लिवर सबसे बड़ा अंग है और इसके कई महत्वपूर्ण काम हैं, जो कि पूरे शरीर के स्वास्थ्य से जुड़े हुए हैं। लिवर से जुड़ी गड़बड़ियां किसी को भी परेशानी कर सकती हैं, चाहे वो बच्चे ही क्यों न हो। बच्चों में यूं तो लिवर से जुड़ी परेशानियां कम ही होती हैं, पर कई बार जन्म से ही कुछ बच्चों में लिवर से जुड़ी परेशानी होने लगती है। जैसे कि हेपेटाइटिस और सिरोसिस आदि। बच्चों में लिवर (liver problems in children) से जुड़ी परेशानियों के बारे में विस्तार से जानने के लिए हमने डॉ. अविनाश सेठ (Dr. Avnish Seth), प्रिंसिपल डायरेक्टर गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, हेपेटोबिलरी विज्ञान, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम से बात की। डॉ. अविनाश सेठ, की मानें, तो शिशुओं में लिवर की परेशानी दुर्लभ है पर अगर उनमें ये परेशानी है, तो प्रारंभिक इलाज से बच्चों को बचाया जा सकता है। पर बच्चों को लिवर की बीमारियों से बचाने के लिए जरूरी है कि हम बच्चों में लिवर से जुड़ी बीनारियों के संकेतों को जानें और समझें।
शिशु में लिवर से जुड़ी बीमारियों के संकेत-Signs of liver problems in babies
डॉ. अविनाश सेठ (Dr. Avnish Seth) की मानें, तो कई मामलों में, जन्म के बाद पहले कुछ दिनों में, बच्चे को पीलिया हो सकता है। यह तब देखा जाता है जब त्वचा का रंग पीला होता है और साथ ही आंखों का सफेद भाग भी दिखाई देता है। जबकि यह एक स्वस्थ नवजात शिशु के लिए सामान्य हो सकता है, पर अगर ये दो सप्ताह से अधिक समय तक रहता है तो ये पीलिया हो सकता है। इसके अलावा कई और संकेत भी हैं, जो शिशु में लिवर की परेशानियों के लक्षण हो सकते हैं। जैसे कि
- - लंबे समय तक के लिए नवजात शिशु का मल पीला होना। यह एक दुर्लभ लिवर से जुड़े रोग का संकेत हो सकता है।
- -पित्त की पथरी, ये एक दुर्लभ लेकिन गंभीर जिगर की बीमारी है जो उनके जीवन के पहले महीने में नवजात शिशुओं को प्रभावित करना शुरू कर देती है। ये सबसे आम कारणों में से एक है जब बच्चों को लिवर प्रत्यारोपण की आवश्यकता क्यों हो सकती है। यह एक खतरनाक बीमारी है जैसे कि अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे शिशु की मृत्यु हो सकती है।
- - लंबे समय तक पीलिय, जो कि दो सप्ताह से अधिक समय तक रहता है।
शिशु में इस दुर्लभ बीमारी का जल्द से जल्द पता लगाने का मुख्य तरीका मल के रंग की जांच करना है क्योंकि इसके लिए ब्लड टेस्ट नहीं होता है। ऐसे में जैसे ही कोई लिवर की बीमार का संकेत मिले पहले अपने डॉक्टर को दिखाएं और फिर बच्चे का इलाज करवाएं।
6 महीने से ऊपर के बच्चों में लिवर के बीमारियों के लक्षण-Symptoms of liver problems in Childrens
जब बच्चों 6 महीने का हो जाता है और बड़ा होना लगता है, तो उनमें होने वाले लिवर से जुड़ी परेशानियों के लक्षण ज्यादा स्पष्ट होते हैं। जैसे कि
1. पीलिया, जिसमें त्वचा का रंग और आंखों का रंग पीला हो जाना
2. पेट में दर्द रहना
3. पेट में सूजन
4. बच्चे के स्लीप पैटर्न में बदलाव होना
5. भूरे या पीले रंग का मल
6. बच्चे को ज्यादा भूख न लगना और जी मिचलाना
इसके अलावा बच्चों के मानसिक स्थिति में बदलाव महसूस हो सकता है, जैसे कि भ्रम होना, कोमा और अत्यधिक नींद आना। ये लक्षण विषाक्त पदार्थों के एक निर्माण के कारण हो सकते हैं जो सामान्य रूप से जिगर द्वारा संसाधित किए जाते हैं। कुछ गंभीर परेशानियों में बच्चों को उल्टी और पेट से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं।
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बच्चों में लिवर की बीमारियां-Liver Disease in Children
