मलेरिया मच्छरों से फैलने वाला खतरनाक रोग है, जो जानलेवा हो सकता है। भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है, जहां मलेरिया के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं। ये आंकड़ा 8 सितंबर को लैंसेन्ट कमीशन ने एक रिपोर्ट जारी करके बताया। 2017 में सिर्फ भारत में ही मलेरिया के 96 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे। ऐसा नहीं है कि मलेरिया को रोकना संभव नहीं है या ये कोई लाइलाज बीमारी है। बल्कि दुनिया के 100 से ज्यादा देश ऐसे हैं, जिन्होंने मलेरिया से पूरी तरह मुक्ति पा ली है। मगर भारत में मलेरिया अभी भी एक बड़ी समस्या है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) के अनुसार मलेरिया के कारण भारत में हर साल 2 लाख से ज्यादा मौतें हो जाती हैं। आइए आपको बताते हैं मलेरिया कितना खतरनाक रोग है और कैसे संभव है इस रोग से बचाव?
मलेरिया क्यों खतरनाक समस्या है?
मलेरिया की शुरुआत बुखार से होती है और इसके वायरस मच्छरों के काटने से फैलते हैं। क्या आप जानते हैं कि मलेरिया भारत ही नहीं, दुनियाभर के लिए एक बड़ी समस्या है? आपको जानकर हैरानी होगी कि-
- मलेरिया हर 30 सेकंड में एक बच्चे की जान ले लेता है।
- मलेरिया के कारण हर रोज 3000 बच्चों की मौत होती है।
- मलेरिया के कारण हर साल 10 लाख से ज्यादा मौतें होती हैं, जिनमें से ज्यादातर की उम्र 5 साल या इससे कम होती है।
- दुनियाभर में हर साल 30 से 60 करोड़ मलेरिया के मामले सामने आते हैं।
- मलेरिया के सबसे ज्यादा मामले अफ्रीकन देशों में पाए जाते हैं, जिसके बाद भारत का नंबर आता है।
- मालदीव और श्रीलंका में मलेरिया को खत्म किया जा चुका है, जबकि भारत इन देशों से ज्यादा सक्षम होते हुए भी मलेरिया को नहीं हरा पा रहा है।
- WHO के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश भूटान और नेपाल 2020 तक मलेरिया को खत्म करने वाले हैं।
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भारत में क्यों हैं मलेरिया के इतने ज्यादा मामले?
मलेरिया के ज्यादातर मामले गांवों और कस्बों में सामने आते हैं। 2017 में मलेरिया के कुल मामलो में से 71% सिरिफ तमिलनाडु से सामने आए थे। भारत में मलेरिया के बढ़ने का कारण कुछ तो लोगों की अशिक्षा, कम जानकारी है और कुछ यहां का पर्यावरण है। मलेरिया का वायरस एक खास प्रजाति के मच्छरों द्वारा फैलाया जाता है, जिन्हें 'एनोफिलिज स्टेफेंसी' कहते हैं। भारत में तापमान अपेक्षाकृत बहुत अधिक ठंडा या गर्म नहीं होता है और यहां बरसात भी साल के 1/3 दिन रहती है। इसलिए इन मच्छरों को प्रजनन करने का अनुकूल माहौल मिल जाता है, जिससे ये मच्छर तेजी से फैलते हैं और लोगों को मलेरिया का शिकार बनाते हैं।
मलेरिया के शुरुआती सामान्य लक्षण
- तेज बुखार आना
- बुखार के साथ कंपकंपी होना और ठंड लगना
- बुखार के साथ पसीना आना
- सिर में लगातार तेज दर्द होना
- बुखार के साथ बदन या पूरे शरीर में दर्द होना
- जी मिचलाना और उल्टी होना आदि
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मलेरिया से कैसे संभव है बचाव?
- ऊपर बताए गए लक्षणों के 2 दिन से ज्यादा दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें और खून की जांच करवाएं, ताकि मलेरिया का पता चल सके।
- 5 साल से छोटे बच्चों और 60 साल से बड़े बुजुर्गों को मलेरिया का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए इन्हें मच्छरों से बचाने का प्रबंध करना चाहिए।
- मलेरिया के मच्छर ज्यादातर शाम के समय या सुबह भोर में काटते हैं, इसलिए इस दौरान अपने आसपास मच्छरों के रोकने का पर्याप्त इंतजाम करें।
- पूरी बांहों के कपड़े पहनें और हल्के रंग के कपड़े पहनें, ताकि मच्छर आपकी तरफ आकर्षित न हों और न ही काटें।
- घर के खिड़की-दरवाजों को बंद रखें या इनमें महीन जाली लगाएं, ताकि मच्छर अंदर न प्रवेश कर पाएं।
- अपने घर के आसपास सफाई रखें और कूड़ा हर रोज ठिकाने लगाएं, क्योंकि गंदगी में मच्छर तेजी से पनपते हैं।
- बारिश के मौसम में घर में या घर के आसपास पानी न इकट्ठा होने दें, क्योंकि रुके हुए पानी में मच्छर पनपने शुरू हो जाते हैं।
- शाम के समय पार्क, पेड़-पौधों वाले इलाकों, जंगल आदि में जाने से बचें, क्योंकि यहां मच्छरों के पाए जाने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
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