प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। इस समय होने वाले कुछ बदलाव प्रेग्नेंसी के आम लक्षण माने जाते हैं। लेकिन, कुछ स्थिति महिलाओं के लिवर को भी प्रभावित कर सकती हैं। शरीर के विषाक्त पदार्थों को बाहर करने और पाचन क्रिया को मजबूत करने में लिवर मदद करता है। गर्भावस्था में गलत खानपान की वजह से लिवर से जुड़ी समस्याएं हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर से निकलने वाले हार्मोन पित्ताशय (Gallbladder) की कार्यप्रणाली को बदल देते हैं। इससे पित्त (Bile) धीमा हो सकता है या बहना बंद हो सकता है। पित्त लिवर में बनता है और ब्लड में फैल जाता है। इस लेख में अपोलो अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट विभाग सीनियर कंसलटेंट डॉ. नीरव गोयल से जानते हैं कि गर्भावस्था में महिलाओं को लिवर से जुड़ी समस्याओं के क्या कारण हो सकते हैं।
प्रेग्नेंसी में लिवर की समस्याएं क्यों होती हैं - Causes Of Liver Problems During Pregnancy In Hindi
गर्भकालीन हेपेटाइटिस (Gestational Hepatitis)
प्रेग्नेंसी के दौरान हेपेटाइटिस और लिवर में सूजन हो सकती है। प्रेग्नेंसी में गर्भकालीन हेपेटाइटिस (Gestational Hepatitis) की संभावना अधिक होती है। यह स्थिति हेपेटाइटिस ए, बी और सी जैसे वायरल इंफेक्शन का कारण होती है। यह दूषित भोजन और पानी की वजह से हो सकती है। गर्भकालीन हेपेटाइटिस से पीलिया, थकान और उल्टी आदि लक्षण हो सकते हैं। इस समस्या से महिला और बच्चे दोनों को जोखिम हो सकता है।
गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabetes)
गर्भकालीन डायिबिटीज में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का जोखिम होता है। इस समस्या में लिवर के कार्य प्रभावित हो सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज (गर्भकालीन डायिबिटीज) से ब्लड शुगर के हाई लेवल की वजह से महिलाओं को लिवर फैटी लिवर रोग (हेपेटिक स्टीटोसिस) हो सकता है। साथ ही, लिवर संबंधी समस्याएं हो सकती है। डाइट, एक्सरसाइज और मेडिसिन गर्भकालीन डायबिटीज को मैनेज करने में मदद कर सकती है।
प्रीक्लेम्पसिया और एचईएलपी सिंड्रोम
प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था से जुड़ी एक गंभीर समस्या है, यह हाई ब्लड प्रेशर की वजह मानी जाती है। प्रेग्नेंसी में ब्लड प्रेशर की वजह से महिलाओं के लिवर पर बुरा असर पड़ सकता है। साथ ही, प्रीक्लेम्पसिया एचईएलपी सिंड्रोम की समस्या को बढ़ा सकता है। इसकी वजह से महिलाओं को अन्य समस्याओं का जोखिम बढ़ जाता है, इसमें लिवर को भी शामिल किया जाता है।
लिवर की समस्या
कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पूर्व भी लिवर से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में जब वह प्रेग्नेंट होती हैं तो उन्हें लिवर से जुड़ी अन्य समस्याओं को जोखिम अधिक होता है।हार्मोनल उतार-चढ़ाव और मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याओं की वजह लिवर पर दबाव पड़ सकता है।
गर्भावस्था में कोलेस्टेसिस
गर्भावस्था में कोलेस्टेसिस की समस्या हो सकती है। इसमें पित्त प्रवाह कम हो जाता है। यह समस्या मुख्य रूप से महिलाओं को प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में हो सकती है। इसमें महिलाओं को खुजली जैसे लक्षण महसूस हो सकते है। गर्भावस्था में कोलेस्टेसिस होने पर बच्चे के समय से पहले पैदा होने का जोखिम बढ़ सकता है।
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प्रेग्नेंसी में ली जानें वाली कुछ दवाओं के कारण भी महिला के लिवर पर बुरा असर पड़ सकता है। लेकिन, यदि समय रहते इसकी पहचान कर ली जाए तो इससे होने वाले जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इससे बच्चे और मां को होने वाली अन्य समस्याओं से बचाया जा सकता है।