How Does Vaping Affect Liver: आजकल युवाओं में वैपिंग का क्रेज लगातार बढ़ता जा रहा है। कैफे से लेकर नाइट क्लब तक आपको हजारों लोग वैपिंग करते नजर आ जाएंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कूल लगने वाली ये वैपिंग कई गंभीर बीमारियों की वजह भी बन सकती है। इनके कारण लिवर को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। क्योंकि इस धुएं के साथ कई केमिकल्स भी शरीर में आते हैं। वैपिंग कैसे लिवर पर असर डालती है? साथ ही, इसके कारण किन बीमारियों का खतरा हो सकता है? इस बारे में जानने के लिए हमने हैदराबाद स्थित यशोदा हॉस्पिटल्स के मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, लिवर स्पेशलिस्ट, लीड- एडवांस्ड एंडोस्कोपिक इंटरवेंशन एंड ट्रेनिंग, क्लिनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नवीन पोलावरापु से बात की।
वैपिंग लिवर हेल्थ से कैसे कनेक्टेड है? How Vaping Connected With Liver Health
वैपिंग को सिगरेट की तुलना में कम नुकसानदायक माना जाता है, फिर भी अगर इसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाए, तो यह कई गंभीर समस्याओं की वजह बन सकता है। इन ई-सिगरेट लिक्विड में निकोटीन के साथ-साथ 60 से ज्यादा दूसरे केमिकल कंपाउंड भी पाए जाते हैं। जब ये केमिकल्स शरीर में जाते हैं, तो ये लिवर पर जोर डालते हैं, जो कि बॉडी डिटॉक्स और मेटाबोलिक फंक्शन के लिए जरूरी है।
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वैपिंग के कारण लिवर हेल्थ को क्या नुकसान होता है?
ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ता है
वैपिंग के कारण लिवर सेल्स में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने लगता है। यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस डीएनए, प्रोटीन और लिपिड जैसे सेल्यूलर कंपाउंड को नुकसान करता है जिससे नॉर्मल सेल्स फंक्शन को भी नुकसान हो सकता है।
लिवर में इंफ्लेमेशन बढ़ना
वेपिंग में मौजूद केमिकल्स लिवर में सूजन पैदा करने की वजह बन सकते हैं। इम्यून सेल्स के एक्टिव होने से लिवर में लगातार सूजन की समस्या बनी हो सकती है। इसके कारण इंटरल्यूकिन-1, आईएल-6 और ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर-अल्फा जैसे इंफ्लेमेटरी साइटोकिन्स निकलने से लिवर सेल्स को नुकसान होता है और फाइब्रोसिस हो सकता है।
माइटोकॉन्ड्रियल डिस्फंक्शन
ई-सिगरेट के कॉम्पोनेंट हेपेटोसाइट्स की माइटोकॉन्ड्रियल एक्टिविटी को प्रभावित कर सकते हैं, इससे बॉडी में एनर्जी प्रोडक्शन कम हो जाता है। लिपिड बिल्डअप और फैटी लिवर में बदलाव भी माइटोकॉन्ड्रियल डैमेज का कारण बन सकता है।
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लिपिड मेटाबोलिज्म डिस्टर्ब होना
वेपिंग के कारण लिपिड प्रोसेसिंग में बदलाव आ सकता है जो नॉन-ऐल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) की वजह बन सकता है। यह लिवर में अत्यधिक फैट इकट्ठा होने वाली बीमारी है, जो आगे चलकर लिवर फाइब्रोसिस और कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकती है।
डीएनए डैमेज और कैंसर होना
वेपिंग एरोसोल में निकोटीन, फॉर्मेल्डिहाइड और एक्रोलिन जैसे टॉक्सिक कंपाउंड होते हैं, जो सीधे डीएनए को नुकसान पहुंचा सकते हैं और लिवर सेल्स में बदलाव कर सकते हैं। जिससे हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (लिवर कैंसर) का खतरा बढ़ जाता है। हाई लिवर एंजाइम, लिवर स्टेटोसिस और टॉक्सिक हेपेटाइटिस, वेपिंग से जुड़ी लिवर संबंधी समस्याओं में से हैं, जिनका इलाज समय पर करना जरूरी है। वायरल हेपेटाइटिस के साथ-साथ लिवर से जुड़ी अन्य बीमारियों का खतरा भी वैपिंग के कारण हो सकता है। यह एनएएफएलडी और लिवर कैंसर की शुरुआत से जुड़ा भी हो सकता है।
एक्सपर्ट टिप
वैपिंग की लत क्रोनिक लिवर डिसऑर्डर और कैंसर की वजह भी बन सकती है, जिससे लिवर फंक्शन पर असर नजर आ सकता है। इसलिए वैपिंग को आदत नहीं बनाना चाहिए। कभी-कभार इसे इस्तेमाल करना सही है लेकिन ज्यादा इस्तेमाल के कारण यह कई समस्याएं पैदा कर सकता है।
निष्कर्ष
लेख में हमने डॉक्टर से समझा वैपिंग की लत कैसे लिवर हेल्थ को नुकसान कर सकती है। इसके कारण लिवर इंफेक्शन, लिवर डिजीज और फैटी लिवर जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य ज्ञान के लिए है। इस विषय पर अधिक जानने के लिए आप किसी डॉक्टर से बात कर सकते हैं।
FAQ
वेब सिगरेट क्या है?
ई-सिगरेट को वेब सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट कहा जाता है। यह एक तरह का उपकरण होता है, जो फ्लेवर्ड और लिक्विड निकोटीन को गर्म करके धुंआ बनाता है। इसे अंदर भरकर सांस बाहर छोड़नी होती है। इसे वेप्स, वेप पेन या ई-हुक्का के नाम से जाना जाता है।क्या ई-सिगरेट हानिकारक है?
ई-सिगरेट साधारण सिगरेट के मुकाबले सेफ होती है। लेकिन इसे भी सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है। इसमें मौजूद निकोटीन और केमिकल्स सेहत के लिए नुकसानदायक होते हैं। ये फेफड़ों को नुकसान कर सकते हैं, हार्ट डिजीज हो सकती हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ा सकती है।क्या वैपिंग सिगरेट पीने से ज्यादा हानिकारक है?
डॉक्टर के मुताबिक, वैपिंग को सिगरेट के मुकाबले कम नुकसानदायक माना जाता है। दरअसल, वैपिंग में सिगरेट के मुकाबले कम निकोटीन और केमिकल्स होते हैं। इसलिए इनके कारण सेहत को कम नुकसान हो सकता है। लेकिन अगर इसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है या ज्यादा मात्रा में इस्तेमाल होते हैं, तो ये बीमारियों की वजह भी बन सकता है।
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