बिगड़ी लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों का बुरा असर महिलाओं के शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। यही वजह है कि वर्तमान समय में महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या आम हो चुकी है। आजकल कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो अपने करियर के चलते प्रेग्नेंसी देरी से प्लान करती हैं, जिसके कारण बढ़ती उम्र के साथ नेचुरली कंसीव करने में समस्याएं होने लगती हैं। वहीं दूसरी तरह ऐसी महिलाएं भी होती हैं जो बेबी प्लान करती हैं लेकिन उन्हें नेचुरली कंसीव नहीं होता है। ऐसे में जब महिलाओं को नेचुरली कंसीव करने में समस्याएं होने लगती हैं तो वह मेडिकल ट्रीटमेंट्स लेती हैं। कई महिलाओं का सवाल होता है कि यदि नेचुरली गर्भधारण नहीं हो रहा है तो क्या आईवीएफ ही गर्भधारण का एकमात्र समाधान है? इस बारे में हमने क्लाउड 9 हॉस्पिटल नोएडा की फर्टिलिटी डिपार्टमेंट की एसोसिएट डायरेक्टर, प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर राखी से बात की है।
आईवीएफ के बिना गर्भवती होने का कोई और तरीका है?
डॉक्टर का कहना है कि अगर किसी महिला को नेचुरली कंसीव नहीं हो रहा है तो ऐसी स्थिति में सबसे पहले महिला की जांच करके ये पता लगाया जाता है कि कंसीव न कर पाने की वजह क्या है। अगर महिला के शरीर में अंडे अच्छी क्वालिटी में नहीं बन रहे हैं और फैलोपियन ट्यूब ब्लॉक हैं या पुरुष का स्पर्म काउंट सही नहीं है तो ऐसी स्थिति में इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के विकल्प को चुना जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर महिला को नेचुरली कंसीव नहीं हो रहा है तो उसके पास सिर्फ आईवीएफ ही एक विकल्प है बल्कि इसके अलावा इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI) और ओव्यूलेशन इंडक्शन के जरिए भी महिला कंसीव कर सकती है।
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1. इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन - IUI
इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन यानी IUI की प्रक्रिया कम खर्चीली होती है, जिसमें शुक्राणु को सीधे महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है। जिन कपल्स में महिला के शरीर में मौजूद फैलोपियन ट्यूब सही काम कर रही होती है और अंडे भी अच्छे बनते हैं उनके लिए यह प्रक्रिया उपयुक्त हो सकती है। अगर पुरुष के शुक्राणु की गतिशीलता या संख्या (sperm motility or number) में समस्याएं हैं तो डॉक्टर की सलाह पर IUI का विकल्प चुना जा सकता है। इस प्रक्रिया में महिला के ओव्यूलेशन के समय को मॉनिटर किया जाता है और इस दौरान पुरुष के शुक्राणु को लैब में प्रोसेस किया जाता है। प्रोसेस किए गए शुक्राणु को गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है।
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2. ओव्यूलेशन इंडक्शन - Ovulation Induction
ओव्यूलेशन इंडक्शन की प्रक्रिया उन महिलाओं के लिए फायदेमंद होती है जिनके ओव्यूलेशन में समस्याएं होती हैं। इस प्रक्रिया में ओव्यूलेशन के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। ओव्यूलेशन इंडक्शन प्रक्रिया के दौरान महिलाओं को हार्मोनल दवाओं का सेवन करना पड़ता है और नियमित रूप से ओव्यूलेशन की मॉनिटर करना पड़ता है। जिसके लिए अल्ट्रासाउंड होता है। यह एक प्रकार से प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण का प्रयास होता है जिसमें खर्चा भी कम होता है।
इन विकल्पों के अलावा अगर महिला की फेलोपियन ट्यूब में रुकावट है या एंडोमेट्रियोसिस है तो सर्जरी के बाद कंसीव करने का चांस बढ़ जाता है। लैप्रोस्कोपी या हिस्टरोस्कोपी के जरिए समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाता है और फिर महिला नेचुरली कंसीव कर सकती है।
निष्कर्ष - Conclusion
IVF ज्यादा प्रभावी और विधि है, लेकिन यह गर्भधारण के लिए एकमात्र उपाय नहीं है। IUI, ओव्यूलेशन इंडक्शन, सर्जिकल उपचार, डोनेशन और सेरोगेसी जैसे अन्य विकल्प भी हैं।
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