सर्दियों के बढ़ने के साथ भारत के कई राज्यों में वायु गुणवत्ता खराब होती जा रही है। इसके कारण लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खराब होते इस वायु गुणवत्ता का असर सबसे ज्यादा हमारे फेफड़े और स्किन पर हो रहा है। इस बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ऑनली माय हेल्थ 'My Right To Breathe' कैंपेन के तहत लगातार आपको वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से वाकिफ करवा रहा है। इसी कड़ी में आज हम आपको डस्ट एलर्जी (Dust Allergy)के बारे में बताएंगे, जिसे कई लोग नजरअंदाज किया करते हैं। इसी बारे में विस्तार से जानने के लिए 'ऑनली माय हेल्थ' ने डॉ. निमिष शाह, कंसल्टेंट रेस्पिरेटरी मेडिसिन, जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से बात की।
बढ़ता प्रदूषण और डस्ट एलर्जी (Dust Allergy)
डॉ. निमिष बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर कहते हैं कि वायु प्रदूषण और धूल के कण सीधे हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहे हैं। प्रदूषण जिस तरीके से बढ़ रहा है, इसकी वजह से न सिर्फ हमारे घर के बाहर की ही हवा खराब है, बल्कि इसने आपके घर के अंदर की भी हवा भी खराब कर दी है। दरअसल, बाहर की खराब हवा के कारण जिस तरीके से हमने अपने घरों को बंद कर रखा है इससे ह्यूमिडिटी के साथ डस्ट पार्टिकल भी बढ़ते हैं। ऐसे में ये डस्ट पार्टिकल इंफेक्शन पैदा करते हैं। साइंस की मानें, तो धूल के कण गर्म, नम स्थानों में आसानी से मल्टीप्लाई होते हैं। इस लिहाज से सर्दियों का मौसम डस्ट एलर्जी को आसानी से बढ़ा सकता है।
डस्ट एलर्जी के कारण (Dust Allergy Causes)
धूल से एलर्जी का सबसे बड़ा कारण इसके कण हैं, जिसे डस्ट माइट्स (Dust Mites)कहा जाता है। इन कणों में सूक्ष्मजीव यानी कि कुछ माइक्रोऑर्गेनाइज्म मौजूद होते हैं, जो आंखों से नहीं देखे जा सकते हैं। जैसे कि कुछ फंगस, फूलों से निकले पराग और पालतू जानवरों के कारण होने वाले डस्ट भी डस्ट एलर्जी पैदा करते हैं। वहीं इसके कुछ अन्य कारणों की बात करें, तो
- -कमरे की गंदगी
- -बेडशीट और तकिए से निकलने वाला धूल
- -आस-पास के इलाकों और पेड-पौधों में छिपे धूल और गंदगी हैं।
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डस्ट एलर्जी के लक्षण (Symptoms of dust allergy)
डस्ट एलर्जी के कारण लोगों को हल्के से लेकर गंभीर परेशानियां तक हो सकती हैं। डॉ. निमिश बताते हैं कि आमतौर पर डस्ट एलर्जी के लक्षणों को तीन तरह से पहचाना जाता है। जैसे बहती हुई नाक, बंद नाक, नाक से लगातार पानी आना आदि। पर बात जब ब्रोंकाइटिस या अस्थमा से पीड़ित लोगों की आती है, तो ये गंभीर हो जाता है। साथ ही इसके कई और लक्षण भी हैं, जैसे कि
- -लगातार छींक आना
- -सर्दी-जुकाम का लगातार रहना
- -आंख, नाक और गले में खुजली
- -अस्थमा अटैक
- -कान बंद होना और सूंघने में परेशानी
- -गले में खराश
- -थकान और चिड़चिड़ापन
- -सिरदर्द
- -त्वचा पर खुजली, दाने और इंफेक्शन
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डस्ट एलर्जी से बचाव के उपाय (Dust Allergy Prevention)
डॉ. निमिष बताते हैं कि ये डस्ट माइट्स (Dust Mites) हर जगह मौजूद हैं और इन्हें पूरी तरह से बाहर निकालना आसान नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे तरीके और साधन हैं जिनके द्वारा आप डस्ट एलर्जी के जोखिम को कम कर सकते हैं। जैसे कि
- -जो लोग धूल और एलर्जी के प्रति ज्यादा सेंसिटिव हों, उन्हें Skin Prick Test / blood test करवाना चाहिए।
- - घर में नियमित रूप से धूल की सफाई करें।
- -सप्ताह में दो बार गर्म पानी से बेडशीट और तकिए की सफाई करें।
- -फोम के गद्दे और तकिए का उपयोग करके डस्ट एक्सपोज़र को कम कर सकते हैं, क्योंकि धूल सूती (कॉटन) वाले गद्दों और तकियों में जम जाते हैं।
- -लोगों को वैक्यूम क्लीनर का उपयोग करना चाहिए और नियमित रूप से चीजों को साफ रखना चाहिए।
दवाओं की बात करें, तो एंटी-एलर्जिक दवाओं और पंप या इनहेलर का उपयोग किया जा सकता है, पर बिना डॉक्टर से पूछे इन्हें भी न लें। इस तरह डस्ट एलर्जी को कभी भी नजरअंदाज न करें और इससे बचाव के लिए घर की साफ-सफाई करते रहें। अगर घर में कालीन बिछा रखा है, तो उसकी धुलाई भी नियमित रूप से करते रहें। ह्यूमिडिटी का स्तर 50% से कम बनाए रखें। साथ ही अगर आप डस्ट एलर्जी के गंभीर लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इसका इलाज करवाएं।
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