Essential Health Checkup For Respiratory System: आजकल की जीवनशैली, बढ़ता प्रदूषण और अस्वस्थ आदतों के चलते फेफड़ों का स्वास्थ्य प्रभावित होना आम हो गया है। श्वसन तंत्र का सही तरीके से काम करना न केवल हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, बल्कि यह हमारी जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। सांस की बीमारियों, जैसे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), फाइब्रोसिस और इंफेक्शन, का खतरा बढ़ता जा रहा है। इसके अलावा, कोरोना महामारी के समय में फेफड़ों की सेहत का महत्व और भी बढ़ गया है, क्योंकि मजबूत फेफड़े ही इंफेक्शन से बचाव करने में सक्षम होते हैं। फेफड़ों के स्वास्थ्य की नियमित जांच से न केवल बीमारियों का समय रहते पता लगाया जा सकता है, बल्कि किसी गंभीर स्थिति में भी सही इलाज तय करना आसान हो जाता है। ये जांच न केवल फेफड़ों की कार्यक्षमता को मापने में मदद करते हैं, बल्कि यह भी बता सकते हैं कि फेफड़े कितनी प्रभावी रूप से ऑक्सीजन को एब्सॉर्ब कर पा रहे हैं। कुछ टेस्ट फेफड़ों की बनावट और उसमें किसी संभावित बदलाव का पता लगाने में भी मदद करते हैं। इस विषय पर बेहतर जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
श्वास स्वास्थ्य की जांच के लिए जरूरी टेस्ट- Health Test For Respiratory System
यहां हम आपको 5 ऐसे जरूरी टेस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो फेफड़ों की कार्यक्षमता और स्वास्थ्य का सही मूल्यांकन कर सकते हैं। किया जा सकता है-
1. स्पाइरोमेट्री टेस्ट- Spirometry Test
यह सबसे सामान्य टेस्ट है जो फेफड़ों की कार्यक्षमता को मापता है। इस टेस्ट में व्यक्ति को एक स्पाइरोमीटर में गहरी सांस लेकर सांस छोड़ने के लिए कहा जाता है। इससे फेफड़ों की वायु प्रवाह क्षमता का आंकलन किया जाता है। यह अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और अन्य श्वसन समस्याओं का पता लगाने में मदद करता है।
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2. पल्स ऑक्सीमेट्री- Pulse Oximetry
पल्स ऑक्सीमेट्री फेफड़ों में ऑक्सीजन के स्तर को मापने की एक सरल और तेज प्रक्रिया है। इसमें एक छोटा उपकरण उंगली पर लगाया जाता है जो रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बताता है। यह फेफड़ों की ऑक्सीजन देने की क्षमता का संकेत देता है और अगर स्तर सामान्य से कम हो, तो यह संकेत हो सकता है कि फेफड़ों में किसी तरह की समस्या हो सकती है।
3. सिटी स्कैन- CT Scan
सीटी स्कैन ज्यादा विस्तृत जांच का तरीका है जो फेफड़ों की बनावट को स्पष्ट रूप से दिखाता है। इस टेस्ट में रेडियोग्राफिक तकनीक का इस्तेमाल करके फेफड़ों की गहराई तक की छवि बनाई जाती है, जिससे ट्यूमर, इंफेक्शन और किसी भी डैमेज टिशू का पता लगाया जाता है। सिटी स्कैन को डॉक्टर की सलाह पर ही किया जाता है।
4. पीक फ्लो मीटरी- Peak Flow Meter
पीक फ्लो मीटर एक पोर्टेबल डिवाइस है जो फेफड़ों से बाहर निकलने वाली हवा की गति को मापता है। यह अस्थमा मरीजों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है क्योंकि इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता को मॉनिटर किया जा सकता है और स्थिति बिगड़ने के संकेत पहले से ही मिल जाते हैं।
5. ब्रोंकोस्कोपी- Bronchoscopy
ब्रोंकोस्कोपी में एक लचीली ट्यूब का इस्तेमाल करके फेफड़ों और श्वास नलियों के अंदर की जांच की जाती है। इस प्रक्रिया से श्वास नली के अंदर का सीधा निरीक्षण किया जा सकता है। यह ट्यूमर, इंफेक्शन, ब्लीडिंग या फेफड़ों में असामान्य तत्वों का पता लगाने में मदद करते हैं।
इन टेस्ट्स की मदद से फेफड़ों के स्वास्थ्य का सही आंकलन किया जा सकता है और समय पर इलाज किया जा सकता है।
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