World Malaria Day 2020: शिशु को मलेरिया होने पर लापरवाही हो सकती है खतरनाक, ध्यान रखें ये बातें

World Malaria Day 2020: नवजात शिशु यदि मलेरिया का शिकार हो जाए तो उसकी देखभाल में जरा सी चूक उसमें उम्रभर के लिए कोई विकार पैदा कर सकती है।
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World Malaria Day 2020: शिशु को मलेरिया होने पर लापरवाही हो सकती है खतरनाक, ध्यान रखें ये बातें


नवजात शिशु यदि दुनिया में आते ही मलेरिया का शिकार हो जाए तो उसकी देखभाल में जरा सी चूक उसमें उम्रभर के लिए कोई विकार पैदा कर सकती है या फिर उसमें उम्रभर के लिए कमजोरी पैदा कर सकती है। इसीलिए नवजात शिशु की देखभाल में बिलकुल भी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। खासकर तब जब वह मलेरिया से ग्रसित हो। नवजात में मलेरिया संक्रमण होते ही उसका तुरंत इलाज करवाना चाहिए। आइए जाने नवजात में मलेरिया रोकथाम के लिए क्या-क्या करना चाहिए।

क्या है मलेरिया का कारण

मलेरिया होने का मुख्य कारण तो परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज ही है। दरअसल प्लाज्मोडियम नामक परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के शरीर के अंदर पलता है। यह परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के काटने से फैलता है। जब मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है, तब रोग का परजीवी रक्तप्रवाह के जरिये यकृत में पहुंचकर अपनी संख्या को बढ़ाने लगता है। यह स्थिति लाल रक्त कोशिकाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। चूंकि मलेरिया के परजीवी लाल रक्त कोशिकाओं में पाये जाते हैं, इसलिए ये मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति द्वारा ब्लड ट्रासफ्यूजन के जरिये दूसरे व्यक्ति में भी संप्रेषित हो सकते हैं। इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण और एक ही सीरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है।

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नवजात में मलेरिया चिकित्सा

  • पहले तो यह सुनिश्चत ल होता है कि बच्चे को मलेरिया है या नहीं, है तो किस वर्ग का मलेरिया है ये सुनिश्चित करने के बाद ही आगे की कार्यवाही करनी चाहिए।
  • अगर बच्चा फाल्सीपेरम मलेरिया का शिकार है तो बच्चे में 30 मिनट या उससे भी ज्यादा ऐंठन बनी रहती है। बच्चे को मलेरिया होने पर उल्टियां, खांसी और दस्त की शिकायत होती है।

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  • शिशु में मलेरिया के लक्षण पाएं जाने पर वह मस्तिष्क‍ संबंधी बीमारियों का भी शिकार हो सकता है। बच्चे में शारीरिक कमजोरी भी आ जाती है।
  • बच्चे को सांस लेने में परेशानियां हो सकती है।
  • यदि बच्चे में मलेरिया के लक्षण पुख्ता हो जाते हैं तो बच्चे में मलेरिया की रोकथाम के लिए जरूरत के हिसाब से उन्हें  इंजेक्शन लगाया जा सकता है।
  • यदि बच्चे को बुखार होता है तो तुरंत डॉक्टर्स से संपर्क करें और डॉक्टर्स की सलाह पर शिशु की रक्तजांच करवाएं।
  • बच्चे में पानी की कमी न होने दे। शिशु का समय-समय पर पानी देते रहें।
  • मलेरिया होने के बावजूद खान-पान में कमी न रखे अन्यथा बच्चे में कमजोरी होने का खतरा पैदा हो जाएगा।
  • मां के दूध देने में कोई कोताही न बरते।

अगर ये कहा जाए कि नवजात शिशु बहुत ही नाजुक होता है। घड़ी-घड़ी उसकी देखभाल जरूरी होती है। नवजात बच्चे की सुरक्षा के लिए बच्चे की समय-समय पर जांच कराते रहें। शिशु में मलेरिया की पहचान होने के बाद निरंतर डॉक्टर के संपर्क में रहे और बच्चे के बारे में उन्हें. सभी जानकारियां देते रहें।

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