स्तनपान कराते समय फोन के इस्तेमाल से शिशु को हो सकती हैं कई परेशानियां, डॉक्टर से जानें इनके बारे में

शिशु का विकास ब्रेस्टफीडिंग पर टिका है। इसलिए मां को ब्रेस्टफीड कराते समय स्मार्टफोन का इस्तेमान नहीं करना चाहिए।  
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स्तनपान कराते समय फोन के इस्तेमाल से शिशु को हो सकती हैं कई परेशानियां, डॉक्टर से जानें इनके बारे में


आजकल मोबाइल के बिना जिंदगी की कल्पना करना मतलब ऑक्सीजन के बिना जीवन जीना हो गया है। ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माताएं भी इस मोबाइल के स्पर्श से अछूती नहीं हैं। कई बार होता है कि बच्चा जब मां का दूध पीना सीख जाता है तब माताएं स्मार्टफोन का प्रयोग टाइमपास के लिए करने लगती हैं। इस दौरान वे यूट्यूब, वॉट्सऐप या फेसबुक जैसे ऐप्स का प्रयोग करती हैं, लेकिन क्या आप जानती हैं कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान स्मार्टफोन का इस्तेमाल शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकता है। 

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इस बारे में अधिक जानकारी के लिए हमने बात कि पारस अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अल्का कृपलानी से। वरिष्ठ डॉक्टर अल्का ने बताया कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ‘टेक्सटिंग’ को ‘ब्रेक्सटिंग’ कहा जाता है। उन्होंने बताया कि ब्रेस्टफीडिंग और टेक्सटिंग दो अलग चीजें हैं, इन्हें अलग ही रखना चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे करते समय मां और शिशु के बीच रिश्ता बनता है, लेकिन अगर मां का ध्यान मोबाइल पर रहेगा तो यह भावनात्मक रिश्ता नहीं बन पाएगा। तो इस ब्रेस्टफीडिंग वीक (Breastfeeding Week 2021) में बात करते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मां को मोबाइल फोन का इस्तेमाल क्यों नहीं करना चाहिए?

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मोबाइल फोन इस्तेमाल न करने के कारण

मैंने अपनी मम्मी से पूछा जब हम पैदा हुए थे तब हमें ब्रेस्टफीडिंग कराते समय आपका ध्यान हमारे ऊपर रहता था या नहीं? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, जब हम बच्चे को दूध पिलाते हैं तो पूरा ध्यान बच्चे पर देना होता है। अगर बच्चे पर ध्यान नहीं दिया तो उसकी सांस रुक सकती है। क्योंकि मां का स्तन आकार में बड़ा होता है और शिशु का मुंह छोटा। जिससे स्तन के नीचे बच्चे का मुंह ढंक सकता है और उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इस सवाल का विस्तार से जवाब लेने के लिए हमने डॉक्टर से अल्का से भी बात की। आइए जानते हैं कि उन्होंने वे कौन से कारण बताए हैं जिनकी वजह से शिशु को दूध पिलाते समय स्मार्टफोन का इस्तेमान नहीं करना चाहिए।

ध्यान भटकता है

डॉक्टर अल्का कहना है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान जब मां का ध्यान स्मार्टफोन पर रहता है तो उससे मां और शिशु दोनों का ध्यान भटकता है। ऐसे में शिशु को सही से दूध नहीं मिल पाता। कई बार शिशु दूध पीने की जद्दोजहद कर रहा होता है, लेकिन मां का ध्यान स्तन पर न होकर स्मार्टफोन पर होता है जिससे शिशु की भूख पूरी नहीं होती और वह रोने लगता है। 

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शिशु की गर्दन का लटकना

स्तनपान के दौरान अगर मां का ध्यान शिशु पर नहीं है तो उससे शिशु की दूध पीने की पोजीशन बदल सकती है। कई बार देखा गया है कि शिशु की गर्दन नीचे लटक जाती है। क्योंकि शिशु उस समय खुद को बैलैंस नहीं कर पाता है। ऐसे में जरूरी है कि शिशु को दूध पिलाते समय पूरा ध्यान बच्चे पर हो। 

सांस का रुकना

जैसा कि मैंने आपको अपनी मम्मी की बात बताई। ठीक वैसे ही डॉ. अल्का कहना है कि दूध पिलाते समय बच्चे की सांस रुक सकती है। स्मार्टफोन की वजह से मां का ध्यान शिशु पर नहीं जा पाता, ऐसे में शिशु का मुंह स्तन के नीचे दब सकता है। वह रो नहीं पाएगा और उसकी सांस घुटने लग सकती है। स्तनपान के दौरान मां की थोड़ी सी लापरवाही शिशु की जान पर बन आएगी। इसलिए कहा जाता है कि माताओं को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पूरा ध्यान शिशु पर रखना चाहिए।

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डॉ. अल्का ने बताया कि अगर मां का ध्यान शिशु के ऊपर नहीं है और शिशु की दूध पीने की पोजीशन ठीक नहीं है तो उससे दूध शिशु के ट्रेकिया (वायु नली) में फंस सकता है। जिस वजह से उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो सकती है। 

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रेडिएशन

स्मार्टफोन से निकलने वाले माइक्रोवेव रेडिएशन शिशु की सेहत के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं। इसलिए मां को दूध पिलाते समय पूरा ध्यान बच्चे पर देना चाहिए। सिर्फ दूध पिलाते समय ही नहीं बल्कि शिशु से हमेशा मोबाइल को दूर रखना चाहिए। 

ब्रेस्टफीडिंग एक जरूरी प्रक्रिया है। शिशु का विकास इसी ब्रेस्टफीडिंग पर टिका है। इसलिए मां को ब्रेस्टफीड कराते समय स्मार्टफोन का इस्तेमान नहीं करना चाहिए।

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