डिमेंशिया दुनियाभर में एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जाता है। हर साल लाखों की संख्या में लोग इससे पीड़ित होते हैं। दरअसल, यह एक मानसिक विकार है, जो आमतौर पर बुजुर्गों को प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति में मरीजों को भूलने की आदत हो जाती है। जर्नल बीजेएम मेंटल हेल्थ में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक डिमेंशिया का खतरा बढ़ाने के पीछे 11 जोखिम कारक जिम्मेदार माने जाते हैं।
क्या हैं डिमेंशिया के जोखिम कारक
वैसे तो डिमेंशिया होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन स्टडी के मुताबिक उम्र भी इसके पीछे का बड़ा कारण मानी जाती है। यही नहीं अगर आपको पहले कभी डायबिटीज या फिर डिप्रेशन की समस्या रही है तो ऐसे में डिमेंशिया होना भी संभव हो सकता है। ऐसे में एजुकेशन की कमी या फिर स्ट्रोक रहने के इतिहास को भी डिमेंशिया होने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। वहीं अगर आप किसी प्रकार की शारीरिक समस्या या क्रॉनिक डिजीज जैसे हाई ब्लड प्रेशर या फिर कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं तो भी डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं स्टडी के मुताबिक अगर आप पुरुष हैं और अकेले रह रहे हैं तो यह आदत भी आपको डिमेंशिया का शिकार बना सकती है।
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डिमेंशिया से बचाव के तरीके
डिमेंशिया से बचाव करने के लिए आपको सबसे पहले अपने लाइफस्टाइल में सुधार करने की जरूरत है। इसके लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें साथ ही नियमित तौर पर व्यायाम और मेडिटेशन करते रहें। यह आदत डिमेंशिया को बढ़ने से रोकती है। इसके लिए आप डाइट में बदलाव करें। ऐसे में प्रोसेस्ड फूड और जंक फूड खाने के बजाय हेल्दी आहार जैसे सब्जियां, फल और नट्स आदि का सेवन करें। साइकिलिंग और एरोबिक्स जैसी एक्सरसाइज करके भी आप इस बीमारी के खतरे को कम कर सकते हैं। इससे बचने के लिए वजन को कंट्रोल करने के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को भी नियंत्रित रखें। ऐसे में धूम्रपान और शराब पीने की आदत को भी कम करें।