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Hyperphosphatemia: रक्त में फॉस्फेट बढ़ने से हो सकती है किड़नी की समस्या, डॉक्टर से जानें इसके कारण और इलाज

रक्त में बहुत अधिक फॉस्फेट को हाइपरफॉस्फेटेमिया के रूप में जाना जाता है। इसमें व्यक्ति को किड़नी के रोग होने का जोखिम अधिक होता है। लेकिन अन्य स्थितियों के कारण भी फॉस्फेट का स्तर असंतुलित हो सकता है। आगे जानते हैं इसके कारण और इलाज का तरीका
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Hyperphosphatemia: रक्त में फॉस्फेट बढ़ने से हो सकती है किड़नी की समस्या, डॉक्टर से जानें इसके कारण और इलाज


फॉस्फेट हमारे शरीर में पाया  जाने वाला मिनरल है, जो शरीर के कई कार्यों के लिए महत्वपूर्ण होता है। दअसल, खाद्य पदार्थों में फॉस्फोरस नाम का एक नेचुरल मिनरल पाय जाता है। यह मिनरल हड्डियों और दांतों को विकसित करने में मददगार होता है। साथ ही, यह भोजन को शरीर के लिए एनर्जी में बदलने में मददगार होता है। किड़नी शरीर में फॉस्फेट (phosphate) के स्तर को नियंत्रित करती है। वहीं, किड़नी पर पड़ने वाले किसी भी तरह के दबाव के चलते फॉस्फेट के स्तर को नियंत्रित करने में परेशानी हो सकती है। इससे रक्त में फॉस्फेट का स्तर बढ़ने लगता है। इस स्थिति को हाइपरफॉस्फेटेमिया कहा जाता है। इसमें किड़नी के कार्य अनियंत्रित हो सकते हैं। इस लेख में नारायणा अस्पताल एडल्ट किडनी ट्रांसप्लांट, नेफ्रोलॉजी सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर पार्थ कर्मकार से हाइपरफॉस्फेटेमिया के कारण (causes of hyperphosphatemia) और इलाज के बारे में जानेगें। 

हाइपरफॉस्फेटेमिया के कारण - Cause Of Hyperphosphatemia in Hindi

हाइपरफॉस्फेटेमिया के कई कारण हो सकती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कारणों को आगे बताया गया है। 

किडनी की समस्याएं

किडनी का मुख्य कार्य रक्त से अतिरिक्त फॉस्फेट को बाहर निकालना होता है। जब किडनी सही से काम नहीं करती है, तो रक्त में फॉस्फेट की मात्रा बढ़ सकती है। क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD) के मरीजों में यह समस्या सामान्य होती है, क्योंकि उनकी किडनी फॉस्फेट को सही ढंग से फिल्टर नहीं कर पाती।

अत्यधिक फॉस्फेट युक्त आहार का सेवन

यदि आहार में फॉस्फेट की मात्रा बहुत अधिक होती है, जैसे कि फॉस्फेट से समृद्ध खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन, तो शरीर में फॉस्फेट का स्तर बढ़ सकता है। कुछ खाद्य पदार्थ, जैसे कि मांसाहार, डेयरी उत्पाद, और प्रोसेस्ड फूड्स में फॉस्फेट अधिक मात्रा में होता है।

causes of hyperphosphatemia in hindi

विटामिन डी युक्त खाद्य का अधिक सेवन

विटामिन डी फॉस्फेट के अवशोषण में मदद करता है। अगर किसी व्यक्ति को विटामिन डी की अत्यधिक खुराक दी जाती है, तो यह फॉस्फेट के स्तर को बढ़ा सकता है। विटामिन डी की अधिकता से हाइपरफॉस्फेटेमिया हो सकता है।

सेल डैमेज

कुछ स्थितियों में, जैसे कि कैंसर के उपचार के दौरान या बड़ी मात्रा में मांसपेशियों के टूटने पर, शरीर के अंदर की कोशिकाओं से फॉस्फेट रिलीज हो सकता है, जिससे फॉस्फेट का स्तर बढ़ जाता है।

हाइपरफॉस्फेटेमिया के लक्षण - Symptoms Of Hyperphosphatemia in Hindi 

  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • जोड़ों में दर्द
  • त्वचा में खुजली
  • हड्डियों का कमजोर होना
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं
  • हृदय रोग

हाइपरफॉस्फेटेमिया का उपचार - Treatment Of Hyperphosphatemia in Hindi 

डाइट में बदलाव

आहार में फॉस्फेट की मात्रा को नियंत्रित करना हाइपरफॉस्फेटेमिया के उपचार में महत्वपूर्ण है। फॉस्फेट से भरपूर खाद्य पदार्थों, जैसे मांसाहार, डेयरी उत्पाद, और प्रोसेस्ड फूड्स का सेवन कम करना चाहिए। इसके अलावा, सोडा और फॉस्फेट युक्त पेय पदार्थों से भी बचना चाहिए।

फॉस्फेट बाइंडर्स

डॉक्टर फॉस्फेट बाइंडर्स नामक दवाओं का उपयोग कर सकते हैं। ये दवाएं आंतों में फॉस्फेट के अवशोषण को कम करती हैं, जिससे शरीर में फॉस्फेट का स्तर नियंत्रित रहता है। कैल्शियम आधारित फॉस्फेट बाइंडर्स, नॉन-कैल्शियम आधारित फॉस्फेट बाइंडर्स, और मैग्नीशियम आधारित फॉस्फेट बाइंडर्स का उपयोग किया जा सकता है।

विटामिन डी का नियंत्रण

अगर विटामिन डी की अत्यधिक खुराक के कारण हाइपरफॉस्फेटेमिया हो रहा है, तो डॉक्टर विटामिन डी की खुराक को कम कर सकते हैं। विटामिन डी का सही स्तर बनाए रखना भी महत्वपूर्ण होता है।

किडनी डायलिसिस

अगर किडनी की समस्या के कारण हाइपरफॉस्फेटेमिया हो रहा है, तो डायलिसिस के माध्यम से फॉस्फेट को शरीर से बाहर निकाला जा सकता है। यह क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीजों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है।

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हाइपरफॉस्फेटेमिया एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन इसके कारणों और उपचार के बारे में जागरूक रहकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। आहार में बदलाव, फॉस्फेट बाइंडर्स का उपयोग, और डॉक्टर की सलाह से उचित उपचार हाइपरफॉस्फेटेमिया के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं। शरीर में फॉस्फेट के स्तर को नियंत्रित रखना स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है, इसलिए नियमित स्वास्थ्य जांच और सावधानियों का पालन करना महत्वपूर्ण है।

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