Ganesh Chaturthi Fasting Tips: गणेश चतुर्थी का महापर्व बस आ गया है और चारों ओर "गणपति बप्पा मोरया" की गूंज सुनाई देने लगी है। यह त्योहार सिर्फ 10 दिनों का उत्सव नहीं, बल्कि गहरी आस्था और भक्ति का प्रतीक भी है। कई लोग इन दिनों बप्पा को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं, लेकिन अक्सर जानकारी के अभाव में व्रत को सही तरीके से पूरा नहीं कर पाते। मन में हमेशा यह सवाल रहता है कि व्रत कब और कैसे खोलें ताकि सेहत भी बनी रहे और पूजा का पूरा फल भी मिले। अगर आप भी इस दुविधा में हैं, तो चिंता न करें। आइए, हम आपकी इस उलझन को दूर करते हैं और आपको बताते हैं गणेश चतुर्थी व्रत से जुड़े कुछ खास नियम और इसे खोलने की सही विधि।
व्रत रखने वालों के लिए कुछ जरूरी नियम
गणेश चतुर्थी का व्रत सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह तन और मन के शुद्धिकरण का भी एक माध्यम है। व्रत को विधि-विधान से खोलने से पहले, यह जानना भी ज़रूरी है कि इसे रखा कैसे जाए। इस व्रत में भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ शमी के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन के सभी संकट, परेशानियां और दरिद्रता दूर होती है।
- जब आप गणेश भगवान की पूजा करें, तो सबसे पहले उन्हें सिंदूर लगाएं। उसके बाद इस सिंदूर को आपने माथे पर भी लगाएं। इससे आपके आपको आरोग्य की प्राप्ति होगी और गणेश भगवान की कृपा भी आपके ऊपर बनी रहेगी।पूजा के दौरान आपको लाल कपड़े और लाल चंदन का ही प्रयोग करना चाहिए। इससे धन-धान्य में वृद्धि होती है।
- गणेश भगवान को मोदक पसंद होते हैं, इसलिए आपको पूजा के बाद उन्हें इनका भोग जरूर लगाना चाहिए।
- आपको पूजा के समय 11 दुर्वा को गणेश जी के पेट पर चिपकाना चाहिए। उसके बाद संकटनाशन गणेश स्तोत्र' का पाठ करना चाहिए। इसके साथ-साथ आपको 108 बार 'ॐ गं गणपतये नमः मंत्र का जाप भी करना चाहिए। इससे आपके सभी संकट दूर होंगे।
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गणेश चतुर्थी का व्रत कब और कैसे खोला जाता है
व्रत की शुरुआत के दौरान आपको सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए। उसके बाद ध्यान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। व्रत का संकल्प हाथ में में चावल व जल लेकर करें। फिर घर के मंदिर की पूजा शुरु करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर गणेशजी की प्रतिमा को स्थापित करें। आप चाहें, तो गणेश की जी तस्वीर भी रख सकते हैं। बाद में गंगाजल का छिड़काव करके देसी घी का दीपक जलाएं। गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग लगाएं।
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इस व्रत में चांद की पूजा का भी बहुत खास महत्व होता है, इस व्रत को शाम के समय चांद के दर्शन करने के बाद ही खोला जाता है। चंद्रोदय के बाद पूजा करके अपना व्रत समाप्त कर सकते हैं। बहुत से लोग पाल पायसम और चावल की खीर से खाकर व्रत खोलते हैं, जबकि कुछ फराली फूड्स के साथ व्रत खोलते हैं।
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