stroke)। जिसके बारे में हमने दिल्ली के मैक्स अस्पताल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मुकेश कुमार (Dr. Mukesh Kumar, Neurologist, Max Hospital, Delhi) से बात की। आज के इस लेख में डॉ. मुकेश कुमार से हम जानेंगे कि यह इस्केमिक स्ट्रोक क्या है, क्यों होता है और इससे बचा कैसे जा सकता है।
इस्केमिक स्ट्रोक क्या है? (What is ischemic stroke in hindi)
जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता, और रक्त का प्रवाह बाधित होता है, तब स्ट्रोक या मस्तिष्क के दौरे की स्थिति आती है। भारत में स्ट्रोक से जान जाना प्रमुख कारणों में से एक है। कई तरह के स्ट्रोक होते हैं, जिनमें सबसे आम इस्केमिक स्ट्रोक है। Centers for Disease Control and Prevention के मुताबिक 87 फीसद स्ट्रोक इस्केमिक होते हैं। डॉ. मुकेश कुमार ने बताया कि यह इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब ऑक्सीजन युक्त रक्त को मस्तिष्क तक ले जाने वाली धमनियों में ब्लॉकेज हो जाता है। धमनियों में रक्त का थक्का बन जाता है। जिससे मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह नहीं होता और इस्केमिक स्ट्रोक होता है। यह थक्का इसलिए बनता है क्योंकि रक्त वाहिकाओं में फैट जम जाता है।
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इस्केमिक स्ट्रोक के कारण (Causes of ischemic stroke in hindi)
हाइपरटेंशन
उच्च रक्त चाप की समस्या को हाइपरटेंशन कहा जाता है। उच्च रक्तचाप आपके रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव डालता है, जिस वजह से रक्त वाहिका को मस्तिष्क के अंदर फट सकती है। इस वजह से हाइपरटेंशन को इस्केमिक स्ट्रोक का प्रमुख कारण माना जाता है।
शुगर
शरीर में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने से इस्केमिक स्ट्रोक होता है। जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल सामान्य होता है, उनमें यह परेशानी कम दुखदायी होती है। इसलिए शुगर लेवल पर नियंत्रण करना जरूरी है।
स्मोकिंग
धूम्रपान केवल हृदय रोगों का ही कारण नहीं बनता, बल्कि मस्तिष्क रोगों का भी कारण बनता है। डॉ. मुकेश कुमार का कहना है कि धुम्रपान इस्केमिक स्ट्रोक का प्रमुख कारण है। उनका कहना है कि स्मोकिंग करने से इस्केमिक स्ट्रोक होने की आशंका दोगुनी हो जाती है। स्मोकिंग से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या भी होती है, यह इस्केमिक स्ट्रोक का प्रमुख कारण बनता है। हाई ब्लड प्रेशर आर्टरीज को डैमेज करता है। इस वजह से स्ट्रोक की संभावना बनती है।
हार्ट डिजीज
हार्ट डिजीज के कारण भी इस्केमिक स्ट्रोक होते हैं। दिल का दौरा पड़ने पर भी ब्लड क्लॉटिंग हो जाती है, ऐसे ही इस्केमिक स्ट्रोक में भी होता है। पर इस्केमिक स्ट्रोक मस्तिष्क से जुड़ा है और हार्ट का मामला दिल के दौरे से। इसलिए दोनों में कन्फ्यूज न हों।
कोलेस्ट्रोल
कोलेस्ट्रोल के कारण भी रक्त वाहिकाओं में प्लाक जम जाता है, जिस वजह से मस्तिष्क से रक्त का प्रवाह बाधित होता है और इस्केमिक स्ट्रोक होता है। बैड कोलेस्ट्रोल के बढ़ने की वजह से प्लाक ज्यादा बनता है, जिससे इस्केमिक स्ट्रोक होता है। तो वहीं, हाइपर कोलेस्ट्रोल भी स्ट्रोक का कारण बनता है।
एथेरोसेलेरोसिस (Atherosclerosis)
एथेरोसेलेरोसिस को carotid artery disease भी कहा जाता है। जिन लोगों को यह बीमारियां होती हैं, उनमें स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है। तो वहीं, जिन परिवारों में इन बीमारियों की हिस्ट्री रही है, उनमें भी स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है।
अनहेल्दी लाइफस्टाइल
