
आज के समय में खराब खान-पान और असंतुलित जीवनशैली के कारण बीमारियां तेजी से पैर पसारने लगी हैं। आजकल लोगों को कम उम्र में ही तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना प़ड़ रहा है। आज के समय में अत्यधिक काम करने या ज्यादा समय तक कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठे रहने से आंख संबंधी समस्याएं भी होने लगी हैं। क्या आपने आई स्ट्रोक के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम आपको आई स्ट्रोक से जुड़ी कुछ बातों के बारे में बताएंगे। दरअसल, आई स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें आखों में मौजूद रेटीना की आर्टरी में ब्लॉकेज आने के कारण उसे ऑक्सीजन और रक्त नहीं मिल पाता है। इस स्थिति को आई स्ट्रोक के नाम से जाना जाता है। इसे विषय पर अधिक जानकारी लेने के लिए हमने मुबंई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की ऑप्थालमोलॉजिस्ट डॉक्टर निकिता माशरू से बातचीत की। चलिए जानते हैं आई स्ट्रोक के बारे में।
आई स्ट्रोक क्या है
ऑप्थालमोलॉजिस्ट डॉक्टर निकिता माशरू ने बताया कि आई स्ट्रोक वह स्थिति है, जिसमें आखों के ऑप्टिक नर्व के फ्रंट पार्ट के टिशु में ब्लड सप्लाई कम हो जाती है। ऐसे में आपकी आंखों में मौजूद रेटीना की नसें और आर्टरीज सुचारू रूप से काम करना बंद कर देती हैं। इस स्थिति में आखों का पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता है। जिस कारण आखों में थक्का बनने या फिर आर्टरीज में सिकुड़न आने की भी आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में नजरें भी कमजोर हो जाती हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। आई स्ट्रोक के भी कई प्रकार होते हैं। हाई कोलेस्ट्रॉल, कोरोनरी आर्टरी डिजीज, डायबिटीज और ग्लाउकोमा आदि के मरीजों में इस समस्या का अधिक खतरा रहता है।
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आई स्ट्रोक के कारण
- आई स्ट्रोक के कई कारण हो सकते हैं।
- आई स्ट्रोक के कारणों में से सबसे पहला और सामान्य कारण आखों तक पर्याप्त मात्रा में ब्लड नहीं पहुंचना यानि आखों की ऑप्टिक नर्व तक रक्त का संचार सुचारू रूप से नहीं होने पर यह समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- आप्टिक नर्व में किन्हीं कारणों से ब्लॉकेज आ जाने के कारण भी यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। ऑप्टिक नर्व आपकी आखों को दिमाग से जोड़कर रखती है।
- रेटीना में ब्ल्ड क्लॉट यानि खून का थक्का जमा होने के कारण आई स्ट्रोक की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- हाई ब्लड प्रेशर, अनियंत्रित डायबिटीज या फिर दृदय संबंधी बीमारियां भी आई स्ट्रोक के कारणों में से ही एक है।
- किडनी की बीमारी या फिर रक्त वाहिकाओं में आई सूजन का अधिक समय तक इलाज नहीं कराने से भी धीरे धीरे आई स्ट्रोक का खतरा बन सकता है।
आई स्ट्रोक के लक्षण
- डॉ. निकिता ने बताया कि आई स्ट्रोक होने पर अमूमन लोगों को सुबह उठने के साथ ही एक आंख से कम दिखता है, जोकि इसके लक्षणों में से एक हैं।
- आंखों के आगे अंधेरा छाना भी आई स्ट्रोक का एक लक्षण है। ऐसे होने पर भी आप इसकी पहचान कर सकते हैं।
- धुंधला दिखना और आखों की रोशनी कम होने के साथ आखों में दर्द का एहसास नहीं होने से भी इसे पहचाना जा सकता है।
- रुक रुककर आखों की रोशनी आना।
- अक्सर लोगों को नींद टूटने के बाद सुबह 3 से 4 बजे के बीच यह स्ट्रोक आता है।
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आई स्ट्रोक का उपचार
- आखों के आस-पास मसाज करने से आखों के पीछे का संवेदनशील हिस्सा रेटीना खुलने लगता है।
- लेजर ट्रीटमेंट द्वारा भी इस समस्य़ा को ठीक किया जाता है। हालांकि कुछ ही मामलों में इसकी जरूरत पड़ती है।
- आर्टरीज के ब्लॉकेज को खोलने के लिए कार्बन डायॉक्साइड का भी सहारा लिया जाता है। इससे रेटीना तक ऑक्सीजन और रक्त का संचार बेहतर होता है।
- एंटी वैस्कुलर एंडोथेलियल फैक्टर ड्रग्स, इसे आखों में डायरेक्ट इंजेक्ट किया जाता है।
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- यह लेख चिकित्सक द्वारा प्रमाणित है। लेख में दिए गए लक्षणों से आप इसे आसानी से पहचान सकते हैं।
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