Is Buffalo Milk Really Good For Piles: बवासीर या पाइल्स की बीमारी पेट और पाचन तंत्र की खराबी से होने वाली एक गंभीर बीमारी है। पाइल्स को हेमोराइड (Hemorrhoids in Hindi) भी कहा जाता है। बवासीर की समस्या में एनस के भीतर और बाहरी हिस्से में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से मरीज को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बवासीर की बीमारी दो तरह की होती है- एक खूनी बवासीर और दूसरी बादी बवासीर। बवासीर में मरीजों को खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि भैंस का दूध पीने से बवासीर ठीक हो जाती है।
सेहत और खानपान से जुड़ी ऐसी ही बातों की सच्चाई बताने के लिए हम 'धोखा या हकीकत' नाम से एक सीरीज चला रहे हैं। इसके तहत हम आपको ऐसी ही बातों की सच्चाई डॉक्टर या एक्सपर्ट के जरिए देने की कोशिश कर रहे हैं। ओनलीमायहेल्थ की स्पेशल Fact Check सीरीज 'धोखा या हकीकत' में आइए जानते हैं, क्या वाकई भैंस का दूध पीने से बवासीर ठीक होता है?
क्या वाकई भैंस का दूध पीने से बवासीर ठीक होता है?- Is Buffalo Milk Really Good For Piles in Hindi
बवासीर की बेमरी गलत खानपान और असंतुलित जीवनशैली के कारण होती है। असंतुलित खानपान के कारण पेट और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इसकी वजह से कब्ज, मल त्याग करने में दिक्कत समेत कई गंभीर समस्याएं हो सकती है। कब्ज और पाचन तंत्र से जुड़ी परेशानियों के कारण बवासीर का खतरा बढ़ जाता है। नोएडा स्थित आरोग्यं हेल्थ सेंटर के क्लीनिकल डाइटिशियन डॉ वीडी त्रिपाठी कहते हैं, "भैंस के दूध को बवासीर के लिए फायदेमंद माने जाने के पीछे कोई ठोस वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। बवासीर को ठीक करने के लिए खानपान, जीवनशैली और इलाज का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बहुत ज्यादा मात्रा में भैंस का दूध पीने से बवासीर के मरीजों की परेशानियां बढ़ सकती हैं।"
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बवासीर में भैंस का दूध संतुलित मात्रा में पीने से ये फायदे मिल सकते हैं-
- पोषण तत्व: भैंस के दूध में गाय के दूध की तुलना में वसा और कैलोरी की मात्रा अधिक होती है। कुछ का मानना है कि यह वसा मल को नरम बनाने में मदद कर सकती है, जिससे मल त्याग आसान हो सकता है।
- प्रोटीन: भैंस के दूध में प्रोटीन की मात्रा भी अधिक होती है। प्रोटीन घाव भरने में मदद करता है, जिससे यह माना जाता है कि यह बवासीर के कारण बने घावों को भरने में मदद कर सकता है।
बवासीर में भैंस का दूध पीने के नुकसान
- कब्ज: कुछ लोगों को भैंस का दूध पचाने में कठिनाई हो सकती है, जिससे कब्ज और बवासीर के लक्षण बिगड़ सकते हैं।
- लैक्टोज असहिष्णुता: लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों को भैंस का दूध पीने से पेट में दर्द, गैस और दस्त की समस्या हो सकती है।
पाइल्स या बवासीर की बीमारी होने पर मरीज की जांच के बाद इलाज किया जाता है। शुरुआती स्टेज में बवासीर को खानपान और जीवनशैली में बदलाव कर कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन गंभीर स्थिति में मरीज को इलाज और सर्जरी की जरूरत होती है। मरीज की जांच करने के लिए डॉक्टर एनोस्कोपी जांच कर सकते हैं। जांच के बाद मरीज का इलाज कई तरीकों से किया जाता है।
बवासीर की बीमारी ज्यादातर लोगों में खानपान से जुड़ी गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण होती है। इस समस्या से बचने के लिए आपको खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। डाइट में फाइबर युक्त फूड्स, हरी सब्जियां और फलों को जरूर शामिल करें। इसके अलावा बहुत ज्यादा तला-भुना और मसालेदार खाना खाने से बचना चाहिए। बवासीर के लक्षण दिखने पर आपको डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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