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कलर ब्लाइंडनेस (रंगों की पहचान न कर पाना) की समस्या कैसे शुरू होती है? डॉक्टर से समझें

कुछ लोगों रंगों की पहचान करने में समस्या होती है। यह लक्षण कलर ब्लाइंडनेस की ओर इशारा करता है। आगे जानते हैं कैसे शुरू होता है कलर ब्लाइंडनेस?
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कलर ब्लाइंडनेस (रंगों की पहचान न कर पाना) की समस्या कैसे शुरू होती है? डॉक्टर से समझें


Color Blindness In Hindi: कुछ लोगों को रंगों को पहचानने में परेशानी होती है। इस स्थिति में व्यक्ति को रंगों में अंतर करने की क्षमता कम हो जाती है। इस समस्या को कलर ब्लाइंडनेस कहा जाता है। इस समस्या में व्यक्ति को हरा, लाल, नीला व मिक्स रंग देखने में परेशानी होती है। इस दौरान व्यक्ति को सभी रंग दिखना बंद हो जाए, ऐसा बेहद कम होता है। जब व्यक्ति को सारे रंग दिखना बंद हो जाते हैं तो उसे मोनोक्रोमसी कहा जाता है। वहीं कुछ लोगों का यह भी मानना है कि कलर ब्लाइंडनेस में व्यक्ति को केवल व्हाइट एंड ब्लैक ही दिखाई देता है। जबकि, ऐसा मानना गलत है। भारत में भी कई महिलाओं व पुरुषों को कलर ब्लाइंडनेस की समस्या है। आज इस लेख में जातने हैं कि कलर ब्लाडइंनेस की समस्या क्यों शुरु होती है। इस विषय पर आई केयर सेंटर नई दिल्ली के निदेशक और वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉक्टर संजीव गुप्ता से जानते हैं कि कलरब्लाइंडनेस किस तरह से शुरु होता है। 

कलर ब्लाइंडनेस किस तरह से शुरु होता है? - How Color Blindness Occurs In Eyes In Hindi 

जैसा कि आपको पहले बताया गया है कि कलर ब्लाइंडनेस में व्यक्ति को मुख्य रूप से लाल, हरा और नीले रंग को अलग-अलग समझने या दिखाई देने में समस्या हो सकती हैं। यह समस्या अक्सर तब होती है जब व्यक्ति को कुछ रंगों के बीच अंतर करने में परेशानी होती है। दरअसल, डॉक्टरी भाषा में समझें तो हमारी आंख की रेटिना में प्रकाश का पता लगाने के लिए दो प्रकार की कोशिकाएं होती हैं। इसमें एक को रॉड (Rods) और दूसरी को कोन्स (Cones) कहते हैं। रॉड्स केवल लाइट और अंधेर में काम करती है, जबकि हल्की रोशनी में यह संवेदनशील हो जाती है। वहीं कोन्स सेल्स कलर का पता लगाती हैं। साथ ही, यह आपके दिखाई देने के सेंटर प्वाइंट केंद्रित होती है। इसमें कोन्स के तीन प्रकार होते हैं। इसमें हरा, लाल और नीले को देखा जाता है। दरअसल, कोन्स से इनपुर प्राप्त कर हमारा मस्तिष्क रंगों को पहचान पाता है। 

कलर ब्लाइंडनेस की समस्या तब होती है, जब कोन्स सेल्स की एक से अधिक प्रकार काम नहीं कर पाते हैं। यह स्थिति तब गंभीर हो जाती है, जब तीनों प्रकार के कोन्स सेल्स कार्य नहीं करते हैं। कलर ब्लाइंडनेस के बेहद कम लक्षण तब दिखाई देते हैं, जब कोन्स सेल्स का एक प्रकार कार्य नहीं करता है। 

color blindness in hindi

कलर ब्लाइंडनेस होने के जोखिम कारक - Color Blindness Risk Factors In Hindi 

  • यदि, किसी व्यक्ति के परिवार में पहले किसी को कलर ब्लाइंडनेस होता है, तो ऐसे में यह रोग उसके परिवार के अन्य लोगों हो सकता है। 
  • महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में कलर ब्लाइंडनेस की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। 
  • जिन लोगों को मोतियाबिंद की समस्या होती है, उनको कलर ब्लाइंडनेस का खतरा अधिक होता है। 
  • डायबिटीज, अल्जाइमर और मल्टीपल स्केलेरोसिस से कलर ब्लाइंडनेस होने की आशंका बढ़ जाती है। 

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आंखों की समस्याओं को ज्यादा समय तक नजरअंदाज करने से आपको कई तरह के गंभीर रोग हो सकते हैं। इनसे बचने के लिए आप आंखों का चेकअप नियमित रूप से कराएं। साथ ही, ज्यादा समय तक मोबाइल व कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखने से बचें। 

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