Difference between primary and secondary fertility: Difference between primary and secondary fertility: आज के समय में इनफर्टिलिटी (Infertility) एक तेजी से बढ़ती समस्या बन चुकी है। पुरुषों और महिलाओं दोनों में फर्टिलिटी से जुड़ी समस्याएं देखने को मिल रही हैं। जीवनशैली, खानपान, देर रात जागना और प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने की वजह से इनफर्टिलिटी की परेशानी आज 10 में से 7 कपल की परेशानी बन चुकी है। लेकिन जब बात इनफर्टिलिटी की आती है, तो लोग सिर्फ इसके इलाज की बात करते हैं, लेकिन इसके स्टेज के बारे में नहीं जानते हैं। अगर इनफर्टिलिटी के स्टेज का पता समय पर चल जाए, तो यह इलाज को आसान बना सकता है।
कितने प्रकार की होती है इनफर्टिलिटी
प्राइमरी और सेकेंडरी फर्टिलिटी में क्या अंतर होता है और इसका इलाज कैसे संभव है, इस विषय पर अधिक जानकारी दे रही हैं, पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी स्थित बिरला फर्टिलिटी और आईवीएफ सेंटर में महिला स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. श्रद्धा त्रिपाठी के अनुसार, इनफर्टिलिटी को आमतौर पर दो श्रेणियों में बांटा जाता है: प्राइमरी फर्टिलिटी (Primary Fertility) और सेकेंडरी फर्टिलिटी (Secondary Fertility)।
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प्राइमरी फर्टिलिटी क्या है?- What is Primary Infertility
प्राइमरी फर्टिलिटी का मतलब है कि कोई महिला या कपल कभी भी गर्भधारण (Pregnancy) नहीं कर पाए हैं, चाहे वे चाहे इसके लिए कितनी भी कोशिश कर चुके हों। यदि एक साल तक नियमित असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद महिला गर्भवती नहीं हो पाती है, तो इसे प्राइमरी इंफर्टिलिटी (Primary Infertility) की श्रेणी का दर्जा दिया जाता है।
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प्राइमरी फर्टिलिटी के प्रमुख कारण क्या हैं- Causes of Primary Fertility
- ओवुलेशन की समस्या
- फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज
- पीसीओएस (PCOS)
- एंडोमेट्रिओसिस
- पुरुषों में शुक्राणु की कमी
सेकेंडरी फर्टिलिटी क्या है?- What is Secondary Fertility
डॉ. श्रद्धा त्रिपाठी का कहना है कि सेकेंडरी फर्टिलिटी का अर्थ है कि महिला पहले गर्भधारण कर चुकी है और एक बच्चा या गर्भपात भी हुआ है, लेकिन अब वह दोबारा गर्भधारण नहीं कर पा रही है।
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सेकेंडरी फर्टिलिटी के कारण क्या हैं- Secondary of Primary Infertility
- उम्र बढ़ने से अंडाणुओं की क्वालिटी में गिरावट
- वजन में अचानक बढ़ना
- मेडिकल कंडीशन जैसे डायबिटीज, थायराइड
- पार्टनर की फर्टिलिटी में बदलाव
- यूट्रस में स्कार टिशू बन जाना
- तनाव, डिप्रेशन या रिलेशनशिप में तनाव
प्राइमरी और सेकेंडरी फर्टिलिटी का इलाज क्या है- What is the treatment for primary and secondary fertility
फर्टिलिटी जांच
दवाओं के जरिए इलाज
आईयूआई या आईवीएफ
जीवनशैली और खानपान में बदलाव
डॉ. श्रद्धा त्रिपाठी हमारे साथ बातचीत के दौरान कहती हैं कि प्राइमरी और सेकेंडरी फर्टिलिटी की बात हो, तो इलाज कराना जरूरी है। अब वो समय आ चुका हैं, जब हमें दबी जुबान में नहीं, बल्कि खुलकर इनफर्टिलिटी की समस्या के बारे में बात करनी चाहिए और इलाज करना चाहिए।
FAQ
पीरियड के कितने दिन बाद फर्टिलिटी होती है?
फर्टिलिटी का सबसे अहम समय होता है ओव्यूलेशन (Ovulation) – यानी जब महिला का अंडाणु (egg) अंडाशय से निकलता है और शुक्राणु से मिल सकता है। ओव्यूलेशन आमतौर पर अगली पीरियड से करीब 14 दिन पहले होता है।फर्टिलिटी प्रॉब्लम क्या होती है
फर्टिलिटी प्रॉब्लम का मतलब होता है किसी महिला या पुरुष का गर्भधारण या गर्भ ठहरने में कठिनाई होना। जब कोई दंपत्ति 1 साल तक नियमित और असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद भी गर्भधारण नहीं कर पाता, तो इसे बांझपन फर्टिलिटी प्रॉब्लम कहा जाता है।महिलाएं फर्टिलिटी की जांच के लिए कौन से टेस्ट करवाएं?
महिलाओं के शरीर में प्रजनन क्षमता की जांच करने के लिए ओव्यूलेशन टेस्ट करवाना बेहद जरूरी है। इसके अलावा हार्मोनल ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड इमेजिंग और हिस्टेरोसाल्फिंगोग्राफी के जरिए प्रजनन क्षमता का पता लगता है।