कोरोना वायरस जैसे-जैसे बड़ी जनसंख्या में फैलता जा रहा है, इससे संबंधित नई-नई जानकारियां निकल कर सामने आती जा रही हैं। शुरुआती दिनों में ये बात कही गई थी कि कोरोना वायरस होने पर बुखार, खांसी, जुकाम जैसे लक्षण दिखते हैं। मगर आज दुनियाभर में 80% मामले ऐसे हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पहले ये कहा गया कि कोरोना वायरस रेस्पिरेटरी इंफेक्शन है, इसलिए फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। मगर बाद में पेट खराब होने से लेकर पैरों में निशान बनने तक कई अजीबो-गरीब लक्षण सामने आए। और अब इसी कड़ी में किडनी पर भी कोरोना वायरस का असर देखा जा रहा है।
दुनियाभर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें कोरोना वायरस के कारण मरीजों की किडनी पर बुरा असर पड़ा है, जिसके कारण किडनी फेल होने या डैमेज होने से मरीज की मौत हो गई है। अमेरिका में कुल मरीजों में से लगभग 9% मरीज एक्यूट किडनी इंजरी का शिकार हुए पाए गए हैं। ऐसे खतरनाक समय में जब दुनियाभर के अस्पताल जरूरी सामग्रियों जैसे- वेंटिलेटर्स और PPE किट की कमी से जूझ रहे हैं, वहीं अब डायलिसिस मशीनों की भी कमी सामने आने लगी है।
क्या कोरोना वायरस किडनी पर अटैक करता है?
साइंस जर्नल के अनुसार किडनी डैमेज के मामले कोरोना वायरस के गंभीर केस में ही देखने को मिले हैं, जिसके कारण लोगों की मौत हो रही हैं। लेकिन अभी तक इस बात का ठीक-ठीक पता नहीं लगा है कि कोरोना वायरस किडनियों पर डायरेक्ट अटैक कर रहा है या फिर ये मल्टिपल ऑर्गन फ्लेयोर के कारण हो रहा है। लेकिन कुछ वैज्ञानिक इस बात को मान रहे हैं कि कोरोना वायरस किडनी पर सीधे अटैक कर सकता है और इसका कारण वो ये बताते हैं कि किडनी में काफी अच्छी मात्रा में Angiotensin-converting enzyme 2 (ACE2 ) रिसेप्टर होते हैं। ये रिसेप्टर किडनी की बाहरी सतह पर पाए जाते है, जहां से कोरोना वायरस सीधे सेल्स में प्रवेश कर सकता है।
इसे भी पढ़ें: जब कोई 'दवा' नहीं, तो कैसे ठीक हो रहे हैं कोरोना वायरस के मरीज? कोविड-19 से 'रिकवरी' का मतलब क्या है?
वुहान में 85 मरीजों पर किए गए एक शोध में पाया गया है कि 27% से ज्यादा मरीजों को किडनी फेल्योर की समस्या हुई है। ये रिसर्च American Journal of Kidney Diseases (AJKD) में छापी गई है।
किडनी रोगों में डायलिसिस मशीनों की है बड़ी भूमिका
आपको पता होगा कि किडनियां हमारे शरीर में खून को फिल्टर करके इससे टॉक्सिन्स (गंदगी) को बाहर निकालती हैं। अगर किसी व्यक्ति को किडनी का गंभीर संक्रमण हो जाए और उसकी किडनियां काम करना बंद कर दें, तो ये ब्लड प्यूरिफिकेशन का काम आर्टिफिशियल मशीनों की मदद से किया जाता है, जिसे डायलिसिस मशीन कहते हैं। ये मशीनें एक तरह के किडनी के रोगी के लिए जीवन रक्षक साबित होती हैं। लेकिन दुनिया के तमाम देश इस समय इन मशीनों की कमी से जूझ रहे हैं।
इसे भी पढ़ें: कोरोना वायरस शरीर में पहुंचने के बाद क्या करता है? जानें शरीर पर इस वायरस का कैसे पड़ता है प्रभाव
भारत में हर 10 में 1 व्यक्ति किडनी रोगी
अगर भारत के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो 2019 की एक रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर 10 में से 1 व्यक्ति किसी न किसी रूप में किडनी रोग का शिकार है। भारत में हर साल 2 लाख के लगभग किडनी रोग के नए मरीज सामने आते हैं, जो स्टेज-5 क्रॉनिक किडनी डिस्ऑर्डर का शिकार होते हैं। ऐसे स्टेज वाले लोगों को तुरंत डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि अगर भारत में कोरोना वायरस फैला, तो किडनी रोगियों के लिए ये अतिरिक्त खतरनाक हो सकता है। भारत भी इन दिनों तमाम मेडिकल इक्विपमेंट्स की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में अचानक से बड़ी संख्या में डायलिसिस मशीनों की आपूर्ति करना भी एक बड़ी चुनौती होगी।
Read More Articles on Other Diseases in Hindi
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version