Acute Encephalitis Syndrome in Gujarat: देश में अभी चांदीपुरा जीका और निपाह वायरस का खतरा टला नहीं है कि ऐसे में एक नई बीमारी सामने आ रही है। गुजरात में चांदीपुरा वायरस के बढ़ते मामलों के बीच एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के मरीज भी निकलकर सामने आ रहे हैं। केवल गुजरात ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी कई बच्चों में इस सिंड्रोम से पीड़ित होने की पुष्टि की जा चुकी है। चांदीपुरा वायरस से पीड़ित अधिकांश मरीजों में यह वायरस देखा जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक गुजरात में चांदीपुरा वायरस के मामलों की संख्या 130 से भी ज्यादा पहुंच चुकी है।
52 लोगों की हो चुकी है मौत
स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में अबतक AES से 52 लोगों की मौत भी हो चुकी है। वहीं, 118 लोग अबतक इससे संक्रमित हो चुके हैं। इसके चलते अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। राज्य में पिछले 24 घंटों के अंदर इस बीमारी के 17 नए मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
क्या है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES)?
एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिमाग में सूजन आ जाती है। यह समस्या आमतौर पर वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होती है। आमतौर पर इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है। यह समस्या आजकल चांदीपुरा वायरस के कारण भी फैल रही है। आसान शब्दों में समझें तो यह चांदीपुरा वायरस का ही एक लक्षण है। वैसे तो यह बीमारी जलपक्षियों और मच्छरों के काटने पर होती है। कुछ मामलों में इसके लक्षण नहीं दिखते हैं। वहीं, इसके लक्षणों को नजरअंदाज करना कई बार जान पर भी भारी पड़ सकता है। आमतौर पर इस समस्या में बुखार, सिरदर्द, लाइट में देखने में परेशानी होना, गर्दन में जकड़न आदि रहने जैसी समस्या हो सकती है।
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एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से बचने के तरीके
- एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से बचने के लिए आपको मच्छरों से बचकर रहना चाहिए।
- ऐसे में कोशिश करें कि फुल बाजू के कपड़े पहनें।
- इसके साथ ही आपको वायरल इंफेक्शन से बचने की भी जरूरत है।
- इससे बचने के लिए आप वैक्सीन भी लगवा सकते हैं।