श्मशान घाटों का लाशों से भरना, अस्पताल के अंदर और बाहर मरीजों की लंबी कतारें, कहीं ऑक्सीजन लेने के लिए लंबी कतारें तो कहीं पत्नी का अपने मुंह से पति के मुंह में ऑक्सीजन देना....जैसी तमाम विचलित करने वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर तैर रही हैं। कोरोना (Coronavirus in india) महामारी ने देश के स्वास्थ्य व्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी है। लोग परेशान हैं। हर तरफ रोना, बिलखना, चिंता, तनाव, डर का माहौल है, लेकिन ऐसे कठिन समय में भी सोशल मीडिया के माध्यम से लोग कोरोना मरीजों की मदद कर रहे हैं। किन जगहों पर ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जाएंगे, किन कोरोना मरीजों तक खाना नहीं पहुंचा है, किन मरीजों को प्लाज्मा की जरूरत है, ऐसी तमाम जरूरतों को सोशल मीडिया के माध्यम से देश का आम नागरिक पूरा करने की कोशिश कर रहा है। लोगों तक सही जानकारी पहुंचा रहा है। आज के इस लेख में हम मिलेंगे उन सोशल मीडिया के कोरोना योद्धाओं से जो सोशल मीडिया के सहारे कोरोना मरीजों तक हर जरूरी मदद पहुंचा रहे हैं।
पति कोरोना पॉजिटिव हैं, लेकिन फिर भी मरीजों को मुफ्त खाना पहुंचा रहीं अनुपमा
अनुपमा खुद अस्थमा की रोगी हैं। उनकी इम्युनिटी कमजोर है। पति भी कोरोना संक्रमित हैं, लेकिन फिर भी वे कोरोना मरीजों को भोजन की व्यवस्था कर रही हैं। पटना की रहने वाली अनुपमा ने फेसबुक के माध्यम से पटना में कोरोना मरीजों तक मुफ्त खाना भेजने की मुहिम शुरू की है। वे घर पर ही मरीजों के लिए खाना बनाती हैं, और मरीजों तक खाना उनकी बहन पहुंचाती हैं। ये दोनों बहनें बिना किसी सरकारी मदद के स्वयं सहायता कर रही हैं। अनुपमा ने फेसबुक के माध्यम से यह मुहिम शुरू की और वहां अपना नंबर भी शेयर किया, ताकि जरूरतमंदों से बात हो सके। अनुपमा और उनकी बहन इस सेवा में लगे हुए हैं। अनुपमा लिखती हैं कि इन दिनों में सरकारों को लोगों की मदद करनी चाहिए थी, पर उनकी बातें हवाई स्टेटमेंट लग रही हैं। लोग खुद ही एक दूसरे की मदद कर रहे हैं।
अनुपमा बताती हैं कि अभी एक दिन में वे 15 परिवारों तक खाना पहुंचा रही हैं। दिनभर में 100 से ज्यादा फोन कॉल उन्हें पटना से आ जाते हैं। वे कहती हैं कि ऐसे कई परिवार हैं जिनके परिवार के लोग उनके साथ नहीं हैं। वे कोरोना में अकेले हैं। उनके घर में खाना बनाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में हम उन लोगों तक खाना पहुंचा रहे हैं। अनुपमा ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि जिन लोगों तक खाना पहुंच रहा है वे हमें आशीर्वाद देते हैं, उनकी ब्लेसिंग ही मेरे लिए खुशी है।
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खुद कोरोना पॉजिटिव हुईं फिर ठीक होकर की लोगों की मदद : शैली तोमर
पेशे से डेंटिस्ट सर्जन और न्यूट्रीशनिस्ट डॉक्टर शैली तोमर खुद कोरोना पॉजिटिव थीं। कोरोना के शुरुआती लक्षणों को भांपकर उन्होंने घर में ही अपना इलाज शुरू किया। खुद को ठीक करने के लिए उन्होंने इंस्टाग्राम पर लोगों को फॉलो किया। कोरोना से ठीक होने के लिए सही जानकारी जुटाई। इसी तरह कुछ कोविड-19 रिलीफ के लिए बने वॉट्सएप ग्रुप्स में जुड़ीं। धीरे-धीरे शैली जब रिकवर होना शुरू हुईं तो उन्होंने बाकी कोविड मरीजों की मदद करना शुरू किया। 31 साल की शैली ने कोविड मरीजों को मदद देने की मुहिम वॉट्सएप और इंस्टाग्राम से शुरू की। उन्होंने ऐसी जगहों की लिस्ट बनाई जहां पर ऑक्सीजन मिल रही है। किन जगहों पर बैड्स हैं, इसकी जानकारी सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर करनी शुरू की। पिछले एक हफ्ते से वे यही काम कर रही हैं और अब तक करीब 300 के आसपास लोगों को मदद पहुंचा चुकी हैं। वे ऐसे कई वॉट्सएस ग्रुप में जुड़ी हैं, जिनमें पेशेंट के बारे में जानकारी साझा की जाती है, उसे ऑक्सीजन या प्लाज्मा या किसी और चीज की जरूरत है तो वे मरीज को उसके एरिया में वो चीज कहां मिलेगी उसकी जानकारी उस तक पहुंचाती हैं, उससे पहले खुद वैरिफाईड करती हैं कि वो चीज वहां है या नहीं। इस तरह कोविड मरीजों को वे मदद मुहैया करा रही हैं।
