गुजरात के अहमदाबाद में डॉक्टरों ने लोगों का दिल जीत लिया है। दरअसल, डॉक्टरों ने एक 52 वर्षीय व्यक्ति का बिना ब्लड ट्रांसफ्यूजन किए ही हार्ट ट्रांसप्लांट किया। इस दौरान मरीज को एक यूनिट खून तक नहीं चढ़ाया गया। कार्डियक सर्जन्स की एक टीम ने देश की पहली ऐसी सफल सर्जरी की है। इस तरह की जटिल सर्जरी करने के लिए आमतौर पर मरीज को 5 से 6 यूनिट खून चढ़ाया जाता है।
मरीज का हार्ट हो चुका था फेल
अहमदाबाद निवासी चंद्रप्रकाश गर्ग का हार्ट काम करना बंद कर चुका था, जिसके बाद चिकित्सकों ने उसका हार्ट ट्रांसप्लांट करना उचित समझा। यह सर्जरी अहमदाबाद के मेरेंगो सिम्स अस्पताल में की गई। आमतौर पर ऐसी सर्जरी के दौरान मरीज का काफी खून बहता है, जिसे बैलेंस करने के लिए मरीज को ब्लड ट्रांसफ्यूजन दिया जाता है। हालांकि, इस तरह की सर्जरी करते समय मरीज को अन्य भी कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है।
ब्लड ट्रांफ्यूजन से हो सकता है जान जाने का जोखिम
अस्पताल के हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ धीरेन शाह की मानें तो अभी तक एशिया में बिना ब्लड ट्रांसफ्यूजन के हार्ट ट्रांसप्लांट नहीं किया गया है। यह भारत की पहली ऐसी सफल सर्जरी है। दरअसल, ब्लड ट्रांसफ्यूजन देने पर मरीज को कई जटिलताएं भी हो सकती हैं। इस दौरान ऐसा करने से कई बार जान जाने तक खतरा बन सकता है। इस दौरान मरीज की शरीर का तापमान कम या ज्यादा होने के साथ ही इंफेक्शन भी हो सकता है।
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एक घंटे तक चली सर्जरी
इस सर्जरी को सफल बनाने के लिए चिकित्सकों ने काफी मेहनत की है। डॉक्टर्स ने हार्ट को कुल एक घंटे में ट्रांसप्लांट कर दिया। आमतौर पर ऐसी सर्जरी करने में दो घंटे लग जाते हैं, लेकिन बिना ब्लड ट्रांसफ्यूजन के इस सर्जरी को केवल एक ही घंंटे में पूरी की गई। इस सर्जरी को करने के लिए अमेरिका से एक खास मशीन मंगाई गई थी, जो मरीज के खून बहने के कारण और गतिविधियों पर नजर रखती है। इस दौरान चिकित्सों ने मरीज की शरीर में हो रही छोटी से बड़ी गतिविधियों पर नजर रखी।
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