हर नई मां को स्तनपान करवाने के दौरान हो सकती हैं ये 4 परेशानियां, एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय

हर नई मां को स्तनपान करवाने के दौरान कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में घबराएं नहीं। डॉक्टर के इन टिप्स की मदद से इन स्थितियों से बचें। 
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हर नई मां को स्तनपान करवाने के दौरान हो सकती हैं ये 4 परेशानियां, एक्सपर्ट से जानें बचाव के उपाय

स्तनपान (Breastfeeding) हर नई मां के लिए एक खास अनुभव है। ब्रेस्टफीडिंग के फायदे को लेकर तो अब बहुत से लोग जागरूक हो रहे हैं पर ब्रेस्टफीडिंग के साथ नई मां को क्या क्या समस्याएं हो रही हैं, उसे लेकर बहुत कम ही लोग जानते हैं। जी हां, हर नई मां को स्तनपान करवाने के दौरान कुछ चुनौतियों (breastfeeding challenges for mothers) का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जानकारी का अभाव होने के कारण उन्हें ज्यादा परेशानियां उठानी पड़ती है। इसलिए नई मां के लिए स्तनपान करवाने की चुनौतियों को लेकर हमने डॉक्टर रघुराम मल्लैया (Dr.Raghuram Mallaiah),निदेशक नियोनेटोलॉजी, फोर्टिस ला फेमे और संस्थापक, अमारा ह्यूमन मिल्क बैंक, नई दिल्ली और बैंगलोर से बात की।  डॉ. रघुराम ने हमें  ब्रेस्टफीडिंग के दौरान नई माओं को होने वाली सबसे आम परेशानियों से अवगत कराया और उससे बचाव के उपाय (breastfeeding problems and solutions) भी बताए। तो, आइए आप भी जानिए इसके बारे में। 

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1. दूध बनने में परेशानी (low production of milk)

शिशु को स्तनपान के दौरान नई मांओं में विभिन्न कारकों से कई बार ब्रेस्ट में दूध बनना कम होने हो जाता है। जैसे कि स्तनपान शुरू करने के लिए बहुत लंबा इंतजार करना, पर्याप्त स्तनपान नहीं करवाना, स्तनपान में कमी और मां द्वारा कुछ दवाओं का उपयोग। कभी-कभी ब्रेस्ट सर्जरी भी दूध उत्पादन को प्रभावित करती है। ऐसे में डॉ. रघुराम (Dr.Raghuram Mallaiah) का सुझाव है कि 

  •  -आपको हमेशा अपने बच्चे को केवल स्तनपान कराना चाहिए
  • - आपका शिशु जितना अधिक आपके स्तनों को चूसता है, आप उतना ही अधिक दूध का उत्पादन कर पाएंगी।
  • -बच्चे को फार्मूला फीड देना बंद करें, एक बार भी ये ना करें।
  • -विशेष खाद्य पदार्थ या दवाएं खाने से आमतौर पर आपका दूध नहीं बढ़ेगा। ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने के लिए आपको स्वस्थ खाना है और बहुत सारे तरल पदार्थ पीना चाहिए। 

डॉ. रघुराम कहते हैं कि  ब्रेस्टफीडिंग का गोल्डन रूल याद रखें कि आप जितनी अधिक मांग पैदा करेंगे आप उतना ही अधिक दूध का उत्पादन करेंगे। यानी आप बच्चा जितना ज्यादा दूध पी पाएगा, उतना ही आपका ब्रेस्ट मिल्क प्रड्यूस कर पाएगा। ऐसे बहुत कम चिकित्सीय कारण हैं जिनसे आप दूध का उत्पादन नहीं करेंगे। ज्यादातर मामले में ये तभी होता है, जब मां बच्चे को फार्मूला फीड देनी लगती है और ब्रेस्ट मिल्क में कमी आ जाती है।

इसे भी पढ़ें : World Breastfeeding Week 2021: ब्रेस्टफीडिंग बंद करने के बाद दोबारा शुरू कैसे करें? जानें एक मां का निजी अनुभव

2. स्तनों का दूध से भर जाना (Breast engorgement)

 स्तनों का दूध से भर जाना (Breast engorgement) का मतलब ये है कि मां बच्चे के मांग से ज्यादा दूध बना रही है। यानी कि ब्रेस्ट में मिल्क का प्रोडक्शन ज्यादा हो रही है। ऐसे में ब्रेस्ट सख्त और सूज सकते हैं, जिससे आपके स्तनों में दर्द और बच्चे को स्तनपान कराने में मुश्किल हो सकती है। ऐसे में डॉक्टर का सुझाव है कि बहुत सी महिलाएं पहले 1-2 हफ्तों में इसका अनुभव करती हैं जब उन्हें स्तनों में भारीपन, कठोरता और दर्द महसूस होती है। इससे निजात पाने का उपाय ये है कि