1. पीलिया (Jaundice)
पीलिया में रक्त प्रवाह में बिलीरुबिन ( bilirubin) के असामान्य रूप से उच्च स्तर के कारण त्वचा और आंखों का रंग पीला हो जाता है। इसमें बच्चे का पेशाब और मल का रंग भी बदल जाता है। बिलीरुबिन के उच्च स्तर को सूजन, लिवर कोशिकाओं की अन्य असामान्यताओं और पित्त नलिकाओं के रुकावट के लिए जिम्मेदार माना जाता है। कभी-कभी, पीलिया लाल रक्त कोशिकाओं की एक बड़ी संख्या के टूटने के कारण होता है। यह नवजात शिशुओं में हो सकता है। पीलिया आमतौर पर पहला संकेत है और बाद में ये बच्चों में अन्य गंभीर रोग के रूप में उभर सकता है।
2. कोलेस्टेसिस (Cholestasis)
कोलेस्टेसिस का अर्थ है किसी भी स्थिति जिसमें पित्त का प्रवाह (bile flow) कम या बंद हो जाता है। पित्त का प्रवाह लिवर के अंदर, लिवर के बाहर, या दोनों स्थानों पर अवरुद्ध हो सकता है। इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैं-
- -पीलिया
- -गहरे रंग का पेशाब
- -पीला मल
- -ब्लीडिंग
- -खुजली
- -ठंड लगना
- -पित्त पथ या अग्न्याशय से दर्द
- -बढ़े हुए पित्ताशय की थैली
3. लिवर का बढ़ना (liver enlargement)
लिवर का बढ़ना आमतौर पर लिवर के रोग का एक संकेत है, हालांकि आमतौर पर थोड़ा बढ़े हुए लिवर (हेपेटोमेगालील) से जुड़े कोई लक्षण नहीं होते हैं। पर इस स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। बच्चों में कई कारणों से हो सकता है, जिसका पता डॉक्टर ही लगा सकते हैं।
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4. लिवर फेल्योर (Liver failure)
लिवर की खराबी से लिवर का फंक्शन बिगड़ जाता है। लिवर की विफलता तब होती है जब लिवर का एक बड़ा हिस्सा किसी भी प्रकार के लिवर विकार के कारण क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसके लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
- -पीलिया
- -चोट या लिवर से ज्यादा खून निकल जाना
- - मस्तिष्क के कामकाज में परेशानी
- -थकान
- -थकान
- -जी मिचलाना
- -भूख में कमी
- -दस्त
5. लिवर में पानी भर जाना (Ascites)
जलोदर, लिवर में पानी भर जाना वैसे तो बच्चों को नहीं होता है पर कई बार दुर्लभ स्थिति में ये बच्चों को हो जाता है। ये लिवर में पानी भर जाने के कारण होता है। ये कई बार हाई ब्लड प्रेशर और सांस की तकलीफ का कारण बनता है। इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे कि
- -लिवर सिरोसिस
- -हेपेटाइटिस
- -लिवर से जुड़े अन्य रोग
बच्चों में लिवर की बीमारियों का ट्रीटमेंट-Treatment of Liver Disease
बच्चों में लिवर की बीमारियां का ट्रीटमेंट करने के लिए पहले डॉक्टर कुछ टेस्ट करते हैं, जैसे कि
- -लिवर बायोप्सी (Liver biopsy): टिशूज के नमूने को इकट्ठा करने के लिए लिवर में छोटी सुई डाली जाती है और उनकी लिवर बायोप्सी की जाती है।
- -लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver function tests): इसमें एंजाइम को मापा जाता है जो लिवर की क्षति या बीमारी के जवाब में जारी करता है।
- -अल्ट्रासाउंड (Ultrasound): शरीर के अंदर अंगों और संरचनाओं का अल्ट्रासाउंड करना।
साथ ही कंप्यूटेड टोमोग्राफी (CTScan), जिसके जरिए हर तरह की बीमारी को पहचाना जा सकता है। इसके बाद इसके लक्षणों को देख कर डॉक्टर इलाज करते हैं। शिशु को इन बीमारियों से बचाने के लिए शुरू से बच्चों का अतिरिक्त ध्यान रखें और इन लक्षणों को देखते ही डॉक्टर की मदद लें और बच्चे की इलाज करवाएं।
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