शुरुआत के 6 महीने शिशु के लिए स्तनपान कराना जरूरी है। यही स्तनपान शिशु के विकास की नींव बनता है। ऐसे में स्तनपान कराने वाली माताओं को अपने खानपान का विशेष ख्याल रखना चाहिए। वे जो खाती हैं, उसका सीधा असर शिशु के स्वास्थ्य पर पड़ता है। आजकल की बदलती जीवनशैली में महिलाएं भी शराब का सेवन करती हैं। ऐसे में यह समझना जरूरी है कि क्या स्तनपान (Alochol And Breastfeeding) कराने वाली माताओं को एल्कोहल का सेवन करना चाहिए या नहीं। इस पर हमने बात की नमामी लाइफ में न्युट्रीशनिस्ट डॉ. शैली तोमर से। तो आइए विस्तार से समझते हैं।
स्तनपान के दौरान एल्कोहल का सेवन करना चाहिए या नहीं?
नमामी लाइफ में न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि शराब का सेवन किसी के लिए भी ठीक नहीं होता। तो वहीं, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाला महिलाओं के लिए और भी नुकसानदायक होता है। डॉक्टर शैली तोमर का कहना है कि एल्कोहल ब्रेस्ट मिल्क में मिल जाता है, जो शिशु के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित होता है।
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शराब के सेवन से शिशु और मां की सेहत को नुकसान
न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर ने स्तनपान के दौरान मां के द्वार शराब का सेवन करने से मां और शिशु दोनों को नुकसान बताए हैं। यह नुकसान निम्न प्रकार हैं-
ब्रेस्ट मिल्क में शराब का घुलना
न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के द्वारा एल्कोहल का सेवन करना उनकी सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। यह अल्कोहल ब्रेस्ट मिल्क में 60 मिनट में घुल जाता है और 2-3 घंटे तक ब्रेस्ट मिल्क में रहता है। इस दौरान अगर शिशु मां का दूध पीता है तो वह एल्कोहल बच्चे के शरीर में जाएगा। इससे शिशु को नुकसान हो सकता है।
ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन कम होना
न्यूट्रीशनिस्ट शैली तोमर का कहना है कि 1970 में यह माना जाता था कि बीर पीने से ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन बढ़ता है। क्योंकि यह जौं से बनती है। हालांकि, सच इसके उलट है। अल्कोहल ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन को कम करता है। यहां तक कि अगर मां अपने वजन के अनुसार 0.5 ग्राम अल्कोहल लेने पर भी 20 फीसद मिल्क प्रोडक्शन कम हो जाता है। यह कमी 1 घंटे के अंदर होने लगती है। इससे यह साबित होता है कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
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हार्मोन का सिक्रीशन
एल्कोहल का सेवन करे से हार्मोन का सिक्रीशन होता है। ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन का स्राव कम हो जाता है। ऑक्सीटोसिन एक हार्मोन है जो ब्रेस्ट मिल्क सप्लाई को बूस्ट करता है और शिशु व मां के बीच इंटीमेशी को बढ़ाता है। इसलिए इसे लव हार्मोन भी कहा जाता है। शरीर में ऑक्सीटोसिन की सप्लाई कम होने से ब्रेस्ट मिल्क का प्रोडक्शन कम हो जाता है। साथ ही इसकी कमी से नई माताओं में तनाव और पोस्टपार्टम डिप्रेशन भी बढ़ता है।
दूध का स्वाद बदलना
जो महिलाएं नियमित रूप से स्तनपान के दौरान एल्कोहल का सेवन करती हैं तो उनके दूध का स्वाद भी बदल जाता है। अगर दूध पिलाने से ठीक पहले मां शराब का सेवन करती है तो मिल्क का प्रोडक्शन 40 फीसद कम हो जाता है। हो सकता है कि दूध का बदला हुआ यह टेस्ट शिशु को पसंद न आए।
मिल्क इजैक्शन रिफ्लैक्स की कमी
अल्कोहल पीने से मिल्क इजैक्शन रिफ्लैक्स की कमी हो जाती है। मिल्क इजैक्शन से मतलब है कि जब शिशु मां के निप्पल्स को चूसता है, तो ज्यादा मिल्क प्रोक्शन होता है। लेकिन जो माताएं एल्कोहल का सेवन करती हैं उनमें इसकी कमी हो जाती है। यही कारण है कि ऐसे में शिशु की भूख पूरी नहीं होती और वह भूखा रह जाता है।
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शिशु की नींद में उतार-चढ़ाव
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मैं अगर शराब का सेवन करती है उसकी वजह से शिशु की नींद का पैटर्न बिगड़ सकता है। नींद पूरी न होने से शिशु इरिटेट रहेगा और साथ ही कमजोर भी हो जाएगा।
पंप ऐंड पंप विधि
अव्वल तो आदर्श स्थिति यह है कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन अगर आप फिर भी कभी-कभी शराब का सेवन करती हैं तो कोशिश करें कि शिशु को दूध पिलाने के 2-3 घंटे बाद करें। इतनी देर में ब्रेस्ट मिल्क से एल्कोहल का लेवल कम हो जाता है। अच्छा होगा अगर लैक्टेटिंग मदर बच्चे को दूध पलाने से पहले दूध को पंप करके बाहर निकाल दे। इस प्रकिया को अंग्रेजी में पंप ऐंड पंप विधि कहा जात है। इस तरह से दूध को बाहर निकालने से दूध में मिली शराब बाहर निकल जाती है और शिशु को बिना शराब का दूध पीने के मिलता है।
मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान
लगातार शराब पीने से माताओं के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है। शराब का साइकॉलिजिकल इंपैक्ट पड़ता है। एल्कोहल ब्रेन सेल्स के लिए नुकसानदायक होता है। शराब इन कोशिकाओं को नष्ट करती है। एक तरह से कहा जाए तो शराब दिमाग की कोशिकाओं के लिए जहर की तरह काम करती है। शराब सोच समझने की क्षमता पर भी असर डाल सकती है। इसके साथ ही आपमें फैसला करने की क्षमता पर भी प्रभाव प़ड़ता है। शराब शिशु और मां दोनों के लिए नुकसानदायक होती है।
दिमागी विकास पर असर
अगर स्तनपातन कराने वाली मां लगातार शराब का सेवन कर रही है तो इसका प्रभाव शिशु के दिमागी विकास पर भी पड़ता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव
जो माताएं स्तनपान के दौरान शराब का सेवन करती हैं, उनके शिशु में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। मां के दूध में ऐसे गुण होते हैं जो शिशु के इम्युन सिस्टम को मजबूत करते हैं, लेकिन अगर मां शराब पी रही है तो उससे शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर प्रभाव पड़ेगा और शिशु जल्दी बीमार पड़ेगा।
स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए शराब का सेवन करना उनकी और शिशु दोनों की सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए नई माओं को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान शराब के सेवन से बचना चाहिए। शराब मिल्क प्रोडक्शन भी कम करती है साथ ही शिशु के दिमागी विकास पर भी प्रभाव डालती है। इसलिए इस ब्रेस्टफीडिंग वीक में आप खुद से यह वादा करें कि अगर आप शराब पीती हैं तो अब अपने शिशु की सेहत की खातिर इस शराब को नहीं पीएंगी। इससे आपकी और आपके शिशु की दोनों की सेहत अच्छी रहेगी।
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