बच्चों में कम उम्र में ही आंखों से जुड़ी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। आज ज्यादातर बच्चों को पास का या दूर का देखने में दिक्कत होती है। कई बच्चे क्लास में बैठ कर ब्लैक बोर्ड पर लिखा नहीं पढ़ पाते तो, कुछ बच्चों को किताब पढ़ने में परेशानी होती है। ये सभी मायोपिया (myopia) और हाइपरमेट्रोपिया (hypermetropia) के लक्षण हैं। पर बहुत से माता-पिता अपने बच्चों की आंखों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते और उन्हें आंखों से जुड़ी इन समस्याओं की ज्यादा जानकारी भी नहीं होती। ऐसे में आज हम आपको बच्चों में मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया के लक्षणों के बारे में बताएंगे जिन्हें आप जान कर बच्चों में इसकी आसानी से पहचान कर सकते हैं। साथ ही हम आपको इन दोनों से बचाव के उपाय भी बताएंगे जिसके बारे में हमने फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट, ओखला, नई दिल्ली की डॉ. आरती नांगिया (Dr Aarti Nangia) से बात की, जो कि एमएस (नेत्र विज्ञान), साईट एवेन्यू की वरिष्ठ सलाहकार हैं और साथ ही फेमटो लेजर(FEMTO Laser),मोतियाबिंद और रिफ्रेक्टिव व स्क्विंट सर्जरी (Refractive and Squint Surgery) की विशेषज्ञ भी हैं। तो, आइए सबसे पहले जानते हैं मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया क्या है।
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क्या है मायोपिया (Myopia)?
मायोपिया होने पर बच्चों की दूर की आंखें खराब हो जाती है। यानी कि दूर की वस्तुएं उन्हें धुंधली दिखती हैं। इन दिनों बच्चों में मायोपिया तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है कंप्यूटर, मोबाइल और टीवी जैसी चीजों का ज्यादा प्रयोग। जी हां, विशेषज्ञों का मानना है कि यह कंप्यूटर का उपयोग करने और वीडियो गेम खेलने जैसे क्लोजअप कार्यों को अधिक समय तक करने के कारण बढ़ रहा है। मायोपिया तब होता है जब आपके बच्चे की आंखों की पुतली आगे से पीछे की ओर बहुत लंबी होती है। यह तब भी विकसित हो सकता है जब कॉर्निया घुमावदार हो जाए और जब प्रकाश आपके बच्चे की आंख में प्रवेश करता है, तो किरणें रेटिना के ठीक सामने पड़ती हों। इससे दूर की वस्तुएं धुंधली हो जाती हैं और निकट की वस्तुएं स्पष्ट हो जाती हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
टॉप स्टोरीज़
बच्चों में मायोपिया का कारण- Causes of myopia in child
1. पास से चीजों को देखे वाले कामों पर ज्यादा समय बिताना
बच्चों में मायोपिया तब ज्यादा होता है जो पास से देखने वाली चीजों पर ज्यादा समय बिताते हैं। जैसे
- -खराब लाइटिंग में पढ़ना
- - कंप्यूटर गेम खेलना
- -इलेक्ट्रॉनिक हैंड हेल्ड डिवाइस
- -ड्राइंग करना या स्मार्ट फोन और टैबलेट का बहुत पास से उपयोग करना।
2. वंशानुगत
जिन बच्चों के माता-पिता में से किसी को भी ऐसी आंख से जुड़ी समस्याएं होती हैं उनमें भी ये परेशानी हो सकती है। इस तरह मायोपिया वंशानुगत हो सकता है और ऐसे बच्चों को हो सकता है, जिनके फैमिली ये परेशानी सबके साथ होती रही हो।
3. गलत चश्मा या जरूरत पड़ने पर चश्मा नहीं लगाना
गलत चश्मा पनने के नुकसान कई हैं। जिनमें से सबसे बड़ा नुकसान ये है कि इससे आंखों की रोशनी और देखने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। मायोपिया की शुरुआत या इसे बढ़ावा देने में गलत चश्मा या जरूरत पड़ने पर चश्मा नहीं लगाने की आदत भी रही है। इसलिए अपने बच्चों की आंखों की जांच करवाते रहें और उन्हें सही चश्मा ही पहनाएं।
इसके अलावा मायोपया के कुछ स्वास्थ्य से जुड़े कारण भी हो सकते हैं जैसे कि
रेटिनल डिटेचमेंट - इसमें आंख के पिछले हिस्से को अस्तर देने वाली फिल्म दूर खींचती है, जिससे उसके स्थान पर विकृत दृष्टि या अंधापन होता है।
मायोपिक मैकुलर डिजनरेशन - यह स्थिति आईबॉल से जुड़ी परेशानी से जुड़ी हुई है
ग्लूकोमा - आंख में बढ़ा हुआ दबाव जो पेरिफेरल आई को नुकसान पहुंचाता है और उसमें भी आपको मायोपिया जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
बच्चों में मायोपिया के लक्षण- Symptoms of myopia in child
- -दूर की वस्तुएं धुंधली दिखना
- - बेहतर देखने की कोशिश में भेंगापन
- -बार-बार आंखें मलना
- -सिरदर्द
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क्या है हाइपरमेट्रोपिया (Hypermetropia)?
