टीनेजर्स में ई-सिगरेट का बढ़ता क्रेज हेल्थ के लिए नुकसानदायक, American Heart Association ने दी चेतावनी

कूल दिखने के लिए आज की युवा पीढ़ी ई-सिगरेट की और ज्यादा आकर्षित हो रही है। जिसके कारण उनके हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। 
  • SHARE
  • FOLLOW
टीनेजर्स में ई-सिगरेट का बढ़ता क्रेज हेल्थ के लिए नुकसानदायक, American Heart Association ने दी चेतावनी


कम उम्र में ही टीनेजर्स को स्मोकिंग की लत लगने लगी है। कूल दिखने के लिए अक्सर वो ई-सिगरेट पीना शुरू कर देते हैं, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। अमेरिकन हार्ट एसोशिएशन के द्वारा जारी एक बयान में ई-सिगरेट के इस्तेमाल से दिल और फेफड़ों को होने वाले साइड इफेक्ट्स पर जोर दिया गया है। इस बयान में युवाओं के बीच ई-सिगरेट के उपयोग में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी को कम करने के लिए इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के बारे में चर्चा की जा रही है। 

बाल्टीमोर में यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड स्कूल ऑफ मेडिसिन फिजिशियन विज्ञान विकास के लिए एसोसिएट डीन, वैज्ञानिक वक्तव्य लेखन समिति के स्वयंसेवक अध्यक्ष जेसन जे. रोज़, एम.डी., एम.बी.ए., के अनुसार, “ई-सिगरेट शरीर में ऐसे कई हानिकारक पदार्थ पहुंचाती है जो सेहत के लिए नुकसानदायक है। निकोटीन युक्त ई-सिरगेट में ऐसे केमिकल्स और कंपाउड्स शामिल होते हैं, जिनके बारे में स्मोकर्स को पता भी नहीं होता और यह उनके हेल्थ को बुरी तरह डैमेज करते हैं।” 

E-Cigarette Side Effects

ई-सिगरेट में मौजूद केमिकल्स के साइड इफेक्ट्स - Side Effects of Chemicals in E-Cigarettes in Hindi

निकोटीन - Nicotine

निकोटीन नर्वस सिस्टम में एपिनेफ्रिन और नॉरपेनेफ्रिन ( Epinephrine and Norepinephrine ) को रिलीज करती है, जिसका सीधा असर दिल पर पड़ता है। निकोटीन के कारण दिल की बीमारी, हार्ट अटैक आना, सांस से जुड़ी समस्याओं समेत कई अन्य बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इतना ही नहीं यह आपके ब्लड प्रेशर और एड्रेनालाईन को बढ़ाता है, जिसके कारण दिल की गति बढ़ जाती है और हर्ट अटैक आ सकता है। 

इसे भी पढ़े : सिगरेट जितना ही नुकसानदायक होता है वेपिंग, जानें इससे छुटकारा पाने के खास टिप्स

प्रोपलीन ग्लाइकोल और ग्लिसरॉल - Propylene Glycol and Glycerol

स्टडी में पाया गया कि ई-सिगरेट में मौजूद प्रोपलीन ग्लाइकोल और ग्लिसरॉल से दिल और फेफड़ों पर गलत असर पड़ता है। ज्यादा मात्रा में प्रोपलीन ग्लाइकोल का सेवन करने से मेटाबॉलिक एसिडोसिस, किडनी को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है। ई-सिगरेट में ग्लाइकोल मिश्रण का इस्तेमाल ज्यादा धुआं बनाने के लिए किया जाता है। इसके ज्यादा सेवन से सांस लेने की समस्या और सीने में जकड़न होने लगती है। इतना ही नहीं अक्सर लोगों को सूखी खांसी और गले में जलन के साथ-साथ फेफड़ों के फेल होने का खतरा भी बढ़ जाता है। 

स्वाद बढ़ाने वाले योजक और स्वीटनर - Flavor Additives and Sweeteners

खाद्य पदार्थों में खाने के स्वाद को मीठा करने के लिए चीनी को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन ई-सिगरेट में निकोटीन के कड़वे स्वाद को कम करने और धुएं को एक अलग फ्लेवर देने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में ई-सिगरेट पीने से व्यक्ति डायएसिटाइल का सेवन अधिक मात्रा में करने लगता है, जो पुरानी खांसी, सांस लेने में समस्या, अस्थमा की बीमारी को बढ़ा देता है। 

इसे भी पढ़े : ई-सिगरेट को न मानें नॉर्मल सिगरेट से कम खतरनाक, लंबे समय में सेहत को पहुंचाती है ये 5 नुकसान

मेटल - Metal

ई-सिगरेट वैपिंग के हीटिंग तत्वों में मेटल भी शामिल होता है, जो नेगेटिव हेल्थ इफेक्ट्स के लिए जाना जाता है। ई-सिगरेट पीते समय गर्म मेटल के कारण फेफड़ों में विषाक्त पदार्थ पहुंचता है, जिससे आपको सांस लेने में परेशानी और घबराहट की समस्या बढ़ जाती है। 

अगर आप या आपके आस-पास के लोग ई-सिगरेट का ज्यादा सेवन करते हैं, तो आप अपने और उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें ऐसा करने से रोके और इसके साइड इफेक्ट्स जरूर बताए। 

Image Credit: Freepik

Read Next

Air Pollution: दिवाली के बाद फिर से बिगड़ी दिल्ली की आबोहवा, अस्थमा समेत इन 5 बीमारियां का बढ़ा खतरा

Disclaimer