कार्डियोवस्कुलर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट बताती है कि ई-सिगरेट और वेपिंग के कारण फेफड़ों को ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ लेखक लॉरेन वॉल्ड ने अपने एक अध्ययन में लिखा है कि ई-सिगरेट में निकोटीन, पार्टिकुलेट मैटर, धातु और फ्लेवरिंग होते हैं, जो फेफड़ों के साथ वातावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। शोधकर्ताओं का मानें, तो वायु प्रदूषण के अध्ययन से पता चला है ई-सिगरेट के ये तमाम हानिकारक कण वायुमंडल में मिल कर घुमते रहते हैं और हमारे हृदय पर सीधा प्रभाव डालते हैं।निकोटीन, जो तम्बाकू में भी पाया जाता है, रक्तचाप और हृदय गति को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। साथ ही ये हवा के माध्यम से साँस लेने से ये सांस की मलियों में सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और अस्थिर ब्लड सर्कुलेशन का कारण हो सकता है। उदाहरण के लिए जैसे अल्ट्रा फाइन पर्टिकुलेट (Ultrafine particulate,जिसके कारण लोगों में अक्सर कोरोनरी हार्ट डिजिज और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित होने का खतरा बना रहता है।
आखिर क्या है ई-सिगरेट?
ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाले ऐसी डिवाइस है, जिनमें लिक्विड भरा रहता है। यह निकोटीन और दूसरे हानिकारक केमिकल्स का घोल होता है। जब कोई व्यक्ति ई-सिगरेट का कश खींचता है, तो हीटिंग डिवाइस इसे गर्म करके भाप (vapour) में बदल देती है। इसीलिए इसे स्मोकिंग की जगह vaping (वेपिंग) कहा जाता है।
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क्या कहता है शोध?
शोधकर्ताओं के अनुसार ई-सिगरेट में फॉर्मलाडेहाइड भी होता है, जिसे कैंसर पैदा करने वाले एजेंट के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा, फ्लेवर्ड ई-सिगरेटसिगरेट में स्वाद के लिए पुदीना, कैंडी या फलों जैसे कि आम या चेरी संभावित रूप से एक नुकसानदायक चीज की तरह देखा जा रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार ई-सिगरेट के इस्तेमाल से रक्तचाप, हृदय गति में वृद्धि, धमनियों में कठोरता, सूजन और ऑक्सीडेटिव तनाव शामिल हैं। ये सभी समय गंभीर हृदय रोगों से जुड़े हुए हैं।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2017 में 17 मिलियन तो 2018 में 41 मिलियमन के करीब में लोगों में ई-सिगरेट का चलन बढ़ा है।ओहियो स्टेट के शोध सहायक निकोलस बुकानन के अनुसार "किसी ऐसे व्यक्ति के लिए, जिसने कभी धूम्रपान नहीं किया है, उसके लिए भी ई-सिगरेट के अल्ट्रा फाइन पार्टिकल्स नुकसानदायक है। उनके अनुसार वातावरण में ई-सिगरेट के पदार्थ और विभिन्न उपकरणों से निकलने वाले धुओं के कारण छोटे बच्चे और बूढ़े लोगों पर इसका असर पड़ रहा है। हाल ही में आई एक और रिपोर्ट कहती है कि घूम्रपान के कारण कई नई बीमारियों और मौतों की संख्या बढ़ी है। वहीं अब कई धूम्रपान करने वालों ने ई-सिगरेट या अन्य स्मोकिंग चीजों का एक साथ संयोजन कर लिया है। जैसे कि वे ई-सिगरेट के साथ अन्य नशीली चीजों को मिलाकर धूम्रपान करते हैं।
वॉल्ड ने अपने रिपोर्ट में आगे लिखा है कि अब तक के अधिकांश अध्ययनों में ई-सिगरेट के उपयोग के तीव्र प्रभावों पर ध्यान केंद्रित किया गया है न कि पुराने उपयोग के जोखिमों पर। इसके अलावा हमने लोगों के घरों का हवाओं में स्मोकिंग के असर की भी जांच की है। साथ ही साथ दीवारों, पर्दे और कपड़ों में दर्ज कणों के संपर्क और लंग्स इंफेक्शन का जुड़ाव पाया है। सीडीसी के अनुसार ई-सिगरेट और वापिंग उत्पादों के कारण फेफड़े के नुकसान के 1,900 मामले बढ़े हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार 2011 में दुनिया भर में वेपिंग उपयोगकर्ताओं की संख्या सात मिलियन से बढ़कर 2018 में 41 मिलियन हो गई। ये उत्पाद विशेष रूप से युवा उपयोगकर्ताओं के लिए अपील करता है।
2019 नेशनल यूथ टोबैको स्टडी के अनुसार, संयुक्त राज्य में चार में से एक हाई स्कूल के छात्र ई-सिगरेट का उपयोग करते हैं, जो दो साल पहले 15 प्रतिशत से अधिक था। वहीं 2018 से 2019 तक प्रीटेन्स का इस्तेमाल दोगुना हो गया है, जिसमें 10 प्रतिशत मिडिल स्कूल के छात्र शामिल हैं। ऐसे में अब जरूरी है कि टिनेएच बच्चों और व्यस्कों को ई-सिगरेट के नुकसान के बारे में बताया जाए। उन्हें समझाया जाए कि कैसे ये उनके लंग्स के साथ उनके परिवार वालों, दोस्तों और वातावरण के लिए भी खतरनाक है। इसलिए बेहतर यही होगा कि वे ई-सिगरेट और वेपिंग से दूर रहें।
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