
हार्ट से जुड़ी समस्याओं के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। बच्चे भी इन बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। हाल ही में राजस्थान के जयपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है, जहां डॉक्टरों ने एक 15 साल के बच्चे के हार्ट वॉल्व को रिपेयर करके उसके हार्ट की समस्या को ठीक किया है। जोधपुर के एम्स और एसएमएस हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मिलकर सफलतापूर्वक इस सर्जरी को अंजाम दिया। आइये विस्तार से जानते हैं इसके बारे में।
माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन से था पीड़ित
दरअसल, बच्चा माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन नामक बीमारी से पीड़ित था। यह हार्ट से जुड़ी एक प्रकार की बीमारी है, जिसमें हार्ट फेलियर के कारण ब्लड वॉल्व में पहुंचने के बजाय वापस आने लगता है। इस बीमारी को लंबे समय तक नजरअंदाज करने से फेफड़ों में मौजूद ब्लड वेसल्स पर दबाव पड़ता है। अस्पताल के कार्डियोपैथिक सर्जरी डिपार्टमेंट के सीनियर प्रोफेसर डॉ. राम गोपाल यादव के मताबिक हार्ट वॉल्व में समस्या होने के चलते 15 वर्षीय रोहित को सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। उसकी हार्टबीट तेज होने के साथ ही वह पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पा रहा था।

डॉक्टरों ने रिपेयर किया हार्ट वॉल्व
रोहित को कम उम्र में ही हार्ट वॉल्व में समस्या हो गई थी, जिसे देखते हुए डॉक्टरों ने उसकी शरीर में आर्टीफिशियल वॉल्व लगाने के बजाय पुरानी वॉल्व को ही रिपेयर किया। हालांकि, यह सर्जरी सफलतापूर्वक काम कर रही है। कई मामलों में हार्ट से लीकेज होती है, जिससे खून पूरी शरीर तक नहीं पहुंच पाता है। ऐसे में सांस लेने में कठिनाई भी महसूस होती है।
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माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन के लक्षण
- माइट्रल वाल्व रिगर्जिटेशन से पीड़ित होने पर शरीर में बहुत से लक्षण देखने को मिल सकते हैं।
- ऐसे में लेटने या फिर सोने पर सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।
- हार्टबीट का अनियमित होना या फिर तेज होना भी इसका एक सामान्य लक्षण है।
- पैरों और टखनों में सूजन होना भी इस समस्या की ओर इशारा हो सकता है।
- ऐसे में थकान या फिर कमजोरी भी महसूस हो सकती है।
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