देर तक बैठकर काम करने की आदत बढ़ा रही है हार्ट की बीमारियों और स्ट्रोक से होने वाली मौत की घटनाएं: WHO

डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि प्रति सप्ताह 55 घंटे से अधिक काम करना हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी समस्या को जन्म दे रहा है।  
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देर तक बैठकर काम करने की आदत बढ़ा रही है हार्ट की बीमारियों और स्ट्रोक से होने वाली मौत की घटनाएं: WHO

कोरोनावायरस महामारी के प्रकोप के चलते दुनियाभर के तमाम देशों में कंपनियों और पेशेवर लोगों ने वर्क फ्रॉम होम के चलन को बढ़ावा दिया है। चूंकि घर से काम करने की वजह से लोगों में देर तक बैठकर काम करने की आदत देखी जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा किये गए एक शोध के मुताबिक देर तक बैठ कर काम करना जानलेवा साबित हो सकता है। डब्ल्यूएचओ (WHO) की तरफ से जारी किये गए इस रिपोर्ट के मुताबिक देर तक बैठकर काम करने की वजह से हृदय से जुड़े रोग और स्ट्रोक की संभावना बढ़ी है और इसकी वजह से तमाम लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, लंबे समय तक काम करने के कारण 2016 में स्ट्रोक और इस्केमिक हृदय रोग से 745,000 लोगों की मृत्यु हुई थी, जिसमें 2000 के बाद से 29 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है।

देर तक बैठकर काम करने से बढ़ रहे स्ट्रोक और हृदय से जुड़े मामले (Sitting for Long Hours Increasing Risk of Heart Conditions)

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डब्ल्यूएचओ और आईएलओ ने संयुक्त रूप से लंबे समय तक काम करने से जुड़े स्वास्थ्य संबंधी नुकसान को लेकर दुनिया का पहला विश्लेषण जारी किया है। इस शोध के मुताबिकअनुमान है कि, 2016 में हर सप्ताह कम से कम 55 घंटे काम करने वाले लोगों में स्ट्रोक की वजह से 3.98 लाख और हृदय रोग की वजह से 3.47 लाख लोगों की मृत्यु हुई। 2000 और 2016 के बीच, लंबे समय तक काम करने के कारण हृदय रोग से होने वाली मौतों की संख्या में 42% और स्ट्रोक से होने वाली मौतों की संख्या में 19% की वृद्धि हुई।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया को चेताया (WHO Warning on Long Working Hours)

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कोरोनावायरस महामारी के कारण घर पर रहकर काम कर रहे पेशेवर लोगों के काम करने के समय में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में इस स्थिति को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा किये गए शोध के नतीजे चिंताजनक हैं। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्येयियस ने कहा, "कोविड-19 महामारी ने कई लोगों के काम करने के तरीके को काफी बदल दिया है। महामारी के कारण घर से काम करने का चलन लगातार बढ़ रहा है। कोई नौकरी स्ट्रोक या हृदय रोग के जोखिम के लायक नहीं है। श्रमिकों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।" वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन में पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य विभाग की निदेशक डॉ मारिया नियारा ने कहा कि, "प्रति सप्ताह 55 घंटे या उससे अधिक काम करना स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। यह समय है कि हम सभी, सरकारें, नियोक्ता और कर्मचारी इसके प्रति जागरूक हों और समझें कि लंबे समय तक काम करने से मौत का खतरा अधिक हो रहा है।" विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस खतरे को कम करने के लिए सरकारों, कंपनियों और कर्मचारियों को इन बातों पर विचार करने की सलाह दी है।

  • सरकारों को काम करने की अधिकतम सीमा को तय करने का नियम लागू करना चाहिए। 
  • कंपनियों और काम करने वाले लोगों के बीच स्वास्थ्य को मद्देनजर रखते हुए काम करने के अधिकतम समय पर आपसी सहमति बनानी चाहिए।
  • वर्क फ्रॉम होम के माध्यम से काम कर रहे लोगों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि काम करने का समय प्रति सप्ताह 55 घंटे से अधिक न हो।

इस मामले पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट (Expert Tips for Working From Home)

लंबे समय तक बैठकर काम करने से होने वाले खतरे और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को लेकर हमने दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ के के  कपूर (DR. K. K. KAPUR) से बातचीत की। उन्होंने हमें बताया कि वर्क फ्रॉम होम की वजह से लोगों के हृदय स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जरूर पड़े हैं। डॉ कपूर ने बताया कि वर्क फ्रॉम होम में वर्क लाइफ और निजी जिंदगी के संतुलन में कमी आयी है। लम्बे समय तक बैठकर काम करना भी सेहत के लिए बेहद बुरा साबित हो रहा है। ऐसे घर से काम कर रहे लोगों को अपने खानपान और मानसिक स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। नियमित रूप से व्यायाम, संतुलित भोजन और काम के बीच में समय-समय पर थोड़ा ब्रेक लेना फायदेमंद होगा। किसी भी प्रकार की समस्या की स्थिति में अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।

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