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मां का व्यवहार शिशु के विकास पर कैसे असर डालता है? जानें एक्सपर्ट से

प्रेग्नेंसी एक महिला के जीवन का सबसे खास और अनमोल समय होता है। इस दौरान न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी कई बदलाव आते हैं।
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मां का व्यवहार शिशु के विकास पर कैसे असर डालता है? जानें एक्सपर्ट से


प्रेग्नेंसी के नौ महीनों में महिला को अपने और अपने गर्भ में पल रहे शिशु का खास ख्याल रखना होता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस समय मां का हर कदम, उसका खानपान, मानसिक स्थिति और उसकी दिनचर्या शिशु के विकास पर सीधा असर डालती है। डॉक्टर के अनुसार, गर्भवती महिला को हेल्दी और बैलेंस डाइट लेनी चाहिए, नियमित एक्सरसाइज करनी चाहिए और खुद को तनावमुक्त रखने के लिए मेडिटेशन या संगीत का सहारा लेना चाहिए। इसके साथ ही, मां का मूड, उसका हंसना और खुश रहना भी शिशु के मानसिक और भावनात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डॉ. अकांक्षा श्रीवास्तव, जो एक लैप्रोस्कोपिक सर्जन हैं, बताती हैं कि प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों से ही मां के अंदर यह भावना होनी चाहिए कि अब नौ महीनों तक उसका शिशु उसके गर्भ में सुरक्षित रहेगा। डॉक्टर आकांक्षा से जानिए कि कैसे मां का व्यवहार शिशु को प्रभावित करता है।

मां के व्यवहार का शिशु पर असर

प्रेग्नेंसी का समय महिला के लिए अपने आप से प्यार करने और खुद का पूरा ध्यान रखने का होता है। अच्छी नींद लेना, हाइड्रेटेड रहना और डॉक्टर की सलाह के अनुसार नियमित रूप से चेकअप कराना भी इस समय बेहद जरूरी होता है। गर्भावस्था के दौरान मां का खुश और स्वस्थ रहना, शिशु के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी है।

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1. प्रेग्नेंसी में मां के मूड का शिशु पर प्रभाव

प्रेग्नेंसी के दौरान मां का मूड और मानसिक स्थिति शिशु के शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक विकास को प्रभावित कर सकते हैं। जब मां खुश होती है, तो उसके शरीर में ऐसे हार्मोन का उत्पादन होता है जो शिशु के विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। वहीं, तनाव या चिंता जैसे नकारात्मक भावनाओं से मां के शरीर में कोर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे शिशु के न्यूरोलॉजिकल विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

2. मां की डाइट का शिशु पर असर

प्रेग्नेंसी के दौरान मां का आहार शिशु के शारीरिक विकास के लिए जरूरी होता है। मां के द्वारा खाए गए पोषक तत्व शिशु तक पहुंचते हैं और उसका विकास करते हैं। इसलिए इस दौरान संतुलित और पोषण से भरपूर आहार लेना जरूरी होता है। हरी सब्जियां, फल, सूखे मेवे और प्रोटीन से भरपूर आहार शिशु के मस्तिष्क और शरीर के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। इसके साथ ही, जंक फूड या अत्यधिक तेल, मसालेदार भोजन से बचना चाहिए। ऐसा इसलिए, क्योंकि ये शिशु के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।

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3. मां की आदतें और शिशु का विकास

प्रेग्नेंसी के दौरान मां की जीवनशैली की आदतें भी शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं। यदि मां प्रेग्नेंसी से पहले वॉक या एक्सरसाइज नहीं करती थी, तो उसे गर्भावस्था के दौरान हल्की-फुल्की एक्सरसाइज और वॉक शुरू कर देनी चाहिए। यह शिशु के स्वास्थ्य के साथ-साथ मां के शरीर को भी एक्टिव रखता है और गर्भावस्था के दौरान होने वाले तनाव को कम करता है।

इसके साथ ही मां के सोने-जागने की आदतें, उसकी नींद की क्वालिटी भी शिशु के विकास पर असर डालती हैं। यदि मां की नींद पूरी नहीं होती है, तो इसका शिशु के मस्तिष्क के विकास पर नकारात्मक असर हो सकता है।

निष्कर्ष

प्रेग्नेंसी के दौरान मां का व्यवहार, उसकी आदतें, डाइट और मानसिक स्थिति का सीधा प्रभाव शिशु के विकास पर पड़ता है। इसलिए इस दौरान मां को अपने आप का ख्याल रखने के साथ-साथ एक स्वस्थ और पॉजिटिव लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए। जितना ज्यादा मां खुश और स्वस्थ रहेगी, उतना ही शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास बेहतर होगा।

 
 
 
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All Images Credit- Freepik

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