शैली बताती हैं कि जिस समय मैं कोरोना पॉजिटिव हुई थी उस समय इतने मामले नहीं आ रहे थे, लेकिन स्थिति खराब है। पर हमें डरने की जरूरत नहीं है। बस एहतियात बरतने की जरूरत है। शैली कहती हैं कि इस वक्त लोग खुद ही डॉक्टर बने हुए हैं। अजीब तरह के घरेलू उपाय अपना रहे हैं। खूब कपूर सूंघ रहे हैं, पर सिर्फ कपूर सूंघने से कोरोना नहीं जाएगा। अगर आपको कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो घर पर ही इलाज शुरू कर दीजिए। खुद को अस्पताल ले जाने तक की नौबत पर मत लाइए। कोरोना के शुरूआती लक्षण दिखने पर घर पर ही इसे ठीक किया जा सकता है।
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परिवार के साथ मिलकर सोशल मीडिया से शुरू की कोरोना मरीजों की मदद : मनोज श्रीवास्तव
पिछले 15 दिनों में करीब 500 लोगों को मदद पहुंचा चुके चार्टेड अकाउंटेंट मनोज श्रीवास्तव ने परिवार और ऑफिस कलीग्स के साथ मिलकर कोविड मरीजों को मदद पहुंचाने का काम शुरू किया। वे बताते हैं कि उन्होंने वॉट्सऐप के माध्यम से लोगों तक जानकारी पहुंचानी शुरू की। जो भी जानकारी उनके पास आ रही थी उसे वे पहले अपनी टीम से वेरिफाई करवाते थे फिर पीड़ित को जानकारी दी जाती थी।
मनोज अभी दिल्ली-एनसीआर, कानपुर और लखनऊ में कोरोना मरीजों को मदद पहुंचा रहे हैं। क्योंकि यहां स्थिति ज्यादा खराब है। अभी वे बेड और ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। वे बताते हैं कि शुरू में थोड़े लोग ही फोन करते थे, लेकिन अभी 500 मेसेज एक दिन में आ रहे हैं। हर मिनट में एक कॉल आ रही है। उन लोगों को जानकारी देने की कोशिश कर रहे हैं। वेरिफाइड लीड देने की कोशिश कर रहे हैं। जितनी कोशिश हो रही है उतनी कर रहे हैं। मदद करके अच्छा लग रहा है। वे बताते हैं कि अगर आगे भी कोरोना इसी रफ्तार से फैला तो वे स्कूली बच्चों की भी मदद लेंगे। फेसबुक, लिंक्डिन, ट्विटर के माध्यम से वे यह मदद पहुंचा रहे हैं। वहां से अगर कोई मदद मांगता है तो वे उसे अपने सोशल मीडिया पर डालते हैं। जो संपर्क उनके पास हैं, वे उनसे जानकारी लेते हैं और मरीज तक पहुंचाते हैं। मनोज बताते हैं कि अब अस्पताल हों या ऑक्सीजन प्रोवाइर हों, उन्होंने कॉल उठाना बंद कर दिया है, क्योंकि अब शोर्टेज हो रहा है।
कोरोना के इस दौर में जब सभी लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घरों में कैद हैं। ऐसे में सोशल मीडिया का सहारा लेकर लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। यहां लेख में केवल कुछ नाम हैं, लेकिन ऐसे तमाम युवा हैं, जो सोशल मीडिया की मदद से कोरोना मरीजों तक जानकारी पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा उन्हें जिन चीजों की जरूरत है उसकी जानकारी भी उन्हें दे रहे हैं। यह मदद करने के बाद उन्हें जो ब्लेसिंग मिलती है उनके लिए वही उनकी जमापूंजी है। इस बुरे दौर में हम सभी को कोई न कोई मदद अपने आसपास मौजूद कोरोना पीड़ितों की करनी चाहिए। उन्हें अकेला छोड़ना उनकी परेशानी को और बढ़ाना है। उन्हें इस वक्त लोगों को जरूरत है।
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