बांझपन आज के समय में किसी जटिल समस्या से कम नहीं है। इसका इलाज कराने के लिए महिलाओं को काफी पीड़ा उठानी पड़ती है। कई बार इलाज कराने के बाद भी यह समस्या पूरी तरह से ठीक नहीं होती है। हाल ही में जामा नेटवर्क में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक बांझपन का इलाज कराने वाली महिलाओं में स्ट्रोक आने का खतरा रहता है। स्टडी के मुताबिक बांझपन का इलाज कराने के बाद मां बनने वाली महिलाओं को स्ट्रोक आने की आशंका अधिक रहती है।
66 प्रतिशत महिलाओं को था अधिक खतरा
स्टडी के मुताबिक बांझपन का इलाज कराने वाली 66 प्रतिशत महिलाओं को स्ट्रोक के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह समस्या महिलाओं में 12 माह के भीतर ही देखी गई थी। न्यू जर्सी के रुटेगर्स रोबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं द्वारा 15 से 54 वर्ष की महिलाओं पर शोध किया गया। स्टडी की मानें तो आईवीएफ द्वारा बांझपन का इलाज कराने वाली महिलाओं में भी यह समस्या अधिक रहती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐसी स्थिति में hemorrhagic स्ट्रोक यानि मस्तिष्क में खून जम सकता है, जो स्ट्रोक का कारण बन सकता है। यह खतरा बांझपन का इलाज कराने वाली महिलाओं में दोगुना तक देखा गया जबकि, ischemic स्ट्रोक का खतरा 55 प्रतिशत तक देखा गया।
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महिलाओं पर किया गया शोध
शोधकर्ताओं ने प्रसव कराने वाली 31,339,991 महिलाओं पर साल 2010 से 2018 तक स्टडी कर उनसे सामान्य महिलाओं की तुलना की गई। यूएस में प्रेग्नेंट महिलाओं को स्ट्रोक आने के हर साल कई मामले देखे जाते हैं। दरअसल, प्रेग्नेंसी के दौरान शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं, जिस कारण शरीर भारी हो जाता है और हार्मोन्स भी असंतुलित हो सकते हैं, जो कई बार हार्ट की समस्याओं का कारण भी बन सकता है। अगर आप बांझपन का इलाज करा रही हैं और अगर शरीर में किसी प्रकार की समस्या या फिर लक्षण दिखने पर बिना देरी किए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।