वर्क फ्रॉम होम (Working From Home) के कारण ज्यादातर लोग परेशान हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि आपको लगातार ऑनलाइन रहना पड़ता है। आपके ऑफिस का काम हो रहा हो या खत्म हो गया हो, आप अपने मोबाइल का नेट ऑफ नहीं कर सकते हैं। दिन हो या रात आपको ऑन ड्यूटी रहना ही है। इस तरह का रूटीन आपको शारीरिक तौर से ज्यादा मानसिक तौर पर परेशान कर सकता है। हाल ही में आए साप्ताहिक स्क्रीन समय की रिपोर्ट की मानें, तो इस महामारी के कारण लोग पहले से लगभग 30% ज्यादा ऑनलाइन रहते हैं। इसके कारण लोगों में मेंटल स्टेबिलिटी (Mental Health) घटने लगती है और डिप्रेशन, एंग्जायटी और नींद से जुड़े विकार बढ़ सकते हैं। तो आइए जानते हैं वर्क फ्रॉम होम के दौरान अपने स्क्रीन टाइम को कैसे कम किया जाए।
स्क्रीन टाइम को कम करने का तरीका (How to create screen life balance)
काम के बीच हर घंटे बाद लैपटॉप को स्लीप मोड में डाल दें
लैपटॉप को स्लीप मोड में डालने से न सिर्फ आपको आराम मिलेगा, बल्कि आपके लैपटॉप को भी ठंडा होने का वक्त मिलेगा। इसके लिए काम करने के दौरान आप हर एक घंटे और दो घंटे बाद लैपटॉप को स्लीप मोड में लगा दें और आंखों को कुछ देर बंद करके आराम दें। आप चाहें तो इस बीच अपने आंखों को धो कर भी आ सकते हैं। वहीं बीच-बीच में आप अपनी आंखों को मसाज देने का भी काम करें और थोड़े देर के लिए बॉडी को स्ट्रेच करने वाले एक्सरसाइज करें।
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अपने भोजन को स्क्रीन-फ्री का आनंद लें
भले ही आपके पास जितना भी काम क्यों न हो, इसके लिए अपने खाने को नजरअंदाज न करें। टीवी, कंप्यूटर या सेलफोन के सामने भोजन करने का मतलब न केवल अधिक स्क्रीन टाइम है, बल्कि ये आपके अंदर एंग्जायटी पैदा कर सकती है। आप किसी के साथ रहते हैं, तो भोजन थोड़ा सामाजिक संपर्क के लिए भी एक अच्छा समय हो सकता है। अगली बार जब आप भोजन के लिए बैठते हैं, तो टीवी बंद करने और अपने फोन को दृष्टि से बाहर रखने का प्रयास करें। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आपका मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) पर गहरा प्रबाव पड़ सकता है।
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बातचीत के लिए मैसेज टेक्सटिंग की जगह फोन करने की आदत डालें
फोन कॉल एक लुप्त कला बन रही है। हममें से कई लोग इनकमिंग कॉल्स को नजरअंदाज कर देते हैं, इसके बजाय टेक्स्ट या ईमेल से जवाब देना पसंद करते हैं। ऐसे में हमें फोन करने की आदत डालनी चाहिए। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि आपको सीधे बात करते चीजें जल्दी समझ भी आ जाएंगी और आपको मैसेज की तरह रिप्लाई का इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा। वहीं आवाज का संचार को निर्देशित करने का मनोवैज्ञानिक लाभ है, जो स्क्रीन पर अक्षरों की तुलना में ज्यादा है। साइकोलॉजी टुडे के अनुसार, टेक्सटिंग (texting) को बात करने से बदलना रिश्तों को भी बचा सकता है। वहीं इससे आपकी आंखों को आराम मिलेगा और स्क्रीन टाइमिंग भी कम होगी।
इलेक्ट्रॉनिक-मुक्त क्षेत्र बनाएं
जैसा कि लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से हमारी प्रौद्योगिकी का उपयोग अचानक रूप से बढ़ गया है। ऐसे में हम अपने उपकरणों में कुछ सेटिंग्स करके खुद को आराम दे सकते हैं। जैसे कि फोन बंद करें और ऑफिस वालों को सूचित करें कि इस एक घंटे के लिए आप उपलब्ध नहीं रहेंगे। इसके बाद अपने घर में ऐसे क्षेत्रों को बनाएं जहां तकनीकी उपकरणों की अनुमति न हो। इस तरह जब आप टेलीविजन या अपने फोन पर नहीं देख रहे हैं, तो अपने प्रियजनों के साथ क्वारंटाइन में क्वालिटी टाइम बिताने का तरीका हो सकता है।
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काम के बीच में भी क्रिएटीव चीजें करें
जैसे काम के दौरान आप खुद के लिए कुछ देर गाना गाएं। इसके अलावा लैपटॉप पर गाना लगाकर डांस करें। इन दोनों का मन न हो तो अपने लिए कॉफी या ड्रिंक बना कर ले आएं। इस तरह छोटा-छोटी चीजों के जरिए आप अपने स्क्रीन टाइम को कम करने की कोशिश कर सकते हैं।
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