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गाजियाबाद जज की हर्निया सर्जरी के बाद मौत, जानें पोस्ट-सर्जरी हार्ट अटैक के कारण और बचाव

सर्जरी के बाद हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ जाता है? जानें इसके कारण, किन लोगों को ज्यादा खतरा है और बचाव के लिए क्या सावधानियां जरूरी हैं।
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गाजियाबाद जज की हर्निया सर्जरी के बाद मौत, जानें पोस्ट-सर्जरी हार्ट अटैक के कारण और बचाव


गाजियाबाद के जिला जज अशीष गर्ग की हर्निया की सर्जरी के बाद अचानक मौत हो गई। आशीष 52 साल के थे और सर्जरी के बाद रिकवर कर रहे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब आशीष को हार्ट अटैक आया, तब वो अस्पताल के वॉशरूम में थे। अस्पताल में मौजूद होने के बावजूद उनकी जान नहीं बचाई जा सकी। आशीष की इस अचानक मौत ने सभी को चौंका दिया, यही कारण है कि उनकी मौत की खबर कुछ समय तक गूगल ट्रेंड्स पर ट्रेंड में बनी रही। दरअसल पिछले कुछ समय में जिस तरह से युवाओं और अधेड़ उम्र के लोगों में अचानक हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं, वो अपने आप में चिंता का विषय है। आशीष गर्ग की मौत का संभावित कारण जानने के लिए हमने बात की उर्सुला हॉस्पिटल कानपुर के एमडी फिजीशियन डॉ. राम आशीष यादव से। उन्होंने हमें बताया कि सर्जरी के बाद इस तरह से अचानक मरीज की मौत होना रेयर है लेकिन ऐसा होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार सर्जरी के बाद मरीज के शरीर में कुछ ऐसे बदलाव होते हैं, जिनसे दिल से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं उन कारणों के बारे में।

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सर्जरी शरीर पर डालती है अतिरिक्त दबाव

किसी भी सर्जरी के दौरान शरीर पर अचानक ज्यादा फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस पड़ता है। एनेस्थीसिया, टिश्यू डैमेज और ब्लीडिंग जैसी स्थितियों से निपटने के लिए शरीर स्ट्रेस हॉर्मोन (जैसे एड्रेनलिन, कॉर्टिसोल) ज्यादा मात्रा में रिलीज करता है। इससे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है, जो दिल पर अतिरिक्त दबाव डालता है।

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इम्यून रिस्पॉन्स और इंफ्लेमेशन

सर्जरी के बाद बॉडी का इम्यून सिस्टम वूंड हीलिंग (घाव भरने) के लिए एक्टिव हो जाता है। इस दौरान ब्लड में इंफ्लेमेटरी केमिकल्स बढ़ जाते हैं, जो कभी-कभी आर्टरीज में जमी प्लाक को अस्थिर कर सकते हैं। अगर यह प्लाक टूटकर ब्लड फ्लो को ब्लॉक कर दे, तो हार्ट अटैक हो सकता है।

मोबिलिटी कम होने से ब्लड क्लॉट का खतरा

सर्जरी के बाद कई बार मरीज को कुछ दिनों तक बेड रेस्ट पर रहना पड़ता है, जिससे पैरों में ब्लड क्लॉट बनने का रिस्क बढ़ जाता है। अगर यह क्लॉट हार्ट या फेफड़ों तक पहुंच जाए तो जानलेवा स्थिति बन सकती है।

एनेस्थीसिया और ऑक्सीजन लेवल में बदलाव

एनेस्थीसिया का व्यक्ति के ब्लड प्रेशर और हार्ट के रिद्म पर असर पड़ता है। अगर किसी मरीज को पहले से हार्ट डिजीज या डायबिटीज की समस्या है, तो कई बार इसका असर निगेटिव भी हो सकता है।

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किन लोगों को ज्यादा खतरा होता है?

डॉ. आशीष के मुताबिक ऐसी घटना सामान्य नहीं है लेकिन फिर भी कुछ लोगों को इसका ज्यादा खतरा हो सकता है, जैसे- 50 साल से ऊपर के लोग, डायबिटीज, हाई बीपी या हाई कोलेस्ट्रॉल वाले मरीज, स्मोकिंग करने वाले लोग, मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति और जिनके परिवार में हार्ट डिजीज का इतिहास है।

किन बातों का ध्यान रखना है जरूरी?

डॉ. आशीष बताते हैं कि सर्जरी के बाद कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

  • प्री-ऑपरेटिव चेकअप कराएं: अगर सर्जरी प्लान्ड है तो पहले हार्ट की जांच जरूर करवाएं।
  • डॉक्टर की दवा और डाइट एडवाइस फॉलो करें: ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल में रखें।
  • रिकवरी के दौरान हल्की मूवमेंट करें: डॉक्टर की अनुमति से धीरे-धीरे चलना शुरू करें ताकि ब्लड सर्कुलेशन बेहतर हो।
  • लक्षण दिखते ही अलर्ट रहें: किसी भी असामान्य दर्द या सांस की तकलीफ को हल्के में न लें, तुरंत डॉक्टर को बताएं।

जज अशीष गर्ग की मौत की इस घटना से एक बात समझनी चाहिए कि सर्जरी के बाद भी सावधानी की उतनी ही जरूरत होती है, जितनी ऑपरेशन के दौरान होती है। रिकवरी के समय सतर्क रहना, शरीर के संकेतों को समझने और समय रहते सही इलाज लेने से कई गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है। इस दौरान छोटी-सी लापरवाही भी बड़ा खतरा बन सकती है।

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