What Is Nosophobia: बहुत तरह के फोबिया के बारे में हम सभी ने सुना है। इसी तरह आज हम आपको एक नए फोबिया के बारे में बताने जा रहे हैं। इसे नोसोफोबिया के नाम से जाना जाता है। नोसोफोबिया होने पर व्यक्ति को ऐसा महसूस होता है जैसे उसे कोई गंभीर रोग हो गया है या होने वाला है। यह एक रेयर फोबिया है। जानकारी के मुताबिक यह डिसआर्डर किसी भी उम्र या जेंडर के व्यक्ति को हो सकता है। ऐसे लोगों को अपने शरीर में हल्का सा भी बदलाव अच्छा नहीं लगता। उन्हें यह डर सताता है कि वह किसी जानलेवा बीमारी की चपेट में आ जाएंगे। इसलिए इस डिसआर्डर से गुजरने वाले लोग अक्सर मेडिकल जांच कराने से बचते हैं। उन्हें यह डर रहता है कि जांच में सबको उनकी बीमारी के बारे में पता चल जाएगा। नोसोफोबिया की चपेट में वे लोग ज्यादा आते हैं जिनके घर में किसी गंभीर बीमारी के कारण करीबी की मृत्यु हुई हो या किसी बीमारी को व्यक्ति ने अपने आस-पास के लोगों में देखा हो। आगे हम जानेंगे नोसोफोबिया के लक्षण, कारण और इलाज। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के बोधिट्री इंडिया सेंटर की काउन्सलिंग साइकोलॉजिस्ट डॉ नेहा आनंद से बात की।
ये हैं नोसोफोबिया के संकेत- Nosophobia Symptoms
नोसोफोबिया होने पर व्यक्ति में ये लक्षण नजर आ सकते हैं-
- हॉस्पिटल या डॉक्टर से दूर भागना
- बार-बार जांच कराना
- हर समय इलाज और बीमारी की जानकारी इकट्ठा करना
- खुद को बार-बार बीमार बताना
- लक्षण न होने के बाद भी खुद को गंभीर बीमारी का मरीज समझना
- ऐसा इलाज या थेरेपी लेना जो किसी गंभीर बीमारी के लिए बनी है
- शरीर में हुए हल्के बदलाव से घबरा जाना
नोसोफोबिया क्यों होता है?- Nosophobia Causes
नोसोफोबिया होने का कोई तय कारण नहीं है। लेकिन कई ऐसे फैक्टर्स हैं जिसके कारण व्यक्ति को नोसोफोबिया हो सकता है-
- परिवार में किसी को गंभीर रोग होना
- बीमारी के कारण किसी की मृत्यु देखना
- बचपन में किसी गंभीर रोग का निजी अनुभव होना
- किसी बीमारी के बारे में गलत जानकारी होना
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नोसोफोबिया का इलाज- Nosophobia Treatment
अगर किसी व्यक्ति को 1 महीने या उससे ज्यादा समय से किसी बीमारी का डर सता रहा है, तो बेहतर है आप डॉक्टर से मिलें। जांच के जरिए यह तसल्ली कर लें कि कहीं सच में आपको वह बीमारी तो नहीं। अगर ऐसा नहीं है और फिर भी बीमारी का डर सता रहा है, तो साइकोलॉजिस्ट से मिलें। नोसोफोबिया होने पर व्यक्ति को सीबीटी थेरेपी (Cognitive-Behavioral Therapy) दी जाती है। इसके जरिए साइकोलॉजिस्ट व्यक्ति की मानसिकता को समझने और भ्रम को दूर करने की कोशिश करते हैं। थेरेपी के जरिए डॉक्टर मरीज को डर के कारणों से अवगत कराता है। कुछ मरीजों को डॉक्टर एंटीडिप्रेसेंट भी दे सकते हैं।
बीमारी से हर कोई डरता है लेकिन वह फोबिया तभी कहलाता है जब वह आपकी मानसिक या शारीरिक सेहत को प्रभावित करने लगे। किसी भी असामान्य लक्षण के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। उम्मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।