क्या है सरोगेसी और टेस्ट ट्यूब बेबी में अंतर? जानें इन दोनों के बारे में

Surrogacy and Test Tube Baby : सरोगेसी और टेस्ट ट्यूब बेबी में काफी अंतर होता है। इन दोनों की प्रक्रिया बिल्कुल डिफरेंट होती है। जानें इन दोनों में फर्क
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क्या है सरोगेसी और टेस्ट ट्यूब बेबी में अंतर? जानें इन दोनों के बारे में


माता-पिता बनने की चाहत हर कोई रखता है। लेकिन आजकल बढ़ी उम्र में शादी करना, इनफर्टिलिटी की वजह से कुछ कपल्स को पेरेंट्स बनने का सुख प्राप्त नहीं हो पाता है। ऐसे में टेक्नोलॉजी की मदद लेना बेहद लाभकारी हो सकता है। जिससे इनफर्टिलिटी होने के बाद भी कपल्स माता-पिता का सुख प्राप्त कर सकते हैं। बेहतर टेक्नोलॉजी की वजह से कपल्स सरोगेसी और आईवीएफ यानी टेस्ट ट्यूब बेबी (Surrogacy and IVF) के जरिए पेरेंट्स बन सकते हैं। 

सरोगेसी और टेस्ट ट्यूब बेबी ऐसे विकल्प हैं, जिसमें आप तकनीक की मदद से अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। माता-पिता न बनने वाले कपल के लिए ये दोनों ऑप्शन बेहद फायदेमंद हो सकते हैं। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि इन दोनों में से कौन-सा विकल्प बेहतर है, तो इसके लिए आपको इन दोनों के बीच के अंतर को समझना होगा। मणिपाल हॉस्पिटल, जयपुर की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आरती महला से समझते हैं क्या है सरोगेसी और टेस्ट ट्यूब बेबी में अंतर (Difference Between Surrogacy and Test Tube Baby) -

surrogacy

सरोगेसी (Surrogacy)

इन दिनों बॉलीवुड से लेकर आम लोगों तक सरोगेसी माता-पिता बनना बेहद आम हो गया है (Surrogacy Parents)। दरअसल, सरोगेसी (Surrogacy) उन कपल्स के लिए एक अच्छा ऑप्शन होता है, जो इनफर्टिलिटी (Infertility) के कारण बच्चे को जन्म देने में असमर्थ होते हैं। इसमें कपल बच्चा पैदा करने के लिए किसी दूसरी महिला की कोख को किराए पर लेता है। इस दौरान जन्में बच्चों को सरोगेसी कहा जाता है। इसमें बच्चे को जन्म देने वाली महिला को सरोगेट मदर (Surrogate Mother) कहा जाता है। सरोगेसी दो तरह की होती है।

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ट्रेडिशनल सरोगेसी (Traditional Surrogacy) -  इसमें पिता के शुक्राणु यानी स्पर्म (Sperm) महिला के शरीर में डाले जाते हैं। लेकिन एग (Egg) बच्चे को जन्म देने वाली महिला का ही होता है। यानी सरोगेट मां का ही एग होता है। इसमें बच्चे के मां का कोई लक्षण उसमें नजर नहीं आता है, क्योंकि बच्चे में सरोगेट मां का एग प्रयोग किया गया होता है।

गेस्टेशनल सरोगेसी (Gestational Surrogacy) - इसमें बच्चे में माता-पिता दोनों के लक्षण नजर आते हैं। गेस्टेशनल सरोगेसी में मां के एग का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए बच्चे के मां का एग और पिता के शुक्राणु (Mother Egg and Father Sperm) को लैब में फर्टिलाइज (Fertilize) किया जाता है। इसके बाद उसे सरोगेट मां के गर्भाशय (Uterus) में डाला जाता है। फिर 9 महीने बाद बच्चे को प्राकृतिक तौर पर जन्म मिलता है। सरोगेसी के लिए हमेशा ऐसी महिला का चुनाव करना चाहिए, जो सेहत में अच्छी हो। बहुत ज्यादा पतली या मोटी महिला के इस दौरान चुनाव करने से बचें।  

IVF or Test Tube Baby

टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube Baby)

टेस्ट ट्यूब बेबी को आईवीएफ (IVF) के नाम से जाना जाता है। इसमें बच्चे की मां वही होती हैं, जो उसे जन्म देती हैं। इसमें पिता या स्पर्म डोनर के शुक्राणु यानी स्पर्म (Sperm) और मां के एग को शरीर से बाहर निकाला जाता है। फिर इन्हें लैब में फर्टिलाइज किया जाता है। जब यह फर्टिलाइज हो जाता है, तो भ्रूण बनकर तैयार हो जाता है। इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भ में डाला जाता है। यह प्रक्रिया काफी लंबी चलती है। 

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अगर आपको इनफर्टिलिटी (Infertility) है या किसी वजह से माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं, तो ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। वे आपको इनके बारे में बता सकते हैं, जिससे आपको सभी खुशियां मिल सकती है। सरोगेसी या टेस्ट ट्यूब बेबी में से आपके लिए कौन-सा ऑप्शन बेहतर है (Which is Best Surrogacy or Text Tube Baby), यह जानने के लिए आपको डॉक्टर से कंसल्ट करना जरूरी होता है। डॉक्टर आपको आपकी कंडीशन के हिसाब से सही विकल्प बताने में मदद कर सकते हैं।

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