Why does Chandipura Virus Affects Only Children: गुजरात के कई जिलों में चांदीपुरा वायरस का कहर देखने को मिल रहा है। चांदीपुरा वायरस की वजह से गुजरात में अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि इससे संक्रमित मरीजों की संख्या 84 हो चुकी है। गुजरात के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश के भी कई जिलों में चांदीपुरा वायरस का कहर देखने को मिल रहा है। आशंका जताई जा रही है आने वाले दिनों में चांदीपुरा वायरस के मामले और भी बढ़ सकते हैं। इस वायरस की सबसे बड़ी बात यह है कि इसका प्रभाव सिर्फ बच्चों में ही देखने को मिलता है। डॉक्टर का कहना है कि चांदीपुरा वायरस एक ऐसा संक्रमण है जिसका सही समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे बच्चे की मौत भी हो सकती है। देश में चांदीपुरा वायरस के बढ़ते मामलों के बीच आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने जा रहे हैं चांदीपुरा वायरस सिर्फ बच्चों को ही प्रभावित क्यों करता है और इससे बचाव के क्या उपाय अपनाने चाहिए।
सिर्फ बच्चों को ही क्यों संक्रमित करता है चांदीपुरा वायरस? - Why does Chandipura Virus Affects Only Children?
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. तान्या गुप्ता का कहना है कि चांदीपुरा वायरस रेत मक्खी (सैंड फ्लाई) और मच्छरों के काटने से फैलता है। बारिश के मौसम में चांदीपुरा वायरस के मामले ज्यादा बढ़ जाते हैं। इसकी मुख्य वजह है कि बारिश के मौसम में मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है, जिसकी वजह से चांदीपुरा वायरस का खतरा और भी ज्यादा हो जाता है। इसके अलावा चांदीपुरा वायरस बारिश के मौसम में पैदा होने वाले कीट-पतंगों के जरिए भी इंसानों के शरीर में फैलता है। डॉ. तान्या गुप्ता का कहना है कि चांदीपुरा वायरस के बच्चों को ज्यादा संक्रमित करने की मुख्य वजह है उनकी इम्यूनिटी का कमजोर होना। डॉक्टर के अनुसार, 1 से 14 साल के बच्चे का शरीर बढ़ती उम्र में होता है और कई तरह की चीजों से गुजरता है। जिसकी वजह से बच्चों की इम्यूनिटी काफी कमजोर होती है। यही वजह है चांदीपुरा वायरस सिर्फ बच्चों को ही अपनी चपेट में लेता है।
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संक्रमण का नाम क्यों पड़ा चांदीपुरा?- Why was the infection named Chandipura?
डॉ. तान्या गुप्ता का कहना है कि चांदीपुरा वायरस कोरोना से भी पुराना है। इस वायरस का पहला मामला साल 1966 में महाराष्ट्र के चांदीपुरा में पाया गया था। चांदीपुरा में पहला केस मिलने के कारण ही इस संक्रमण का नाम चांदीपुरा वायरस पड़ा था। गौर करने वाली बात यह है कि 1966 से लेकर अब तक भारत के अलावा दुनिया के किसी अन्य देश में चांदीपुरा वायरस का कोई भी केस दर्ज नहीं किया गया है।
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चांदीपुरा वायरस के लक्षण क्या हैं?- What are the symptoms of Chandipura virus?
डॉ. तान्या गुप्ता का कहना है कि चांदीपुरा वायरस के लक्षण हर बच्चे में विभिन्न होते हैं, लेकिन इसके सामान्य लक्षण नीचे बताए गए हैं:
- बच्चे को तेज बुखार
- उल्टी
- दस्त
- सिर दर्द
- शरीर में ऐंठन
- डायरिया
- बदन में तेज दर्द होना
गंभीर स्थिति में बच्चे के दिमाग में सूजन आ सकती है, जिसकी वजह से बच्चे की हालत बिगड़ सकती है और इसका इलाज असंभव हो जाता है।
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चांदीपुरा वायरस से बचाव के तरीके- Ways to prevent Chandipura virus
चांदीपुरा वायरस से बचाव के लिए आप नीचे बताए गए टिप्स को अपना सकते हैं:
- घर और आसपास की सफाई को बनाकर रखें। किसी गमले या बर्तन में गंदा पानी जमा न होने दें, जिसकी वजह से मच्छर पैदा हों।
- बच्चों को चांदीपुरा और अन्य मच्छरों से जनित बीमारियों से बचाने के लिए हमेशा फुल बाजू के कपड़े पहनें।
- शाम के समय पार्क या घर के बाहर बच्चों को खेलते हुए छोड़ने से पहले मच्छर भगाने वाली क्रीम या ऑयल का इस्तेमाल करें।
- पालतू जानवर और पंछियों के लिए किसी बर्तन में पानी रखा है, तो उसे किसी हल्के कपड़े या जाल से ढककर रखें।
- कीट-पतंगे और मच्छर घर में प्रवेश न कर पाए, इसके लिए शाम के समय खिड़की और दरवाजों को बंद करके रखें।
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