हाइपरमेट्रोपिया में बच्चों क आस-पास की वस्तुएं धुंधली दिखाई देती हैं, लेकिन दूर की चीजों को देखने पर आपकी दृष्टि स्पष्ट होती है। ऐसी स्थिति में बच्चों को लगता है कि उनकी आंखें अक्सर थकी हुई हैं और आंखों के पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो रही है, तो ये हाइपरमेट्रोपिया हो सकता है। इसमें होता ये है कि आपकी आंख के पिछले हिस्से यानी कि रेटिना पर प्रकाश ठीक से केंद्रित नहीं हो पाता है और इसके जिसमें रेटिना के पीछे चला जाता है।
बच्चों में हाइपरमेट्रोपिया का कारण- Causes of Hypermetropia in child
हाइपरमेट्रोपिया का एक कारण यह हो सकता है कि आपकी आंखें सामान्य से छोटी हैं। इसका मतलब है कि रेटिना पुतली के करीब है, जिससे प्रकाश रेटिना से आगे निकल जाता है। एक सामान्य आंख की लंबाई आमतौर पर लगभग 23 मिमी होती है, इसलिए हाइपरमेट्रोपिक वाली आंख 23 मिमी से छोटी होगी। इसके अलावा अगर आपका कॉर्निया सपाट है तो आपको हाइपरमेट्रोपिया भी हो सकता है। ये दोनों ही कारण प्रकाश को रेटिना से आगे बढ़ने का कारण बनते हैं। बच्चों में हाइपरमेट्रोपिया आमतौर पर अनुवांशिक होता है। शिशु और छोटे बच्चे हाइपरमेट्रोपिया से पीड़ित हो सकते हैं, लेकिन यह अंततः अपने आप ठीक हो जाना चाहिए। ऐसा तब होता है जब आंखें बढ़ने के साथ-साथ लंबी होती जाती हैं। हालांकि, इसके कारण आलसी आंख विकसित हो सकती है। इसका कारण यह है कि सबसे कमजोर दृष्टि वाली आंख को मस्तिष्क द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है, और देखने का सही तरीका नहीं सीख पाता है। अगर छोटे बच्चों में इसे ठीक नहीं किया जाता है, तो एक जोखिम है कि कमजोर आंख कभी भी दूसरी आंख की तरह नहीं देख पाएगी।
बच्चों में हाइपरमेट्रोपिया के लक्षण- Symptoms of Hypermetropia in child
- -पास का दिखने में परेशानी
- -किताब पढ़ने में परेशानी
- -सिर दर्द
- -आंखों पर जोर डालने के कारण दर्द
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बच्चों में मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया से बचाव के उपाय-How to prevent myopia and hypermetropia in kids
मायोपिया और हाइपरमेट्रोपिया के पूरी तरह विकसित होने से पहले उसके शुरुआती लक्षणों को पकड़ने से इसके इलाज में मदद मिल सकती है। हालांकि इन दोनों से बचाव के लिए आप कुछ टिप्स की मदद ले सकते हैं। जैसे कि
-बच्चों को स्कूल के समय के अलावा पढ़ने, होमवर्क या स्क्रीन-टाइम जैसे करीबी कामों पर दिन में तीन घंटे से ज्यादा समय ना बिताने दें।
-कंप्यूटर का उपयोग करते समय, सुनिश्चित करें कि यह आंखों से एक सही दूरी पर हो।
- हर 20 मिनट में 20 सेकंड के लिए पूरे कमरे को देखकर ब्रेक लेने को कहें।
-स्मार्ट फोन से दूरी बनाएं।
-ज्यादा टीवी और वीडियो गेम्स खेलने से रोकें।
-किताब पढ़ने का सही तरीका जानें और पढ़ते समय पूरे कमरे की लाइटिंग सही रखें।
-सोने से तीन घंटे पहले स्क्रीन डिवाइज से दूर रहें।
-लक्षण महसूस होते ही आंखों की सही जांच करवा कर ही चश्मा बनवाएं।
-चश्मे का नंबर और आंखों का नंबर कितना बढ़ गया है या घट रहा है समय-समय पर जांच करवाते रहें।
- हाइपरमेट्रोपिया में प्लस पावर्ड लेंस पहनकर ठीक किया जा सकता है। यह रेटिना के सही क्षेत्र पर आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश को केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे साफ दिखाई देता है।
-विटामिन ए से भरपूर फूड्स और ओमेगा-3 से भरपूर फैटी फूड्स का सेवन करवाएं।
इसके अलावा बच्चों की आंखों को हेल्दी रखने के लिए आउटडोर गेम्स या दिन में कम से कम 90 मिनट घर के बाहर खेलना सुनिश्चित करें। टैबलेट या फोन के ज्यादा इस्तेमाल को रोकें। साथ ही बच्चों को धूप में जाते समय चश्मा और टोपी पहनने को कहें ताकि सूरज की रोशनी धीमे-धीमे उनकी आंखों का नुकसान ना पहुंचाए। साथ ही आंखों को नुकसान पहुंचाने वाली आदतें छोड़ दें।
Main image credit:The Irish Times
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