World Blood Donor Day in Hindi: कहते हैं कि रक्तदान सबसे बड़ा दान होता है, क्योंकि रक्तदान के जरिए किसी का जीवन बच सकता है। इसलिए हर किसी को ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित किया जाता है। भारत के परिपेक्ष्य में रक्तदान की बात की जाए तो स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के अनुसार, देश में हर दो सेकेंड में रक्त की जरूरत पड़ती है। हर साल देश में करीब 14.6 मिलियन रक्त की जरूरत पड़ती है। तमाम कोशिशों के बावजूद हर साल करीब एक मिलियन रक्त की कमी पड़ ही जाती है। इसलिए सभी को रक्तदान के लिए जागरूक करना जरूरी है और इसी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साल 2004 में हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (world blood donor Day) मनाने की घोषणा की थी। इसका मकसद युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित करना है और इस मौके पर आज हम अकुंश चौधरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो साल में कम से कम तीन बार ब्लड डोनेट करते हैं। जानते हैं उनकी जर्नी इस लेख में।
ब्लड डोनेशन का कब मिला मोटिवेशन
गुरुग्राम के रहने वाले 37 साल के अंकुश को नियमित रुप से रक्तदान करने का मोटिवेशन जीवन में हुई एक घटना ने दिया। इस बारे में अंकुश कहते हैं, “कुछ साल पहले हमारे परिवार में एक सदस्य को डेंगू हो गया था। उसे ब्लड की जरूरत थी, लेकिन कई जगह तलाशने के बावजूद रक्त का इंतजाम नहीं हो पा रहा था। उस वक्त हम सभी बहुत परेशान हुए थे। डेंगू होने की वजह से उन्हें खून चढ़ाना बहुत जरूरी था। वो एक ऐसा समय था, जब मुझे लगा कि रोजाना ऐसे कितने मरीजों की जान बचाने के लिए उनके परिवार दौड़भाग करते होंगे। इस घटना ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि रक्तदान करना कितना जरूरी है और मुझे नियमित रुप से रक्तदान करना चाहिए। शायद मेरी एक पहल से किसी की जान बच जाए। अब कहीं भी पता चलता है कि रक्तदान की जरूरत है, तो मैं जरूर जाता हूं और इसके अलावा, साल में दो से तीन बार ब्लड जरूर डोनेट करता हूं।”
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ब्लड डोनेशन से दूसरों को मिली प्रेरणा
अंकुश कहते हैं, “जब मैंने पहली बार रक्तदान किया था, तो मुझे बहुत खुशी मिली थी। मुझे लग रहा था कि मैं जीवन में कुछ अच्छा कर रहा हूं। इसके बाद मैं लगातार 6-7 साल से ब्लड डोनेट कर रहा हूं। इसके अलावा, मैं सभी को रक्तदान के लिए प्रेरित करता हूं। इसका फायदा यह हुआ है कि अब मेरे ऑफिस के कई लोग रक्तदान करने लगे हैं। मैं सभी को कहता हूं कि ब्लड डोनेट जरूर करें।”
ब्लड डोनेशन से पहले और बाद में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
इस बारे में अंकुश कहते हैं, “मैं अपने अनुभव से बता रहा हूं कि जब भी कोई ब्लड डोनेट करने का प्लान करता है, तो उसे सबसे पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह किसी भी तरह की दवाई का सेवन न कर रहा हो। अगर कोई दवाई चल रही है, तो डॉक्टर को जरूर बताएं। ब्लड डोनेशन से पहले शराब और स्मोकिंग न करें। पानी खूब पिएं और रक्तदान करते समय खुद को बिल्कुल रिलैक्स रखें। अगर आप पैनिक हो जाते हैं, तो ब्लड प्रेशर कम या ज्यादा हो सकता है, ऐसी स्थिति में ब्लड डोनेट करना मुश्किल हो जाता है।”
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रक्तदान से जुड़े मिथकों पर अंकुश ने दिए फैक्टचेक
अंकुश कहते हैं, “अक्सर लोग ब्लड डोनेट करने से इसलिए घबराते हैं कि रक्त देने के बाद थकान हो जाती है और ब्लड बनने में समय लगता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता। रक्तदान के बाद अगर थकान महसूस हो तो हाई प्रोटीन डाइट लें और ग्लूकोज पी लें। बस इस बात का ध्यान रखें कि ब्लड डोनेशन के बाद भी हाइड्रेशन और खाने-पीने का ध्यान रखें। जो लोग सोचते कि डोनेशन के बाद ब्लड बनना मुश्किल हो जाता, उन्हें बताना चाहूंगा कि दोबारा शरीर को खून बनाने में सिर्फ 24 से 48 घंटे लगते हैं। इसलिए हर किसी को रक्तदान जरूर करना चाहिए।”
ब्लड डोनेशन पर अंकुश का मैसेज
अंकुश कहते हैं, “हर इंसान को पांच महीने में एक बार जरूर ब्लड डोनेट करना चाहिए। रक्तदान करते समय सोचे कि आपका यह छोटा सा कदम किसी की जान बचा सकता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक यूनिट ब्लड से आप तीन लोगों की जान बचा सकते हो, इसलिए तो रक्तदान को सबसे बड़ा दान कहा जाता है। जो लोग स्मोकर्स हैं, उन्हें तो जरूर ब्लड डोनेट करना चाहिए क्योंकि रक्तदान से ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस कम करने में मदद मिलती है। ब्लड डोनर डे के मौके पर मैं सभी को अनुरोध करूंगा कि साल में कम से कम दो बार ब्लड डोनेट जरूर करें।”
FAQ
क्या टैटू बनवाने के बाद रक्तदान कर सकते हैं?
टैटू बनवाने के तुरंत बाद रक्तदान न करने की सलाह दी जाती है।कौन सी बीमारी वाला व्यक्ति रक्तदान नहीं कर सकता है?
जिन लोगों को डायबिटीज, हार्ट बीमारियों, प्रेग्नेंसी, एनीमिया, कैंसर, लिवर जैसी बीमारियों में रक्तदान नहीं किया जा सकता है।क्या रक्तदान करने से हार्ट की बीमारियों का खतरा कम हो सकता है?
रक्तदान से शरीर में आयरन का स्तर कम हो सकता है, इससे ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस और सूजन में कमी आ सकती है। सूजन कम होने से हार्ट डिजीज का खतरा कम हो जाता है।