हार्ट फेल्योर (Heart Failure) की स्थिति तब होती है, जब हृदय शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रक्त पंप नहीं कर पाता है। हार्ट फेल्योर की आखिरी स्टेज बेहद ही भयावह और गंभीर होती है। हार्ट फेल्योर वाले व्यक्ति का हृदय समय के साथ-साथ कमजोर होता जाता है।
हार्ट फेल्योर कैसे होता है (How Does Heart Failure)
वॉकहार्ट अस्पताल, मुंबई सेंट्रल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर रवि गुप्ता (Dr Ravi Gupta, Cardiologist, Wockhardt Hospital, Mumbai Central) बताते हैं कि जब हृदय तक ऑक्सीजन पहुंचाने वाली धमनियों में किसी तरह की रुकावट पैदा होती है, तो हृदय तक रक्त का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है। जिसकी वजह से हृदय रक्त को पंप करने में असमर्थ होता है और इस स्थिति को हार्ट फेल्योर कहा जाता है। ऐसे में शरीर के जिन अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाते हैं, वे खराब होने लगते हैं।
हार्ट फेल्योर के लक्षण (Symptoms of Heart Failure)
हार्ट फेल्योर के आखिरी स्टेज में हृदय मरीजों को लगातार इसके लक्षण महसूस होते रहते हैं। इसमें उन्हें बहुत ज्यादा कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है। इतना ही नहीं इस चरण में मरीजों को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। ऐसे लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाने की जरूरत होती है। इस स्थिति में मरीज को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- - दिल की धड़कने अचानक बढ़ना और कम होना
- - सांस लेने में तकलीफ होना
- - थकान और कमजोरी महसूस होना
- - भूख न लगना
- - शरीर में ऊर्जा की कमी
- - पेट में दर्द या सूजन होना
- - भूख न लगना और लगातार वजन कम होना
- - गर्दन की नसों का उभरना
- - लगातार खांसी होना
- - पैरों में सूजन
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डॉक्टर रवि गुप्ता बताते हैं कि सामान्य व्यक्ति की हार्ट पंपिंग 60 प्रतिशत तक होती है। जबकि हार्ट फेल्योर में रोगियों की हार्ट की पंपिंग 25-30 प्रतिशत तक हो जाती है, जो एक गंभीर स्थिति हो सकती है।
हार्ट फेल्योर के कारण (Causes of Heart Failure)
अपोलो टेलीहेल्थ के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर अश्विन मधुकर (Dr Ashwin Madhukar, Senior Cardiologist, Apollo Telehealth) बताते हैं कि हार्ट फेल्योर होने के पीछे एक कारण नहीं होता है। इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार होते हैं। सामान्य से अधिक काम करने पर हृदय को नुकसान पहुंचता है। हार्ट फेल्योर की स्थिति में रोग इतना बढ़ जाता है कि कई बार इसमें दवाएं भी कारगर साबित नहीं हो पाती है। यह स्थिति में व्यक्ति के हार्ट फेल्योर का आखिरी स्टेज होता है। हार्ट फेल्योर हृदय के दाएं या बाएं हिस्से को प्रभावित करता है। इन दोनों ही स्थिति में हृदय रक्त को पंप करने में असमर्थ होता है।
डायबिटीज (Diabetes)
शरीर में शुगर लेवल बढ़ने से भी हार्ट फेल्योर का खतरा बढ़ सकता है। लगातार अनियंत्रित ब्लड शुगर हृदय को कमजोर बनाता है और उसके काम को बाधित करता है। ऐसे में हृदय सही से रक्त को पंप नहीं कर पाता है, जिसकी वजह से हार्ट फेल्योर की स्थिति पैदा होती है।
हाई ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure)
हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को हार्ट फेल्योर होने की संभावना अधिक रहती है। क्योंकि इन लोगों के हृदय को शरीर में रक्त की पूर्ति करने के लिए अधिक काम करना होता है। इससे हृदय की मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं, जो हृदय के कार्य को प्रभावित करती है। इसलिए उच्च रक्तचाप को भी हार्ट फेल्योर का एक कारण माना जाता है।
मोटापा (Obesity)
मोटापा भी हार्ट फेल्योर का एक कारण हो सकता है। मोटापा हृदय की कार्य क्षमता को प्रभावित करता है। मोटाप हृदय को कमजोर बना देता है, जिससे यह रक्त को पंप करने में असमर्थ हो जाता है।
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हृदय में सूजन (Heart Inflammation)
दिल में सूजन भी हार्ट फेल्योर की एक वजह हो सकती है। हृदय में सूजन की वजह से दिल सही तरीके से अपना काम नहीं कर पाता है। यह रक्त को पंप करने से असमर्थ हो जाता है।
वाल्वुलर हृदय रोग (Valvular Heart Disease)
कई लोगों को वाल्वुलर हृदय रोग होता है, उन्हें भी हार्ट फेल्योर होने की संभावना रहती है। इस स्थिति में हृदय को बहुत अधिक काम करना होता है, जिससे दिल को नुकसान पहुंचता है और यह स्थिति हार्ट फेल्योर का रूप ले लेती है।
हार्ट फेल्योर के लिए बचाव के टिप्स (Prevention to Heart Failure)
हार्ट फेल्योर से अपना बचाव करने के लिए आपको अपने लाइफस्टाइल और डाइट पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है। अच्छी लाइफस्टाइल को अपनाकर हार्ट फेल्योर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिए आपको इन बचाव टिप्स पर ध्यान देना होगा।
- - दिल को स्वस्थ रखने वाले आहार का सेवन करें।
- - वसा और मीठी चीजों के सेवन से बचें।
- - रिफाइंड शुगर का सेवन बिल्कुल न करें।
- - नियमित रूप से एक्सरसाइज और योगा करना हृदय के लिए बेहतर माना जाता है।
- - बॉडी को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी होता है।
- - एल्कोहल और धूम्रपान का सेवन करने से बचें।
- - सोडियम का सेवन कम मात्रा में करें।
अगर आपको भी हार्ट फेल्योर के लक्षण नजर आ रहे हैं, तो इन्हें नजरअंदाज करने से बचें। ऐसे में आपको समय रहते इलाज की जरूरत होती है। इसके कारण को पहचानकर आप इससे अपना बचाव काफी हद तक कर सकते हैं। इस स्थिति में आपको डॉक्टर की सलाह पर ही दवाइयों का सेवन करना चाहिए।
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