डांस मूवमेंट थेरेपी (Dance Movement Therapy) बुजुर्ग लोगों में व्यायाम को बढ़ावा दे सकता है और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है। वहीं अपने दादी-दादी के साथ डांस करना बच्चों को भी एक सकारात्मक मानसिकता देता है। दरअसल किब्बुतज़ुम कॉलेज और हेफा विश्वविद्यालय के द्वारा किया गए एक शोध 'जर्नल फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है और इस अध्ययन की मानें, तो दादा-दादी का उनके नाती-पोतों के साथ डांस करना कई तरह से उनके मानसिक औक शारीरिक स्वास्थ्य के भी फायदेमंद है। इसी के साथ ये इन दोनों के बीच पारिवारिक संबंधों में सुधार ला सकता है। वहीं व्यस्कों को ये डिप्रेशन जैसी बीमारी से लड़ने में मदद कर सकता है।
क्या कहता है ये शोध
'जर्नल फ्रंटियर्स इन साइकोलॉजी' में प्रकाशिति इस अध्ययन में 16 डांस मूवमेंट थेरेपी के डॉक्टर्स ने अपनी दादी के साथ तीन फ्री-फॉर्म डांस किए। इसके बाद इन दादा-दादी के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर शोध किया। शोध में पाया गया कि डांस ने सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा दिया और दादा दादी में मनोदशा में सुधार हुआ। डीएमटी (Dance Movement Therapy) शरीर में बौद्धिक, भावनात्मक और मोटर कार्यों का समर्थन करने के लिए डांस और मूवमेंट का एक मनोचिकित्सात्मक उपयोग है।
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डांस / मूवमेंट थेरेपी क्या है?
DMT अमेरिकन डांस थेरेपी एसोसिएशन द्वारा परिभाषित किया गया है, जिसमें कहा गया है कि डांस थेरेपी में स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के उद्देश्य से भावनात्मक, सामाजिक, संज्ञानात्मक और शारीरिक एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए डांस और मूवमेंट्स का इस्तेमाल किया गया है। इसमें एक मनोचिकित्सक उपकरण के रूप में नृत्य का उपयोग करते हैं ताकि लोग अपनी भावनाओं को इस तरह व्यक्त कर सकें कि वे क्या सोचते हैं और वे क्या महसूस करते हैं, ये सब बयां कर सकें। कई अध्ययनों ने डांस मूवमेंट थेरेपी की उपचार शक्ति की ओर इशारा किया है।2018 के अध्ययन में पाया गया कि डिमेंशिया से पीड़ित सीनियर्स ने डीएमटी के परिणामस्वरूप अवसाद, अकेलेपन और मूड से जुड़ी बीमारियों में कमी देखी और 2019 की समीक्षा में पाया गया कि यह वयस्कों में अवसाद यानी डिप्रेशन के लिए भी ये एक प्रभावी उपचार है।
हर दिन करें अपने पेरेंट्स और ग्रैंडपेरेंट्स के साथ डांस
इस शोध की माने तो हर दिन 10-15 मिनट तक अपने पेरेंट्स और ग्रैंडपेरेंट्स के साथ डांस करना चाहिए। इस शोध में शोधकर्ताओं ने कुछ दादी के घर पर लगभग 10-15 मिनट के लिए सप्ताह में डांस सत्र का आयोजिन किया। पोते-पोतियों को को निर्देश दिया गया था कि वे अपनी दादी- दादी के मूवमेंट्स का पालन करें, उनकी क्षमताओं को प्रोत्साहित करें और जरूरत पड़ने पर उन्हें आराम करने दें। अध्ययन के हाइफा विश्वविद्यालय के लेखक डॉ. इनायत शूपर एंगेलहार्ड, ने कहा कि "वयस्क पोते-पोतियों के आयु वर्ग में वृद्धि के साथ-साथ विभिन्न संसाधनों और सहायता प्रदान करने में रचनात्मकता और नवीनता की आवश्यकता होती है।" ऐसे में दादा-दादी का उनके साथ होना उन्हें बेहतर महसूस करवाता है।
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लेखक ने कहा, "डांस सत्र में शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा दिया गया और जब शरीर थका हुआ और कमजोर उसके बाद भी बुजुर्ग खुश थे। वहीं इसके बाद डांस से मांसपेशियों की ताकत, संतुलन और धीरज में सुधार, चिंता और अवसाद को रोकने और मनोभ्रंश से निपटने में मदद करने में लाभ मिला। इस शोध में शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि दादी-नानी के लिए, नृत्य ने सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा दिया और मनोदशा में सुधार हुआ।
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