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इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान: नई स्टडी का दावा- 135% तक बढ़ सकता है हार्ट से जुड़ी मौत का खतरा

नई स्टडी के अनुसार Intermittent Fasting में दिन का खाना 8 घंटे से कम समय में पूरा करने से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा 135% तक बढ़ सकता है। 
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इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान: नई स्टडी का दावा- 135% तक बढ़ सकता है हार्ट से जुड़ी मौत का खतरा


हम अक्सर सुनते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग से वजन कम होता है, ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है और कई बीमारियों का रिस्क घटता है। इस डाइट को 16:8 डाइट के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इसमें दिन में 16 घंटे का फास्ट और 8 घंटे की ईटिंग विंडो होता है। पिछले कुछ सालों में ये डाइट काफी पॉपुलर हुई है। लेकिन अब एक नई स्टडी ने इस ट्रेंड पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।

क्या कहती है नई स्टडी?

Diabetes & Metabolic Syndrome: Clinical Research and Reviews नामक जर्नल में पब्लिश हुई इस रिसर्च के अनुसार, जो लोग दिन में 8 घंटे से कम समय में खाना खत्म कर लेते हैं, उनमें दिल की बीमारी से जुड़ी मौत (Cardiovascular Mortality) का खतरा 135% तक बढ़ सकता है। इसका मतलब ये है कि अगर आप दिन में 8 घंटे के अंदर ब्रेकफास्ट, लंच, डिनर सब कर लेते हैं, ताकि आप बाकी के 16 घंटे उपवास करके खुद को हेल्दी रख सकें, तो आप गलत हो सकते हैं। वैज्ञानिकों ने पाया है कि ऐसी डाइट फॉलो करने वालों में हार्ट से जुड़ी समस्याओं से मौत का खतरा दोगुने से भी ज्यादा बढ़ जाता है।

डॉक्टर इस पर क्या कहते हैं?

इस स्टडी पर डॉक्टर की क्या राय है, ये जानने के लिए हमने बात की Dr T R Hemkumar, Consultant - Internal Medicine, Kauvery Hospital, Bangalore से। उन्होंने हमें बताया, “इंटरमिटेंट फास्टिंग कभी-कभी दिल पर दबाव डाल सकती है, क्योंकि इससे ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव हो सकता है और कॉर्टिसोल हार्मोन का उत्पादन बढ़ सकता है। इसके अलावा, लंबे समय तक उपवास करने से जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।”

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लाइफस्टाइल फैक्टर्स भी हो सकते हैं जिम्मेदार

दरअसल छोटे ईटिंग विंडो के कारण कई बार शरीर पर दबाव पड़ता है, खासकर जब लोग काम के चलते जल्दबाजी में खाना खा लेते हैं और देर रात भूखे सो जाते हैं। ऐसे में शरीर को जरूरी न्यूट्रिशन नहीं मिल पाता। बार-बार लंबा फास्ट रखने से हार्मोनल बैलेंस और मेटाबॉलिज्म पर असर पड़ सकता है। स्टडी में शामिल एक्सपर्ट्स का कहना है कि हो सकता है रिस्क सिर्फ ईटिंग विंडो की वजह से न हो, बल्कि उससे जुड़ी लाइफस्टाइल फैक्टर्स, जैसे- स्ट्रेस, शिफ्ट-वर्क, नींद की कमी, अनियमित दिनचर्या आदि भी इसका कारण हों।

इंटरमिटेंट फास्टिंग से जुड़े फायदे और खतरे

यहां एक कन्फ्यूजन बन सकता है। क्योंकि अब तक की ज्यादातर स्टडीज इंटरमिटेंट फास्टिंग को वजन और शुगर कंट्रोल के लिए फायदेमंद बताती रही हैं। लेकिन इस नई रिसर्च ने चेतावनी दी है कि लंबे समय तक अगर आप दिन का ईटिंग विंडो बहुत छोटा रखते हैं, तो हार्ट पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग कर रहे हैं, तो रखें ध्यान

अगर आप भी 16:8 या उससे भी कम खाने की अवधि वाले डाइट पैटर्न को फॉलो कर रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें:

  • दिन में ईटिंग विंडो बहुत ज्यादा छोटा न रखें। 12-14 घंटे का सामान्य पैटर्न अधिक सुरक्षित माना गया है।
  • सिर्फ खाने का टाइम नहीं, बल्कि खाने की क्वालिटी भी मायने रखती है। जंक फूड को कम करें और हेल्दी, बैलेंस्ड डाइट लें।
  • फास्टिंग शुरू करने से पहले अपनी मेडिकल कंडीशन को देखें। अगर आपको डायबिटीज, हार्ट डिसीज या ब्लड प्रेशर की समस्या है तो पहले डॉक्टर से सलाह लें।
  • अगर आपका शेड्यूल ऐसा है कि आप देर रात भूखे सो जाते हैं, तो यह शरीर के लिए सही नहीं है। नींद से पहले हल्का और पौष्टिक भोजन लेना जरूरी है।

कुल मिलाकर इंटरमिटेंट फास्टिंग हर किसी के लिए नहीं है। शॉर्ट-टर्म में यह फायदेमंद हो सकती है, लेकिन लंबे समय में हार्ट हेल्थ पर असर डाल सकती है। इसीलिए अगर आप वजन कम करना चाहते हैं या मेटाबॉलिक हेल्थ सुधारना चाहते हैं, तो इसे बिना किसी एक्सपर्ट की सलाह के फॉलो न करें।

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