जो लोग अनहेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाते हैं। समय से एक्सरसाइज न करना, खानपान का ध्यान न रखना, आदि कारणों से शरीर में मोटापा बढ़ता है। यह वजहें धमनियों में प्लाक जमाती हैं, जिस वजह से मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बाधित होता है, और स्ट्रोक होता है। ज्यादा मोटापा भी स्ट्रोक का कारण है।
बढ़ती उम्र
बढ़ती उम्र में धमनियां भी कमजोर होने लगती हैं, जिस वजह से स्ट्रोक की संभावना बढ़ती है। शरीर उतना सक्रिय नहीं रहता जितना 55 की उम्र से पहले होता है, ऐसे में प्लाक जमने की संभावना बढ़ जाती है, जिस वजह से स्ट्रोक होता है।
ट्राजिएंट इस्केमिक स्ट्रोक ( transient ischemic attack (TIA))
डॉ. मुकेश का कहना है जिन परिवार में मिनी स्ट्रोक या ट्राजिएंट इस्केमिक स्ट्रोक हुआ होता है, उनमें भी इस्केमिक स्ट्रोक होने की आशंक बढ़ जाती है। ट्राजिएंट स्ट्रोक में दिमाग में टैंपररी ब्लड ब्लॉकेज हो जाता है।
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कैसे पहचानें इस्केमिक स्ट्रोक को (Symptoms Of Ischemic Stroke in hindi)
- चेहरे का पैरालाइस होना या लकवा होना।
- आवाज में दिक्कत, बोलने में दिक्कत होना। ऐसे मरीज धीरे बोल पाते हैं, उन्हें बोलने में कठिनाई होती है।
- एक हाथ या पैर में भी लकवा या पैरालाइसिस हो जाता है।
- हाथ या पैरे में सुन्नपन या लकवा होने पर चलने फिरने में दिक्कत होना।
- आंखों से धुंधला दिखना या डबल दिखना या अंधेरा छा जाना भी स्ट्रोक की पहचान हो सकती है।
- इस्केमिक स्ट्रोक में चक्कर आने की समस्या भी हो सकती है। व्यक्ति अपने शरीर को बैलेंस नहीं कर पाता।
- बिना किसी कारण के सिर में तेज दर्द होना भी इस्केमिक स्ट्रोक का कारण है।
इस्केमिक स्ट्रोक का इलाज और बचाव (Treatment and Prevention of ischemic stroke in hindi)
इस्केमिक स्ट्रोक होने पर मरीज को जल्दी से जल्दी इलाज के लिए अस्पताल में पहुंचाना चाहिए। जल्दी और समय पर इलाज मिलने से व्यक्ति की जान बच सकती है। थोड़ी सी देरी किसी की जान ले सकती है। डॉक्टर्स निम्न तरीकों से मरीज की जान बचाते हैं।
ब्लड थिनर
डॉ. मुकेश कुमार का कहना है कि इस्केमिक स्ट्रोक होने पर प्राथमिक तौर पर ब्लड थिनर से मरीज का इलाज किया जाता है। ब्लड थिनर खून को पतला करते हैं, जिससे धमनियों में जमा क्लाट पिघलता है और रक्त का प्रवाह ठीक होता है।
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ब्लड क्लॉट को निकलाना
व्यक्ति में अगर इस्केमिक स्ट्रोक के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो लक्षण दिखने के 6 घंटों के अंदर ब्लड क्लॉट बाहर निकालना होता है, जिससे किसी मरीज की जान बचाई जा सकती है। यह क्लॉटिंग सर्जरी के माध्यम से बाहर निकाली जाती है।
ब्लड प्रेशर नियंत्रण
ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण करके भी इस्केमिक स्ट्रोक से बचा जा सकता है। सही खानपान, नियमित व्यायाम करने से इस परेशानी पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
शुगर नियंत्रण
शुगर के लेवल बढ़ने से इस्केमिक स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है, शुगर को हेल्दी लाइफस्टाइल से नियंत्रित किया जा सकता है।
हेल्दी लाइफस्टाइल
हेल्दी लाइफस्टाइल कई बीमारियों से बचा सकता है। इसलिए कम खाएं, अच्छा खाएँ। एक्सरसाइज करें। अपना सोशल ग्रुप बनाएँ। तनाव का प्रबंधन करें।
जैसा कि हम जानते हैं कि 87 फीसद स्ट्रोक इस्केमिक होते हैं। ऐसे में स्ट्रोक से बचना जान बचाने के लिए जरूरी है। स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर किसी की जान बचाई ज सकती है।
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