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इन 5 बीमारियों का संकेत हो सकता है बहुत ज्यादा बोलना, एक्सपर्ट से जानें इनके बारे में

Disorders Causing Excessive Talking in Hindi: कुछ मेंटल डिसऑर्डर ऐसे होते हैं, जिसके कारण मरीज काफी ज्यादा बोलने लगता है।
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इन 5 बीमारियों का संकेत हो सकता है बहुत ज्यादा बोलना, एक्सपर्ट से जानें इनके बारे में

Disorders Causing Excessive Talking in Hindi: आपके इर्द-गिर्द कई लोग ऐसे होंगे, जो बेवजह बातें करते रहते हैं। लोग अक्सर बहुत ज्यादा बातूनी व्यक्ति से दूर रहना पसंद करते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस तरह के लोग सिर्फ अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाते हैं, जबकि इन्हें किसी की सुनना पसंद नहीं होता है। मगर क्या आप जानते हैं बहुत ज्यादा बात करना महज आदत भर नहीं है। कुछ लोग किसी गंभीर बीमारी के कारण बहुत ज्यादा बातें करते हैं। यहां हम जानेंगे कि बहुत ज्यादा बातें करना किस तरह की बीमारी का संकेत हो सकता है। जानिए, सुकून साइकोथैरेपी सेंटर की फाउंडर, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट और साइकोथैरेपिस्ट दीपाली बेदी से।

क्यों करते हैं कुछ लोग बहुत ज्यादा बातें - why some people talk too much in hindi

एंग्जाइटी डिसऑर्डर - Anxiety Disorder

Anxiety Disorder

आमतौर पर हर कोई अपने जीवन में किसी न किसी कारण से चिंतित रहता है। लेकिन, जब चिंता करना आदत और प्रवृत्ति बनने लगे, तो यह परेशानी का विषय बन जाता है। यही नहीं, जब चिंता करने की आदत दिन पर दिन बढ़ती जाए और व्यक्ति कई-कई महीनों तक चिंतित रहे, तो यह एंग्जाइटी डिसऑर्डर हो जाता है। विशेषज्ञों की मानें, जो लोग एंग्जाइटी के मरीज होते हैं, उनमें भी बहुत ज्यादा बातें करने की आदत हो जाती है। हालांकि, एंग्जाइटी के कुछ मरीज ऐसे होते हैं, जो सोशल होने से बचते हैं। वहीं, कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो बहुत ज्यादा बातूनी हो जाते हैं।

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पर्सनालिटी डिसऑर्डर - Personality Disorder

Personality Disorder

कई मेंटल डिसऑर्डर में को बेतरतीब तरीके से बातचीत को जोड़कर देखा जाता है। इसमें पर्सनालिटी डिसऑर्डर भी शामिल है। हालांकि, इस डिसऑर्डर के मरीज बहुत ज्यादा बात करने के बजाय कंपलसिव तरीके से बात करते हैं। इसका मतलब है कि मरीज किसी एक ही विषय पर फिक्स समय में बात करता है। यही नहीं, बात करने के दौरान इन लोगों की आवाज भी बहुत तेज होती है। हालांकि, इस तरह के मरीज बहुत ज्यादा बात नहीं करते हैं, लेकिन ये लोग विषय को लेकर काफी कॉन्शस होते हैं।

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सिजोफ्रेनिया डिसऑर्डर - Schizophrenia Disorder

यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है। सिजोफ्रेनिया डिसऑर्डर होने पर मरीज को भ्रम, मतिभ्रम जैसी चीजें होने लगती है। माना जाता है कि इस तरह की बीमारी होने पर व्यक्ति असल और नकल जिंदगी में फर्क नहीं कर पाता है। इन्हें अक्सर अकेले बैठकर बातें करते देखा जा सकता है। दरअसल, इन्हें लगता है कि ये किसी से बातचीत कर रहे हैं, जबकि वहां कोई मौजूद नहीं होता है। इस स्थिति में सिजोफ्रेनिया के मरीज बहुत ज्यादा बातचीत करते हैं और इनकी बातें भी बेतरतीब और डिसऑर्गनाइज्ड हो सकती हैं।

एडीएचडी- ADHD

एडीएचडी भी एक तरह की मेडिकल कंडीशन है। सामान्यतः यह बीमारी बच्चों को होती है, जो कि लंबे समय तक यानी वययस्क होने तक जारी रहती है। एडीएचडी के मरीजों में भी कुछ भी बोलने की आदत होती है। एडीएचडी के मरीज हाइपरएक्टिव होते हैं और इनका खुद पर कंट्रोल नहीं होता है, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत आती है और इनका बिहवेयिर भी बहुत ज्याद आवेगी किस्म का होता है यानी स्वभाव से काफी उग्र होते हैं। इन्हें अक्सर दूसरों के अटेंशन की जरूरत होती है।

बाईपोलर डिसऑर्डर - Bipolar Disorder

Bipolar Disorder

अगर किसी व्यक्ति को बाईपोलर डिसऑर्डर है, तो संभवतः वह बहुत ज्यादा बातें कर सकता है। आपको बता दें, बाईपोलर डिसऑर्डर एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति अक्सर खुद को बहुत ज्यादा दबाव में महसूस करता है। मेडिकल न्यूट टूडे के अनुसार, "बाईपोलर डिसऑर्डर से पीड़ित लोग बातचीत के दौरान बहुत तेजी से शब्दों का उच्चारण करता है, अचानक किसी बात की शुरुआत करने लगता है और इनकी बातें बहुत ज्यादा डिसऑर्गनाइज्ड होती हैं।"

image credit: freepik

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