Irregular Sleep Wake Syndrome: कुछ लोगों को बिस्तर पर जाते ही नींद आ जाती है, जबकि कुछ को घंटों बेड पर लेट रहना पड़ता है। आपके सोने और जागने से जुड़े सिंड्रोम की वजह से नींद के पैर्टन में बदलाव देखने को मिल सकते हैं। पर्याप्त नींद न लेने के कारण आपको दिन भर थकान बनी रह सकती है। ऐसे में व्यक्ति को किसी भी काम को करने में मन नहीं लगता है। साथ ही, पूरा दिन आलस बना रहता है। इसके अलावा सिर में भारीपन महसूस होता है। अगर आपको भी चार घंटे से कम नींद आती है तो यह इर्रेगुलर स्लीप वैक सिंड्रोम का संकेत हो सकता है। इस दौरान आप दिन में दो से तीन पर सोते हैं लेकिन उसके बाद भी आपकी नींद पूरी (Sleep Problems) नहीं हो पाती है। क्योंकि पर्याप्त और बेहतर नींद लेने के लिए आपको एक बार में 6 से 8 घंटे की नींद लेनी चाहिए। आगे नोएडा फैमिली क्लीनिक के सीनियर फिजीशियन डॉ. विनोद कुमार से जानते हैं कि इर्रेगुलर स्लीप वैक सिंड्रोम (Irregular Sleep Wake Syndrome) क्या होता है। इसके क्या कारण हो सकते हैं?
इर्रेगुलर स्लीप वैक सिंड्रोम के कारण क्या होते हैं?
Irregular Sleep Wake Syndrome के मूल कारण (Causes) में व्यक्ति की सर्कैडियन रिदम (Circadian Rhythms- सोने और जागने की बॉडी साइकिल) में बाधा मानी जाती है। अधिक उम्र के साथ ब्रेन से जुड़ी बीमारियों जैसे अल्जाइमर (न्यूरोडिजेनेरेटिव डिसऑर्डर) होने पर लोगों को सोने और जागने का पैटर्न खराब हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति को इर्गेुलर स्लीप वैक सिंड्रोम का जोखिम बढ़ जाता है। साथ ही, अधिक उम्र को इससे संबंधित माना जाता है। इसके अलावा, कुछ मेडिकल कंडीशन, नसों से जुड़ी समस्याएं और मानसिक विकार इस रोग से संबंधित हो सकती हैं।
इसके अलावा, कुछ अन्य कारक भी इर्गेुलर स्लीप वैक सिंड्रोम का कारण बन सकते हैं। इसमें व्यक्ति के काम करने की शिफ्ट का व्यक्ति की स्लीप साइकिल पर गहरा असर पड़ता है।
इर्रेगुलर स्लीप वैक सिंड्रोम के क्या लक्षण होते हैं?
- नींद का टूटना: इर्रेगुलर स्लीप वैक सिंड्रोम में व्यक्ति की नींंद बार-बार टूटने लगती है। रात में एक लंबी नींद लेने के बजाय व्यक्ति को बार-बार उठना पड़ता है। इससे नींद की क्वालिटी (Distrub Sleep) खराब होती है।
- दिन में नींद आना: रात में बार-बार नींद टूटने से व्यक्ति को पूरा दिन नींद आती है। साथ ही, आलस बना रहता है। व्यक्ति को दिन में भी नींद आने की वजह से वह रोजाना के काम भी ठीक तरह से नहीं कर पाते हैं।
- नींद न आना: इस समस्या में व्यक्ति को रात में नींद आने में दिक्कत होती है। ऐसे में उनको कई घंटों जागना पड़ता है। जब व्यक्ति सोोने की कोशिश करता है तो शरीर में पर्याप्त मेलाटोनिन नहीं बन पाता है, जिससे उनको नींद नहीं आती है।
- कॉग्नेटिव लॉस: नींद में होने वाली परेशानी के चलते व्यकित को कॉग्नेटिव लॉस की समस्या हो सकती है। इसमें व्यक्ति किसी चीज को याद रखने या नई चीजों को सीखने में ज्यादा समय लगता है।
- मूड में बदलाव: नींद का पैर्टन बदलने से व्यक्ति को दिन भर आलस बना रहता है। ऐसे में व्यक्ति को चिंता, अवसाद और चिड़ापन महसूस होने लगता है। नींद की क्वालिटी खराब होने से व्यक्ति के मूड में बदलाव हो सकता है।
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नींंद से जुड़ी समस्या के सही कारण या ट्रिगर को पहचान कर आप इससे दूरी बना सकते हैं। यदि, आपको नींद की कमी के कारण ज्यादा परेशानी हो रही है तो ऐसे में आप डॉक्टर से संपर्क कर। इसका इलाज शुरु कर सकते हैं।