आसन की स्थिति को मुद्रा कहा जाता है। मुद्राएं कई तरह की होती हैं। इन्हीं में से एक है हस्त मुद्रा। इस स्थिति में हाथों की सभी उंगलियों की मदद से विशेष तरह की आकृति बनाई जाती है। इन्हीं आकृतियों को हस्त मुद्रा का नाम दिया जाता है। मेडिटेशन के दौरान आप कई तरह की हस्त मुद्राओं का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपके शरीर को काफी लाभ होंगे, लाथ ही मेडिटेशन करने में भी मदद मिलेगी। आज हम इस लेख में मेडिटेशन के लिए हस्त मुद्रा के बारे में जानेंगे। आइए जानते हैं मेडिटेशन के लिए 5 हस्त मुद्राएं -
1. ज्ञान मुद्रा ( Gyan Mudra )
मेडिटेशन के दौरान आप ज्ञान मुद्रा बहुत ही आसानी से कर सकते हैं। अक्सर मेडिटेशन करने वाले इस मुद्रा को करना पसंद करते हैं। इस ज्ञान मुद्रा को करने से एकाग्रता में सुधार आती है। साथ ही याददाश्त भी तेज हो सकती है। ऐसा माना जाता है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए इस मुद्रा को काफी सदियों से किया जा रहा है। किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आप इस मुद्रा को कर सकते हैं।
ज्ञान मुद्रा करने का तरीका (Gyan Mudra steps)
इस मुद्रा को करने के लिए अपनी तर्जनी को अपने अंगूठे की नोक से स्पर्श करें। अब अपनी अन्य तीन उंगलियों को सीधा रखें।
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2. बुद्धि मुद्रा ( Buddhi Mudra )
मेडिटेशन के दौरान बुद्धि मुद्रा को किया जाता है। इस मुद्रा का अभ्यास करने से माइंड शार्प होता है। अधिकत योग गुरू इस मुद्रा को तब करते हैं, जब अवचेतन से सहज संदेशों को समझने की आवश्यकता होती है। इस मुद्रा का नियमित रूप से अभ्यास करने से ब्लड सर्कुलेशन में सुधार आता है। साथ ही आपके सोचने-समझने की क्षमता भी बढ़ती है।
बुद्धि मुद्रा करने का तरीका (buddhi mudra steps)
इस मुद्रा को करने के लिए अपनी छोटी उंगली से अपने अंगूठे को छूएं। इसके बाद अपनी अन्य तीन उंगलियों को सीधा रखें।
3. शून्य मुद्रा ( Soonya Mudra )
मेडिटेशन के दौरान शून्य मुद्रा किया जा सकता है। यह मुद्रा अंतर्ज्ञान, सतर्कता और संवेदी शक्तियों में सुधार लाता है। साथ ही आपकी भावनाओं और विचारों को भी शुद्ध करता है। नियमित रूप से इसका अभ्यास आपके लिए काफी लाभकारी हो सकता है।
बुद्धि मुद्रा करने का तरीका (Soonya Mudra steps)
इस मुद्रा को करने के लिए मध्यमा उंगली के सिरे को अंगूठे के सिरे से स्पर्श करें। अब बाकी तीन उंगलियों को सीधा और शिथिल रखें।
4. प्राण मुद्रा ( Prana mudra )
प्राण मुद्रा आपके निष्क्रिया ऊर्जा को पुर्नजीवित करता है। इसलिए इसे प्राण मुद्रा के नाम से जाना जाता है। नियमित रूप से इस मुद्रा का अभ्यास करने से व्यक्ति के अंदर पॉजीटिव ऊर्जा आती है। साथ ही उन्हें काफी हल्का अनुभव होता है।
प्राण मुद्रा करने का तरीका ( Prana mudra Steps )
इस मुद्रा को करने के लिए अपनी अनामिका (ring fingers) और पिंकी उंगलियों (pinky fingers) को अपने अंगूठे के सिरे से स्पर्श करते हुए अन्य दो अंगुलियों को सीधा रखें।
5. सूर्या मुद्रा (Surya mudra)
सूर्य मुद्रा का नियमित अभ्यास करने से अग्नि तत्व को बढ़ाता है। इससे मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। साथ ही आपकी पाचन क्रियाओं में सुधार आ सकता है। शरीर के भारीपन को कम करने के लिए आप इस मुद्रा का अभ्यास नियमित रूप से कर सकते हैं। खासतौर पर सर्दियों के सीजन में इस मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए । क्योंकि इससे शरीर का तापमान बढ़ता है।
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सूर्य मुद्रा करने का तरीका (Surya mudra Steps)
इस मुद्रा को करने के लिए अनामिका उंगली (Ring Fingers) को अपने अंगूठे के आधार पर झुकाकर रखें। ताकि आपका अंगूठा रिंग फिंगर के पोर को स्पर्श करे। इसके बाद हाथ पर दबाव डाले बिना अपनी अन्य तीनों उंगलियों को सीधा फैलाएं।
मेडिटेशन के लिए आप इन हस्त मुद्राओं का अभ्यास नियमित रूप से कर सकते हैं। इससे आपको काफी लाभ होंगे। शारीरिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक विकास भी बेहतर तरीके से हो सकता है। ऐसे में आप नियमित रूप से इन हस्त मुद्राओं को अपनाएं।
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