स्तनपान कराने वाली महिलाओं में इन 5 कारणों से बढ़ जाता है तनाव, जानें इससे बचाव के टिप्स

अगर आप भी नई मां बनी हैं और शिशु को स्तनपान कराने के दौरान आपका तनाव बढ़ जाता है, तो जानें इस तनाव का आप पर असर और इससे बचाव के 5 उपाय।
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स्तनपान कराने वाली महिलाओं में इन 5 कारणों से बढ़ जाता है तनाव, जानें इससे बचाव के टिप्स

घर में एक नए सदस्य के आने के बाद जहां एक तरफ खुशी होती है वहीं मां की जिम्मेदारियां और चिंता बढ़ जाती है। काम के साथ-साथ बच्चे को पालने और उसकी अच्छी परवरिश करने में बहुत मेहनत लगती है। ज्यादातर नई मांओं के लिए ये बहुत तनावपूर्ण होता है। पहली बार मां बनने वाली ज्यादातर महिलाओं में ब्रेस्ट फीडिंग को लेकर चिंता देखी जाती है। बच्चे को बार-बार दूध पिलाना, पब्लिक प्लेस पर बच्चे के साथ ट्रैवेल करना और कई बार बच्चे के आसानी से दूध न पीने के कारण परेशान होने जैसी कई स्थितियों का उन्हें सामना करना पड़ता है। इसलिए ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़ा स्ट्रेस नई मांओं की सेहत पर कई बार भारी पड़ने लगता है। इस स्ट्रेस का असर महिला के ब्रेस्ट में बनने वाले दूध की मात्रा और क्वालिटी को भी प्रभावित करता है। अगर आप भी ऐसी किसी परेशानी से जूझ रही हैं, तो डॉ रंजना बैकन, गायनोकोलॉजिस्ट, कोलंबिया एशिया हॉस्पिटल से जानें कि इस तनाव का आपकी सेहत पर क्या असर पड़ता है और इससे आप कैसे बच सकती हैं।

breast feeding stress

डॉ. रंजना के अनुसार स्ट्रेस (तनाव) ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन और इजेक्शन (निकलना) दोनों पर ही प्रभाव डालता है। शोध के मुताबिक तनाव लेने से ऑक्सीटोसिन रिलीज होना कम हो जाता है। जैसे-जैसे तनाव (Stress) बढ़ता है ऑक्सीटॉसिन की मात्रा घटती चली जाती है। फिर इस कारण दूध की मात्रा भी कम हो जाती है। यह तनाव लेक्टोजेनेसिस का भी कारण बनता है। आप सोचेंगी लेक्टोजेनेसिस क्या है? तो बता दें यह दूध बनने के बाद उसके निकलने की प्रक्रिया को सुचारू तरीके से चलाने वाली क्रिया है। यानी ज्यादा तनाव लेने से न सिर्फ ब्रेस्ट में दूध कम बनता है बल्कि बनने वाला दूध ठीक से उतरता भी नहीं है।

स्तनपान कराने वाली महिलाओं में स्ट्रेस बढ़ने के आम कारण

1. ब्रेस्ट फीडिंग एंजाइटी

एक नई मां के रूप में आपको ब्रेस्ट फीडिंग करवाते समय बहुत से संशय और असुरक्षा की भावना घेर लेती हैं। जैसे- 'क्या यह दूध बच्चे के लिए सही होगा' या 'क्या मैं बच्चे को ठीक प्रकार से ब्रेस्ट फीडिंग करवा पाऊंगी' या कभी-कभी ऐसा भी होता है कि मित्र या रिश्तेदार आपको कुछ सलाह देते हैं जिसकी वजह से भी आप एंजाइटी से घिर सकती हैं और इसका प्रभाव ब्रेस्टफीडिंग पर पड़ता है। यह बच्चे के लिए प्रयाप्त दूध न बन पाना और परिवार वालों से भिन्न भिन्न रूप से मिलने वाले सुझावों का ही एक परिणाम हो सकता है।

2. हार्मोन्स में बदलाव होना

 प्रेग्नेंसी के दौरान और इसके बाद शरीर में हार्मोन्स तेजी से बदलते रहते हैं। बच्चे के जन्म के 24 घंटे बाद आपके हार्मोन्स बहुत अधिक कम हो जाते हैं। इसके कारण भी आपको तनाव (Stress) या डिप्रेशन का सामना करना पड़ सकता है।

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3. शरीर में बेचैनी होने के कारण

प्रेग्नेंसी के साथ बहुत सा दर्द जुड़ा होता है और यह दर्द डिलीवरी होने के बाद भी रहता है। जैसे निपल्स में दर्द होना, मास्टाइटिस आदि रूप में। इस दौरान महिलाओं को इस दर्द के कारण ही काफी तकलीफ और तनाव (Stress) का सामना करना पड़ता है।

4. बच्चे का मूड

कई बच्चे ऐसे होते हैं कि वह बार बार में रोते रहते हैं और उनके मूड का असर मां के मूड पर पड़ता है। क्योंकि वह इसका कारण पता नहीं लगा पाती़ कि किस वजह से बच्चा रो रहा है। इस वजह से भी अधिक तनाव (Stress) हो सकता है।

5. कम नींद लेना

बच्चे के कारण हो सकता है आप बहुत ही कम नींद ले पा रही हों। बच्चा आपको रात में पूरी रात भी जगा सकता है। इसमें बच्चे का डाइपर बदलने की चिंता और बच्चे को दूध पिलाने की चिंता से भी आपका तनाव (Stress) बढ़ सकता है क्योंकि आप को आराम बहुत ही कम मिल पाता है।

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ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाएं स्ट्रेस से कैसे करें बचाव (Tips For Stress Relief While Breastfeeding)

breastfeeding problems

  • जब भी आपको बच्चा संभालते संभालते थकान हो जाती है तो बच्चे को अपने पति या किसी और अन्य सदस्य को दे दें ताकि आपको थोड़ा रेस्ट मिल सके।
  • लंबी लंबी सांस लें ताकि आप थोड़ा शांत हो सकें। इसके लिए आप योग या मेडिटेशन तकनीकों का प्रयोग कर सकती हैं।
  • कुछ समय के लिए एक्सरसाइज करें ताकि आपका मूड खुद ही बढ़िया रह सके।
  • मूड अच्छा करने के लिए संगीत सुनें।
  • प्रोफेशनल सुझाव लें।
  • इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का रोजाना प्रयोग न करें और इनके साथ कम समय बिताने की कोशिश करें।

अगर आप यह सब टिप्स अपनायेंगी और बच्चे के साथ साथ अपना भी ख्याल रखेंगी तो आपका मूड भी अच्छा रहेगा और आपका तनाव भी कम होगा। सबसे बड़ी बात ब्रेस्ट फीडिंग पर भी असर नहीं पड़ेगा।

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