  • -बच्चे को दोनों स्तनों से दिन में 8-12 बार बार-बार दूध पिलाएं।
  • -स्तनों को कोमल बनाने के लिए दूध पिलाने से पहले स्तनों की गर्म सिकाई करें।
  • -दूध पिलाते समय अपने स्तनों की मालिश करें।

डॉ. रघुराम का कहना है कि अगर आपको लगता है कि उपरोक्त कोशिश करने के बाद यह बेहतर नहीं है तो आप हाथ से एक्सप्रेस/पंप का उपयोग कर ब्रेस्ट मिल्क स्टोर (breast milk storage tips) कर सकते हैं। याद रखें कि आप अपने बच्चे को वह दूध पिला सकती हैं जो आपने स्तनों से निकाला है। 

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3. निपल्स में दर्द (Sore Nipples)

पहली बार मां बनने वाली महिलाओं में ये परेशानी बहुत आम है। निपल्स का सख्त होना और दर्द पहले सप्ताह में ज्यादा  होती है। ऐसे में कई बार निप्पल के अन्य क्षेत्र में दर्द, दरार और कभी-कभी ब्लीडिंग भी हो सकती है। इस दौरान मां के लिए स्तनपान कराना बेहद दर्दनाक हो सकता है। ऐसे में उपचार के लिए दूध पिलाने के बाद अपने ही दूध को निपल्स पर लगाएं या फिर लैनोलिन आधारित क्रीम (lanolin based cream)का उपयोग करें। हालांकि सबसे अच्छा इलाज इससे बचाव है जिसके लिए आप इन टिप्स की मदद ले सकते हैं। जैसे कि

  • - सुनिश्चित करें कि बच्चा सही ढंग से और सही पोजीशन में दूध पी रहा हो।
  • -इस स्थिति में बच्चे को कम और बार-बार दूध पिलाना बेहतर होता है।
  • -एक स्तन से लंबे समय तक दूध ना पिलाएं। आमतौर पर एक तरफ 15-20 मिनट से अधिक दूध ना पिलाएं। थोड़ा-थोड़ा ब्रेक के लेकर दूध पिलाएं।

इसके अलावा आप स्तनपान कराने की कोई अलग स्थिति आजमाएं। आप निप्पल शील्ड का उपयोग करके देख सकते हैं, हालांकि ऐसा करने से पहले अपने डॉक्टर से बात करें। 

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4. लैचिंग के कारण दर्द (Poor latch)

कई महिलाओं में लैचिंग (latching) भी स्तनों में दर्द का कारण है। इसमें बच्चा सही से निप्पल से दूध नहीं पीता और इसके आस-पास के क्षेत्र को चबा-चबा का लाल कर देता है फिर उसमें सूजन आ जाती है। ऐसे में लैचिंग से बचाव के लिए 

  • -बच्चे को एक सही पोजिशन में दूध पिलाएं। यानी कि बच्चे का मुंह आपके निप्पल और एरोला को पूरी तरह से घेर लेना चाहिए।
  • -अगर बच्चा ठीक से दूध नहीं पी पा रहा है तो, आपको कभी-कभी निप्पल में दर्द और दरार हो सकती है। ऐसे में बार-बार कुछ-कुछ देर में दूध पिलाएं।

डॉ. रघुराम का कहना है कि कुछ माताएं बहुत आसानी से लैचिंग की परेशानी को ठीक कर लेती हैं। हालांकि, अगर आपको समस्या हो रही है तो आपको डॉक्टर, नर्स या फिर किसी सलाहकार से संपर्क करना चाहिए। ज्यादातर मामलों में ये खराब पोजीशन के कारण होती है जिसमें सुधार हो सकता है।

इन परेशानियों के अलावा डॉ. रघुराम कहते हैं कि बहुत अधिक जानकारी और हस्तक्षेप करने वाले लोगों से भी स्तनपान पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। यह भारत में बेहद आम है क्योंकि बहुत से परिवार के सदस्य और दोस्त आपको सलाह दे रहे हैं कि क्या करना है और कैसे करना है। ऐसे में हर किसी की न सुनें क्योंकि यह बहुत भ्रमित करने वाला हो सकता है। जब संदेह हो और अगर आप समस्याओं का सामना कर रहे हों तो अपने डॉक्टर की मदद लें और दूसरों की बात सुनकर या खुद इंटरनेट का उपयोग करके इन परेशानियों को सुलझाने की कोशिश न करें। 

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